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IAS जांगिड़ के समर्थन में आए रिटायर्ड अधिकारी, बोले- युवा अधिकारी को प्रताड़ित करना ठीक नहीं

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Published : Jun 18, 2021, 6:30 PM IST

युवा IAS लोकेश जांगिड़ (Lokesh Jangid) के मामले को लेकर दो रिटायर्ड अधिकारियों के बयान सामने आए हैं. दोनों अधिकारियों ने IAS लोकेश जांगिड़ का समर्थन करते हुए कहा है कि युवा अधिकारी को प्रताड़ित करना ठीक बात नहीं है.
Retired officers came in support of IAS Jangid
IAS जांगिड़ के समर्थन में आए रिटायर्ड अधिकारी

भोपाल। इन दिनों चर्चा में चल रहे युवा IAS अधिकारी लोकेश जांगिड़ (Lokesh Jangid) के समर्थन में अब कुछ सीनियर और रिटायर्ड अधिकारी आ गए हैं. रिटायर्ड IAS अधिकारियों ने लोकेश जांगिड़ के बार-बार ट्रांसफर को गलत बताया है. रिटायर्ड अधिकारियों (Retired officers) का कहना है कि बार-बार ट्रांसफर से युवा अधिकारी का मनोबल गिरता है, बल्कि सीनियर अधिकारियों का फर्ज होता है कि युवा अधिकारी का मनोबल बढ़ाए. साथ ही युवा अधिकारियों को भी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए. रिटायर्ड अधिकारियों (Retired officers) ने कहा कि राजनीतिक दबाव में आकर किसी को प्रताड़ित करना ठीक नहीं है.

युवा IAS की पीड़ा समझें सीनियर्स

युवा IAS की पीड़ा समझें सीनियर्स

सीनियर अधिकारी पर आरोप लगाने वाले युवा IAS अधिकारी लोकेश जांगिड़ (Lokesh Jangid) के मामले में बोलते हुए रिटायर्ड IPS अधिकारी अरूण गुर्टू (Arun Gurtu) ने कहा कि सरकार को निंदा करने वालों की राय भी लेना चाहिए. यह रवैया ठीक नहीं है कि सरकार की विचारधारा से अलग काम करने वालों का ट्रांसफर कर दिया जाए. सीनियर आईपीएस अधिकारी अरूण गुर्टू (Arun Gurtu) के मुताबिक इस मामले में कंडक्ट ऑफ रूल्स का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन क्या कंडक्ट ऑफ रूल्स में भ्रष्टाचार करना लिखा है, ऐसे लोगों पर पकड़ा क्यों नहीं जाता. अरूण गुर्टू ने कहा कि जांगिड यंग अधिकारी है, सीनियर अधिकारियों को ऐसे अधिकारियों का ध्यान रखना चाहिए. राजनीतिक दवाब में किसी अधिकारी को प्रताड़ित किया जाना ठीक नहीं है.

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मनोबल टूटता है तो ऐसी बातें निकलती है

इस मामले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बीके बाथम (BK Batham) का कहना है कि युवा अधिकारियों का मनोबल को बढ़ाना सीनियर का फर्ज होना चाहिए, क्योंकि इन युवा अधिकारियों को ही आगे बागडोर संभालना है. अधिकारी बाथम का कहना है कि आईएएस अधिकारी कोई बच्चा नहीं होता है, इसलिए उन्हें भी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए. वे कहते हैं कि यह दुखद है कि ट्रांसफर बोर्ड के बाद भी एक अधिकारी को साल में कई स्थानों पर भेज दिया जाता है. कई बार ट्रांसफर के पहले अधिकारी से पूछ लिया जाता है, ऐसे में अधिकारी खुश हो जाता है, लेकिन फील्ड से बार-बार बुलाने पर अधिकारी की मनोदशा पर बहुत असर पड़ता है. बीके बाथम (BK Batham) का कहना है कि जब मनोबल टूटता है, तो मन से कई बार ऐसी बातें निकल जाती हैं, जिस पर दिमाग का कंट्रोल नहीं होता.

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अधिकारी को कहां भेजना है यह सरकार का निर्णय

उधर आईएएस अधिकारियों के लगातार विवादों में रहने को लेकर पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा है कि अधिकारियों का ट्रांसफर करना सरकार का हक है. कई अधिकारियों के साल में कई तबादले हो जाते हैं, लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए, लेकिन इसके पीछे कुछ न कुछ वजह होगी. अधिकारियों को आईएएस जैसा व्यवहार करना चाहिए.

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