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नरोत्तम की गैर मौजूदगी-पवैया के तेवर से उठे सवाल, बीजेपी में 'गृहयुद्ध' तो नहीं छिड़ा

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Published : Aug 26, 2020, 12:57 PM IST

बीजेपी के सदस्यता अभियान में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के शामिल नहीं होने से कई सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी की गुटबाजी बाहर आने लगी है.

Political ruckus in MP
एमपी में सियासी बवाल

भोपाल। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गढ़ में पहली बार पहुंचे और ग्वालियर-चंबल संभाग में तीन दिवसीय बीजेपी के सदस्यता अभियान के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ साये की तरह नजर आए, जबकि शिवराज सिंह के बेहद करीबी प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा दूर-दूर तक नजर नहीं आये. जिससे साफ हो जाता है कि भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में शामिल हुए करीब 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन बीजेपी के कई नेता उन्हें अभी भी स्वीकार नहीं कर पाए हैं. खास बात ये है कि सिंधिया के गढ़ में ही सिंधिया का विरोध देखने को मिल रहा है. दूसरी तरफ सिंधिया के कारण बीजेपी की अंदरूनी कलह भी दहलीज के बाहर दिखने लगी है. कांग्रेस इस पर चुटकी ले रही है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी किसी बीजेपी के लिए बेहतर संकेत नहीं मान रहे हैं.

एमपी में सियासी बवाल
नरोत्तम मिश्रा को लेकर उठ रहे सवाल

सिंधिया की बगावत के बाद मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का तख्तापलट गया और शिवराज सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बन गए, जिसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस से एक राज्यसभा सीट भी छीन ली, जोकि सिंधिया की बगावत से ही संभव हुआ है. पर अब बीजेपी ही सिंधिया के कारण मुश्किलों से घिरती नजर आ रही है क्योंकि बीजेपी का समीकरण सिंधिया के आने बिगड़ने लगी है. ग्वालियर-चंबल में महल का विरोध कर अपनी राजनीति चमकाने वाले बीजेपी नेता अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. शिवराज और महाराज के दौरे के दौरान ग्वालियर-चंबल के कद्दावर ब्राह्मण नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के नदारद होने से सवाल उठने लगे हैं.

जयभान पवैया के ट्वीट ने मचाई हलचल

सिंधिया के दौरे के आखिरी दिन जयभान सिंह पवैया ने ट्वीट कर अपनी पीड़ा जाहिर कर दी. कांग्रेस का कहना है कि सिंधिया को न तो जनता स्वीकार कर पा रही है और न बीजेपी के कार्यकर्ता. इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा को लेकर कांग्रेस बीजेपी पर तंज कस रही है.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि इतना बड़ा महा-दलबदल अभियान चलता रहा और उसी क्षेत्र के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा इसका हिस्सा नहीं बने. क्या मध्यप्रदेश सरकार का एक कैबिनेट मंत्री जो उसी संभाग का बड़ा ब्राह्मण नेता है. उसे वहां से गायब रहना चाहिए. भाजपा दो फाड़ हो चुकी है. एक लाइन खिंच गई है जो सिंधिया को स्वीकार नहीं कर पा रही है. एक लाइन वह है, जो सिंधिया को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा है.

बीजेपी की सफाई

बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश मिरचंदानी कहते हैं कि नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश के गृह मंत्री हैं. उनके पास सरकार और कानून व्यवस्था का जिम्मा है. इस दृष्टि से अपने समय और कार्यक्रम के अनुसार अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने जिस-जिस की जो जिम्मेदारी थी, उसके हिसाब से कार्यक्रम में वो लोग मौजूद रहे क्योंकि सदस्यता अभियान था. इस नाते जिसको जो जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया.

राजनीतिक विश्लेषकों का मत

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गौरव चतुर्वेदी कहते हैं कि पिछले 8-10 साल का रिकॉर्ड उठा कर देखें तो भाजपा में गुटबाजी जबरदस्त तरीके से उभरी है. लेकिन सामने नहीं आ पाई क्योंकि पूरी पार्टी अनुशासन के नाते उसे दबाने का काम करती आई है. आज की स्थिति में देखें तो जब प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं थी तो शिवराज सिंह, गोपाल भार्गव और राकेश सिंह अलग राह चलते थे. ये सब तब हो रहा था, जब केंद्रीय नेतृत्व शिवराज सिंह को दबाने का पूरा प्रयास कर रहा था. शिवराज सिंह ने एक योग्य राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाए रखी, जिसका फायदा उन्हें तब मिला, जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ. मौजूदा वक्त में बीजेपी की स्थिति बदल रही है. सिंधिया और शिवराज सिंह पहली बार इतना बड़ा कार्यक्रम कर रहे थे, ऐसे में नरोत्तम मिश्रा को मौजूद रहना था. यदि वो नजर नहीं आए तो राजनीतिक दल स्वाभाविक तौर पर इस बात का आंकलन करेंगे कि कहीं न कहीं गुटबाजी और नाराजगी व्याप्त है. जो खुलकर नजर आने लगी है.

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