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Third Monday of Sawan: सावन के तीसरे सोमवार को राहुकाल का रखें विशेष ध्यान, इस समय नहीं करें भगवान शिव की पूजा

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Published : Aug 9, 2021, 5:00 AM IST

Third Monday of Sawan
सावन के तीसरे सोमवार को पूजा कैसे करें.

सावन का तीसरा सोमवार इस बार नौ अगस्त को है. इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्तों के द्वारा सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है. शिव मंदिरों में भी भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है. मान्यता है कि जो कोई भक्त सावन सोमवार व्रत सच्चे मन करता है उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Third Monday of Sawan: इस साल सावन का तीसरा सोमवार नौ अगस्त को पड़ रहा है. सावन का हर सोमवार अपने आप में विशेष फल दायी होता है, लेकिन इस बार तीसरे सोमवार में महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन सोमवार के दिन श्रावण मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पड़ रही है. वहीं चंद्र ग्रह अपनी स्वराशि कर्क में विराजमान होंगे. सावन सोमवार में राहु काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए. राहु काल को अशुभ योग माना गया है. इस योग में पूजा और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

सावन सोमवार के दिन राहुकाल
09 अगस्त को राहु काल का समय प्रात: 07 बजकर 26 मिनट से प्रात: 09 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है. माना जाता है कि इस समय कोई भी कार्य करने पर विजय प्राप्त होती है.

कैसे करें सावन के तीसरे सोमवार को पूजा
सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें. फिर शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ को गंगा जल चढ़ाएं. साथ ही माता पार्वती और नंदीजी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं. पंचामृत से रुद्राभिषेक करें, बेलपत्र भी अर्पित करें. इसके अलावा भांग-धतूरा, चंदन, अक्षत चढ़ाएं. प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं. अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें. शाम को पूजा के बाद व्रत खोलकर सात्विक भोजन ग्रहण करें.

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सरसों तेल का होता है विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास के 9 अगस्त को श्रावण का तीसरा सोमवार है, जो विशेष है. इस दिन शिव की पूजा करने वाले सभी लोग प्रातः कालीन स्नान करें. स्नान करने के बाद काली मिट्टी लाकर शिव मूर्ति बनाएं. शिव मूर्ति बनानकर के 11, 21 या 51 रुद्र चारों ओर चिपका दें. इसके बाद जल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से स्नान कराने के बाद सरसों के तेल से विशेष स्नान कराएं.

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