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घोर लापरवाही! जेपी अस्पताल के कूड़ेदान में पड़ी मिली नई Corona Test स्वैब स्टिक

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Published : Sep 2, 2021, 12:00 PM IST

jp hospital
कूड़ेदान में कोरोना टेस्ट स्वैब स्टिक

भोपाल के जेपी अस्पताल (Bhopal JP Hospital) परिसर के कूड़ेदान में नई कोरोना टेस्ट स्वैब स्टिक (New Corona Test Swab Stick in Dustbin) पड़ी मिली है, ऐसी लापरवाही का पहले भी खुलासा हो चुका है, अब कूड़ेदान में जांच सामग्री मिलने से फर्जी कोरोना टेस्ट की आशंका भी बढ़ गई है.

भोपाल। राजधानी भोपाल में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम ये है कि कोरोना टेस्ट स्वैब स्टिक (New Corona Test Swab Stick in Dustbin) एक बार फिर कचरे के ढेर में पड़ा मिला है, इस बार यह लापरवाही खुद अस्पताल प्रबंधन ने किया है, भोपाल के जेपी अस्पताल (Bhopal JP Hospital) में बड़ी संख्या में टेस्ट स्वैब स्टिक मिलने से हड़कंप मच गया. पहले भी नेहरू नगर में कबाड़ में स्वैब स्टिक मिलने से स्वास्थ्य विभाग बगले झांकता रहा. फिलहाल इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है.

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कूड़ेदान में कोरोना टेस्ट स्वैब स्टिक

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एमपी में करोना टेस्ट की फर्जी सैंपलिंग (Fake Corona Sampling) की जा रही है, इसका दावा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि करोना टेस्ट की सैंपलिंग के लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिससे फर्जी टेस्टिंग की गुंजाइश बनी हुई है. ताजा मामला भोपाल के जेपी अस्पताल का है, जेपी अस्पताल परिसर में कचरे के ढेर में करोना टेस्ट वाली स्टिक और अन्य सामग्री मिलने के बाद हड़कंप मचा है. भोपाल में नेहरू नगर में इससे पहले इस तरह का मामला सामने आया था, जब कबाड़ में ये स्टिक मिली थी. इस मामले को उठाने वाले प्रदीप खंडेलवाल को किसी परिचित ने फोन कर जानकारी दी थी कि जेपी अस्पताल के कचरे के ढेर में यह सामग्री पड़ी हुई है.

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कूड़ेदान में कोरोना टेस्ट स्वैब स्टिक

उन्होंने प्रदीप को इसलिए जानकारी दी क्योंकि इसके पहले प्रदीप यह मामला उठा चुके थे, जानकारी मिलते ही प्रदीप वहां पहुंचे और यह देख कर हैरान रह गए कि बड़ी संख्या में बिना यूज की हुई नई स्टिक और किट आदि कचरे के ढेर में पड़ी थी. इसकी जानकारी उन्होंने जब सीएमएचओ को दी तो अस्पताल में हड़कंप मच गया.

सीएमएचओ (CMHO) जानकारी एकत्रित कर कार्रवाई की बात कहते रहे, फिर उन्हें आश्वस्त कर वहां से जाने को बोल दिए. जब सीएमएचओ से फोन पर बात की कोशिश की गई और उनसे मिलने के लिए समय मांगा गया तो उन्होंने फोन भी नहीं उठाए और चुप्पी साध लिए. फिलहाल ये विषय गंभीर है क्योंकि करोना टेस्ट में उपयोग होने वाली यह स्टिक और तमाम सामग्री अगर इस तरह कचरे के ढेर और डस्टबिन में पड़ी मिलती है तो कहीं न कहीं फर्जी सैंपल की बातों से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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कूड़ेदान

इसके पहले नेहरू नगर में भी प्रदीप खंडेलवाल को कबाड़ी के ठेले पर इस तरह की स्टिक और सामग्री मिली थी, जिसकी शिकायत उन्होंने सीएमएचओ से की थी. इस दौरान कई फोन नंबर भी मिले थे, जिसमें उन लोगों के नंबर थे, जिनके सैंपल लिए बिना ही नंबर लिख लिए गए थे. यह मामला जब मीडिया में आया था, उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री से लेकर तमाम लोगों ने जानकारी दी थी कि रजिस्टर और स्टिक कहीं गुम हो गए थे, जिसकी शिकायत थाने में भी दर्ज कराई गई थी. अब देखने वाली बात होगी कि अस्पताल की इस लापरवाही के लिए किस-किस के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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