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इंदौर में कितने 'तेलगी' : पुराने स्टाम्प, नई साजिश

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Published : Mar 2, 2021, 3:35 PM IST

एमपी की आर्थिक राजधानी में लगातार पुराने स्टांप पेपरों के उपयोग से फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले सामने आते हैं. इसकी वजह से कई बार मूल्यवान जमीनों को लेकर विवाद भी सामने आते हैं. लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.

Fraud through fake stamp
स्टांप

इंदौर। शहर में जमीन को हड़पने और दस्तावेजों में फेरबदल करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बावजूद इसके प्रशासन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहा है. ऐसे मामलों का बड़ी आसानी से प्रशासन खुलासा कर सकता है, लेकिन लगातार पुराने स्टांप पेपरों के उपयोग से फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं. ये गोरखधंधा काफी लंबे समय से चला आ रहा है. जिसके कारण कई बार मूल्यवान जमीनों को लेकर विवाद सामने आए हैं.

फर्जी स्टांप के जरिए धोखाधड़ी

प्रदेश में 30 मार्च के बाद नए स्टांप पेपरों को बाजार में लाया जाता है. लेकिन कई बार पुराने स्टांप पेपरों के जरिए जालसाजी कर नकली दस्तावेज तैयार कर लिए जाते हैं. इन दस्तावेजों को पकड़ पाना आसान होता है, लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी समय पर ध्यान नहीं देता, जिस कारण मूल्यवान संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर लिया जाता है.

कैसे पकड़ में आती है जालसाजी

विशेषज्ञों की मानें तो नकली दस्तावेजों के बीच अंतर बड़ी आसानी से पकड़ा जा सकता है. स्टांप पेपरों के ऊपर कोषालय का नंबर लिखा होता है. इससे यह पता चलता है कि यह स्टांप पेपर किस को जारी किया गया. स्टांप पेपर के पीछे क्रेता और विक्रेता की जानकारी होती है. यही जानकारी रजिस्टर में भी उसी तारीख में अंकित करनी होती है.

Fraud through fake stamp
स्टांप

स्टांप पेपर लेने वाले व्यक्तियों का आईडी प्रूफ भी लिया जाता है और उसकी रजिस्टर में इंट्री की जाती है. यह रजिस्टर 31 मार्च तक कोषालय में जमा कराना होता है, लेकिन कई बार इन रजिस्टरों को जमा ना कराकर भी गड़बड़ियां कर ली जाती हैं. जब भी किसी मामले की जांच होती है तो इन रजिस्टरों के माध्यम से ही स्टांप पेपरों के असली या नकली होने का पता चलता है.

Fraud through fake stamp
फर्जी स्टांप

IPC के तहत दर्ज हो सकता है मामला

सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर मूल्यवान संपत्तियों को अपने नाम कराने का खेल पुराना है. इसके लिए कड़े कानून भी बनाए गए हैं. पुराने स्टांप पेपरों में छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1807 के तहत जालसाजी के लिए धारा 261 में दंड का प्रावधान किया गया है. लेकिन इसके बावजूद स्टांप पेपरों का उपयोग करके जालसाजी कर ली जाती है.

Fraud through fake stamp
स्टांप

भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 261 के अनुसार यदि किसी सरकारी दस्तावेज के सील को हटाया या मिटाया जाता है, या फिर असली स्थान की कोई लेख की लिखावट को मिटाकर स्थान की छाप को हटाने जैसे काम करेगा तो, वह व्यक्ति धारा 261 के अंतर्गत 3 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना या दोनों दंड का हकदार होता है.

Fraud through fake stamp
स्टांप

सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर मूल्यवान संपत्तियों को हासिल करने के मामले में यदि प्रशासन चाहे तो आरोपियों को कड़ी सजा भी दिलवा सकता है. लेकिन धीमी जांच और कानून की सही जानकारी न होने के कारण भी कई बार जालसाज बच निकलते हैं. प्रशासन का ध्यान इस पर तब जाता है जब पीड़ित व्यक्ति इसकी शिकायत करता है. उसके पहले पंजीयन अधिकारियों या अन्य किसी भी विभाग के द्वारा जांच की कार्रवाई नहीं की जाती है.

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