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Gwalior High Court : मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक के लिए क्या कार्रवाई की, नौ जिलों के कलेक्टर से मांगी रिपोर्ट

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 4, 2023, 5:13 PM IST

Gwalior High Court
मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक के लिए क्या कार्रवाई की

ग्वालियर हाई कोर्ट ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रभावी रोकथाम नहीं होने पर अपने प्रभाव क्षेत्र वाले सभी 9 जिलों के कलेक्टरों को सख्त लहजे में निर्देश दिया है कि वह त्योहार के सीजन में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं. अब इस मामले में 6 नवंबर को हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई होगी.

ग्वालियर। हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में 9 जिलों के कलेक्टरों को अपनी रिपोर्ट भी पेश करनी होगी. हाईकोर्ट ने कहा कि देश के अधिकांश शहरों में भिंड और मुरैना से ही मावा सप्लाई होता है और यहां बड़ी मात्रा में मावा बनाया जाता है. कोर्ट के निर्देशों के बावजूद अभी तक इन कारोबारियों के गोरखधंधे पर नकेल नहीं कसी जा सकी है. बता दें कि आए दिन मिलावटी मावा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पकड़ा जा रहा है.

त्यौहारों के मौसम में मिलावटी मावा : जस्टिस रोहित आर्य ने मिलावटी मावा के फलते-फूलते कारोबार पर कलेक्टरों से नाराजगी का इजहार किया है. खास बात यह है कि त्योहार के मौसम में मिलावटी मावे की सप्लाई कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. ग्वालियर चंबल अंचल में नकली मावा नकली दूध बनाने का कारोबार लंबे समय से चला आ रहा है. गौरतलब है कि दिवंगत अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर यहां लगातार सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उमेश बोहरे का निधन हो चुका है. अब हाई कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की पैरवी अधिवक्ता पवन द्विवेदी कर रहे हैं.

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पहले सीएस को दिए थे निर्देश : पूर्व में दिवंगत अधिवक्ता उमेश बोहरे की याचिका पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी दिशा निर्देश दिए थे. लेकिन उसके बाद इस मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी. तब कोर्ट में स्वर्गीय बोहरे द्वारा अवमानना याचिका दायर की गई थी. जिस पर फिलहाल सुनवाई चल रही है. हाई कोर्ट ने इस मामले पर अपने अधिकार क्षेत्र वाले सभी नौ जिलों के कलेक्टरों की कार्यशाली पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वह 6 नवंबर तक हर हालत में कार्रवाई का ब्यौरा कोर्ट में पेश करें, अन्यथा कोर्ट उनके खिलाफ विपरीत आदेश भी पारित कर सकता है.

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