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Independence Day Special: यहां तैयार होता है तिरंगा, कोरोना से 75% उत्पादन प्रभावित

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Published : Aug 14, 2021, 2:23 PM IST

Independence Day Special
स्वतंत्रता दिवस

ग्वालियर में उत्तर भारत का झंडा बनाने का एकमात्र स्थान अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. ऐसे में राष्ट्रीय ध्व्ज के उत्पादन में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है. कोरोना महामारी से कोई भी काम अछूता नहीं रहा है.

ग्वालियर। वैसे तो पूरे देश भर में ग्वालियर (Gwalior) शहर किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भारत की आजादी (India Independence Day) में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे (India National Flag) का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम रोशन कर रहा है. राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है. आपको जानकर यह गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालय के साथ कई मंत्रालयों पर शान से लहराने वाला तिरंगा ग्वालियर (National Flag Production) में ही तैयार होता है. तिरंगे को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा और उत्तर भारत (North India) की इकलौती इकाई मध्य भारत खादी संघ बना रहा है. साल 2020 से कोरोना के बाद तिरंगे का निर्माण करने वाला मध्य भारत खादी संघ पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

मध्य भारत खादी संघ बना रहा तिरंगा.

राष्ट्रीय ध्वज के प्रोडक्शन में 75 फीसदी की गिरावट
यह जानकर सभी को बड़ा गर्व महसूस होता है कि प्रदेश के ग्वालियर में एकमात्र ऐसी संस्था है, जो हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार करती है. यहां से बना हुआ राष्ट्रीय ध्वज पूरे देश भर के कोने कोने में लहराता है. अब इस संस्था पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. हालात यह हो चुके हैं कि जब से शुरुआत हुई है उसके बाद प्रोडक्शन में भारी कमी आई है. कर्मचारियों को समय पर सैलरी भी नहीं मिल पा रही है. अब तक 75 फीसदी प्रोडक्शन में (Gwalior National Flag Production Reduces) गिरावट आई है, लेकिन मध्य भारत खादी संघ के अध्यक्ष का कहना है कि अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती जा रही हैं. अगर सब कुछ अच्छा हुआ, तो फिर से हम तिरंगे का निर्माण कर पूरे देश भर में ग्वालियर का नाम रोशन करेंगे.

एक साल में एक करोड़ रुपये के तरंगों का होता है उत्पादन
पूरे देश भर की तीसरी और उत्तर भारत की एकमात्र मध्य भारत खादी संघ (Madhya Bharat Khadi Sangh) एक साल में करीब एक करोड़ रुपए के झंडों का उत्पादन करता है. मतलब साल भर में देश के अलग-अलग कोनों में एक करोड़ रुपए की तिरंगों का उत्पादन होता है, लेकिन जब से कोरोना वायरस (Corona Pandemic Gwalior) शुरू हुआ है. उसके बाद एक साल में इसका उत्पादन मात्र 25 से 30 लाख रुपये तक रह गया है. यह स्थिति दो साल से हो रही है. यही वजह है कि प्रदेश को गौरवान्वित करने वाली यह संस्था आर्थिक संकट से जूझ रही है.

यहां ISI प्रमाणित ध्वज का होता है निर्माण
ग्वालियर की मध्य भारत खारी संघ में तीन कैटेगरी के तिरंगे (Color of Indian Flag) तैयार किए जा रहे हैं. अभी 2X3 फीट, 6x4 फीट और 3x4.5 फीट के झंडे (Size of Indian Flag) शामिल हैं. संस्था की तरफ से हर 15 दिनों में 300 झंडे बनाए जाते हैं. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए तय मानकों का ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग, चक्र का साइज जैसी मानक शामिल हैं. खादी संघ की लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. कुल 9 मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने वाली कारीगरों का कहना है कि तिरंगे तैयार करने में हम अपने आप को गर्व महसूस करते हैं. यह देश की आन-बान-शान है. हम अपने आप को खुशकिस्मत समझते हैं कि रोजगार के साथ-साथ हम तिरंगे की तैयार कर रहे हैं.

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देश में मात्र तीन जगह तैयार होता है राष्ट्रीय ध्वज
देश में मात्रा तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) ने राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने के तीन दस्तावेज जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी सिल्क या कॉटन के ही होंगे और मानकों के अनुसार ही बनेंगे. यही वजह है कि देश में मात्र तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होता है, जिसमें- मुंबई, हुबली और ग्वालियर में किया जाता है.

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