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Winter Solstice 2022: आज साल का सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात, जानिए क्यों होता है ऐसा...

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Published : Dec 21, 2022, 1:58 PM IST

Updated : Dec 22, 2022, 6:08 AM IST

आज शीतकालीन संक्रांति 2022 है. शीतकालीन संक्रांति मतलब साल का सबसे छोटा दिन और धरती पर सबसे बड़ी रात है. (Winter Solstice 2022) आज सूर्य धरती पर सबसे कम समय तक प्रकाश देंगे. पढ़ें क्यों होता है ऐसा.

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भोपाल। आज साल का सबसे छोटा दिन है, इसे दिसंबर दक्षिणायन या शीतकालीन संक्रांति 2022 कहते हैं. अंग्रेजी में इसे विंटर सोल्सटिस (Winter Solstice 2022) कहा जाता है, हालांकि सभी देशों में इसे सूर्य के उनके देश में सबसे कम समय तक प्रकाश करने वाले दिन मनाया जाता है. इसी कारण 20, 21, 22 या 23 दिसंबर की किसी भी तिथि को विंटर सोल्सटिस पड़ सकता है.

यह है सूर्य के कम समय तक प्रकाश देने का कारण: पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेइस डिग्री झुकी हुई है, इस वजह से सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से ज्यादा हो जाती है. इससे सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक होता है. 21 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है, इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत होती हैं और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करती हैं. (Saal Ka Sabse Chota Din) इस वजह से सूर्य जल्दी डूबता है और रात जल्दी हो जाती है.

विश्व भर में मनाया जाता है विंटर सोल्सटिस: चीन में लोग 21 दिसंबर के दिन को पॉजिटिव एनर्जी का प्रतीक मानते हैं, चीन के अलावा ताइवान में इस दिन लोग ट्रेडिशनल फूड खाना पसंद करते हैं. पाकिस्तान की एक जनजाति कलाशा कैमोस उत्सव मानती है. जर्मनी, फ्रांस और इंग्लैंड के कई क्षेत्रों में द फिस्टऑफ जूल फेस्टिवल मनाया जाता है. विंटर सोल्सटिस के तुरंत बाद ही ईसाइयों का मुख्य त्यौहार क्रिसमस डे मनाया जाता है. ऑस्ट्रेलिया के लोग डेरेवेंट नदी में डुबकी लगा कर मनाते हैं.

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कहां होगा आज छोटा दिन: नॉर्थ हेमीस्फेयर (उत्तरी गोलार्ध) वाले देशों में आज साल का सबसे छोटा दिन है, साउथ हेमीस्फेयर (दक्षिणी गोलार्ध) वाले देशों में आज साल का सबसे बड़ा दिन है. यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में आज साल का सबसे बड़ा दिन है. नॉर्थ हेमीस्फेयर साल के छह महीने सूरज की ओर झुका होता है, इससे इस हेमीस्फेयर में डायरेक्ट सनलाइट आती है. इस दौरान नॉर्थ हेमीस्फेयर के इलाकों में गर्मी का मौसम होता है, बाकी छह महीने ये इलाका सूरज से दूर चला जाता है और दिन छोटे होने लगते हैं.

क्यूं हर साल अलग होती है तारीख: धरती का एक साल 365.25 दिन में पूरा होता है, हर साल जिस वक्त सूरज की किरण सबसे कम समय के लिए धरती पर आती हैं, वह समय छह घंटे शिफ्ट हो जाता है. इसी वजह से हर 4 साल में लीप इयर होता है. पिछले साल सूरज 22 दिसंबर को धरती पर सबसे कम समय के लिए रहा था, इस साल यह दिन 21 दिसंबर को ही हो गया. धरती के एक साल और लीप ईयर से एडजस्टमेंट के कारण विंटर सॉल्सटिस 20, 21, 22 या 23 दिसंबर में से किसी एक दिन पड़ता है. विंटर सॉल्सटिस की तारीख इसीलिए बदलती है.

Last Updated : Dec 22, 2022, 6:08 AM IST
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