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कोरोना कर्फ्यू में बर्बाद हुई हजारों क्विंटल सब्जी, किसान को हुआ लाखों का नुकसान

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Published : May 30, 2021, 6:45 PM IST

इंदौर के देपालपुर में किसान महेश पाटीदार ने 10 बीघा के खेत में डेढ़ लाख की लागत से लौकी की फसल लगाई थी लेकिन फसल खरीददार कोई नहीं मिला, जिसके चलते अधिकतर लौकी की फसल मवेशियों को खिलाना पड़ा और बाकी की फसल को खेत में ही डंप कर रहे है. किसान महेश का कहना था कि यदि फसल बिकती तो उन्हें लगभग 4 लाख का मुनाफा होता.

Corona eclipse on gourd crop
लौकी की फसल पर कोरोना का ग्रहण

इंदौर। कोरोना महामारी का असर हर किसी पर पड़ा है, किसान भी इससे अछूत नहीं है. इंदौर जिले के देपालपुर में किसान ने 10 बीघा खेत में करीब डेढ़ लाख की लागत से लौकी लगाई थी, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के चलते किसान महेश पाटीदार को भारी नुकसान उठाना पड़ा. उसकी फसल तो अच्छी हुई, लेकिन बिक नहीं पाई. ऐसे में परेशान होकर किसान ने खेत की सभी लौकियां मवेशियों को खिला दी.

10 बीघा में डेढ़ की लागत से लगाई लौकी

इंदौर से 60 किमी दूर देपालपुर तहसील के गौतमपुरा नगर के रुणजी क्षेत्र के निवासी किसान महेश पाटीदार ने मार्च के पहले हफ्ते में 15-20 हजार के लौकी के बीज अपने 10 बीघे खेत में बोए थे बीते वर्ष हुई अच्छी बारिश के चलते गर्मी में भी नलकूप का पानी भरपूर मिल रहा था जिसे देख महेश ने अपने 10 बीघा खेत में कुल डेढ़ लाख की लागत से लौकी की फसल लगाई थी. लौकी की फसल 60 दिनों में आना शुरू हो जाती है लेकिन फसल की बोवनी के कुछ दिनों बाद कोरोना कर्फ्यू लग गया.

लौकी की फसल पर कोरोना का ग्रहण

मंडी में नहीं बिकी लौकी

वहीं जब किसान की फसल तैयार हुई जब तक क्षेत्र व अन्य जिलों की मंडियों बंद हो गई, इसके बाद लौकी खेत में ही खराब होने लगी, किसान ने 2 बार लौकी की गाड़ियां इंदौर मंडी भी पहुंचाई, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के बीच मंडियों में लौकी नहीं बिकी, जिसके बाद किसान महेश ने सभी लौकी इंदौर के बाहर निकलते ही लोगों में बांट दी, वहीं पूरे खेत में अब लौकी खराब हो रही है किसान ने आस पास के गांवो में यह संदेश भी पहुंचाया दिया कि जिस किसी को लौकी चाहिए वह फ्री में मेरे खेत से ले जा सकता है कुछ लोग लौकी लेकर भी गए, लेकिन फिर भी खेत में लौकी की भरमार लगी हुई है.

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किसान को 4 लाख का नुकसान

किसान महेश पाटीदार ने बताया कि इस बार उम्मीद थी कि लौकी की फसल मेरे खेत में बहुत अच्छे से तैयार होगी और अच्छा मुनाफा होगा, सोचा था 10 बीघे खेत में बोई लौकी इंदौर, उज्जैन, बड़नगर, बदनावर जिलों की मंडियों में बेचूंगा, जिससे अच्छा मुनाफा होगा लेकिन फसल तो बहुत अच्छी हुई लेकिन खरीददार कोई नहीं मिला,

2 मार्च को मैंने फसल बोई थी जिसमें उच्च क्वालिटी के इंडो कंपनी के 12 हजार रुपए किलो के बीज लगाए थे 50 हजार का कीटनाशक, 30 हजार नंदाई जुताई और मजदूरी औक अन्य खर्च में कुल डेढ़ लाख से ज्यादा की लागत आई थी. जिसे तकरीबन 4 लाख का मुनाफा होता है.

थोक में 6-10 रुपए किलो यह लौकी आराम से बिक जाती है. लेकिन कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया, वहीं किसान महेश पाटीदार का कहना है कि मौसम ने अब करवट ले ली है अब अगली फसल सोयाबीन के लिए खेत को तैयार करना है और अभी भी लाैकी खेतो में पड़ी है अगली फसल के लिए मजदूर इन लोकियो को खेत से बाहर करना पड़ेगा, इसीलिए खेत में ट्रैक्टर से लौकी को हटवाने का कार्य शुरू कर दिया है और अब बची हुई लौकी क्षेत्र की गौशालाओं के लिए और मवेशियों को खिला रहे है.

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