दतिया। कहने को तो दतिया शहर जिला मुख्यालय है और प्रदेश के कद्दावर मंत्री का जिला है, लेकिन आम जनता को क्या चाहिए. उसे न तो राजा चाहिए न ही मंत्री, उसे चाहिए तो बस मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली और पानी. लेकिन दतिया इतना बड़ी राजनीतिक रसूख होने के बाद भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. यूं तो सरकारें लाखों करोड़ों रूपए खर्चकर सड़कों के जाल बिछाने की बात कर रही हैं, लेकिन दतिया की सड़कें देखकर ऐसा लगता नहीं की एक रूपया भी खर्च हुआ है.
शहर की सड़के गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, जिससे आए दिन कोई न कोई हादसा होता रहता है और अब मानसून शुरू हो जाने के कारण तो इन गड्ढों में पानी भी भर गया है. खुदी पड़ी सड़कों से रोजाना लोगों को दो-दो हाथ होना पड़ रहा है. शहर के बम-बम महादेव चौराहे से उनाव बालाजी मंदिर तक की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं. वहीं बम-बम महादेव मंदिर से सिविल लाइन थाना तक की रोड भी बुरी तरह से खुदी हुई है.
जगह-जगह गड्ढों में गहरा पानी भर जाने से लोगों को कुछ भी दिखाई नहीं देता है और अपनी जान जोखिम में डालकर सफर तय करना पड़ रहा है. वही बाइक सवार तो आए दिन इन गड्ढों में गिरकर घायल होते हुए दिखाई देते हैं. अधिकारियों की बात करें तो इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
नगरपालिका के हाल तो ऐसे मानों ये सड़कों से उनका कोई वास्ता ही न हो. तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाहीं से मां पीताम्बरा का शहर गड्ढों का शहर बनता जा रहा है.