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चलिए यमराज के सबसे प्राचीन मंदिर में, मिल जाएगा स्वर्ग

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Published : Nov 1, 2021, 8:30 PM IST

Updated : Nov 1, 2021, 9:02 PM IST

यमराज का मंदिर (Temple of Yamraj) सुनने में अजीब जरूर लगता होगा, पर यह बात बिल्कुल सही है. यही वजह है कि नरक चौदस के दिन यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और भगवान यमराज के दर्शन करते हैं. इस मंदिर की काफी मान्यता है.

yamraj temple
यमराज का मंदिर

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में एकमात्र यमराज (Lord Yamraj) का मंदिर है, जो लगभग 300 साल पुराना है और दिवाली के 1 दिन पहले नरक चौदस पर यमराज की पूजा अर्चना और अभिषेक किया जाता है. यमराज का मंदिर (Temple of Yamraj) सुनने में अजीब जरूर लगता होगा, पर यह बात बिल्कुल सही है. यही वजह है कि नरक चौदस के दिन यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और भगवान यमराज के दर्शन करते हैं. इस मंदिर की काफी मान्यता है. इस विशेष रिपोर्ट में देखिए मंदिर की विशेषताएं.

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.

300 साल पुराना है यमराज का मंदिर
ग्वालियर के बीचों-बीच फूलबाग पर स्थित मारकंडेश्वर मंदिर (Markandeshwar Temple) है. इस मंदिर में यमराज की यह प्रतिमा सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 300 साल पहले स्थापित की थी. मंदिर की सेवा कर रहे छठी पीढ़ी के पुजारी बताते हैं कि मंदिर का निर्माण मराठा परिवार के संताजी राव तेमक ने कराया था. इस मंदिर में भगवान शिव के सामने यमराज हाथ जोड़कर बैठे हैं. इसमें दिखाया गया है कि मारकंडेश्वर शिवलिंग को पकड़े हैं, जिन्हें यमराज लेने आया है. इस पर भगवान शिव त्रिशूल लेकर प्रकट हुए यमराज को दंडित कर रहे हैं.

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भगवान शिव त्रिशूल लेकर यमराज को दंडित करते हुए.

नरक चौदस की पौराणिक कथा
यमराज की नरक चौदस पर पूजा अर्चना करने को लेकर पौराणिक कथा भी है. कहा जाता है कि यमराज ने जब भगवान शिव की तपस्या की थी, तब इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा-अर्चना और अभिषेक करेगा, उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनायें सहनी होंगी. यही नहीं उस आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

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भगवान शिव के सामने हाथ जोड़कर बैठे यमराज.

नरक चौदस पर होती है विशेष पूजा
नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यमराज की पूजा अर्चना भी खास तरीके से होती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर भी तेल, पंचामृत, इत्र, फूलमाला, दूध, दही आदि से युवराज का अभिषेक किया जाता है. उसके बाद दीपदान किया जाता है. इसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती है. यमराज की पूजा-अर्चना करने के लिए देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. यमराज को रिझाने की कोशिश करते हैं. यमराज का यह मंदिर ग्वालियर चंबल अंचल में एक अकेला होने के कारण श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है.

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भगवान यमराज का मंदिर.

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पूजा करने से मिलती है पापों से मुक्ति
श्रद्धालुओं का मानना है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने से किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि नरक चौदस के दिन यहां पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि नरक चौदस के दिन जिन लोगों को कुष्ठ रोग या फिर चर्म रोग होता है, वह व्यक्ति इस तिली स्नान करना चाहिए. कहा जाता है कि उस दिन यमराज की विशेष कृपा मानी जाती है. यही वजह है कि देश के दिन ग्वालियर चंबल इकलौते यमराज मंदिर में लोग काफी दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं.

Last Updated :Nov 1, 2021, 9:02 PM IST
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