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MP Chunav 2023: क्या प्रचार ना करने के बाद भी बुधनी में लौटेंगे 'मामा' शिवराज, जानें क्या है जनता का मूड..

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By PTI

Published : Nov 3, 2023, 1:33 PM IST

MP Chunav 2023
शिवराज सिंह चौहान

MP Election Polls 2023: 'मामा' चौहान को सीएम चेहरे के रूप में पेश करने में बीजेपी अपना रुख साफ नहीं कर रही है, अब सवाल ये है कि क्या सीएम शिवराज का बुधनी विधानसभा क्षेत्र उनका समर्थन करेगा.

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र बुधनी विधानसभा क्षेत्र में अजेय रहे हैं, उन्होंने 1980 के बाद से यहां से चुनाव लड़ा है और 2006 के बाद से उन्होंने यहां से चारों बार चुनाव लड़कर 60 प्रतिशत और उससे अधिक वोटों से जीत हासिल की है. लेकिन इस बार का बुधनी चुनाव थोड़ा अलग दिखाई दे रहा है. दरअसल लंबे समय से बीजेपी के सीएम चेहरे पर वोट मांग रही पार्टी ने इस बार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल सहित 7 लोकसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है.

संकेत ये भी मिले हैं कि भाजपा ने राज्य के शीर्ष पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं और मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान डिफॉल्ट पसंद नहीं हो सकते हैं. जब 2005 में विदिशा से लोकसभा सदस्य चौहान मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने तत्कालीन भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह द्वारा यह सीट खाली करने के बाद हुए उपचुनाव में राज्य की राजधानी से लगभग 65 किमी दूर और भोपाल संभाग के हिस्से बुधनी से जीत हासिल की थी. इससे पहले, चौहान ने 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था. हालांकि भाजपा ने उन्हें 1991 में विदिशा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था, जब पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद के निचले सदन में लखनऊ सीट बरकरार रखने के लिए वहां से इस्तीफा दे दिया था. 2013 में भाजपा के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे, चौहान ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया, जो 2018 में घटकर लगभग 59,000 हो गया जब कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा, जो कि एक ओबीसी भी हैं.

बुधनी की जनता लड़े चुनाव: 'मामा' उपनाम से फेमस सीएम चौहान के खिलाफ कांग्रेस ने इस बार चौहान के मुकाबले के लिए बुधनी से टीवी अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने एक धारावाहिक में हनुमान की भूमिका निभाई थी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने एक हल्के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर चौहान के लिए मुकाबला कम कर दिया है, जो राजनीति और निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए नया है. यह तब स्पष्ट हुआ जब इस सप्ताह की शुरुआत में अपना नामांकन दाखिल करने से पहले चौहान ने बुधनी के मतदाताओं से कहा कि वे(जनता) उनके लिए चुनाव लड़ें, क्योंकि वह पूरे राज्य में प्रचार करेंगे.

सीएम पद पर शिवराज का कितना रोल? बता दें कि भाजपा ने इस बार शिवराज को अपना सीएम चेहरा बनाने से परहेज किया है, इसका नवीनतम संकेत 17 नवंबर के चुनावों के लिए सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारने के फैसले से मिल रहा है. इस साल अगस्त में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब पूछा गया कि अगर चुनाव के बाद भाजपा सत्ता बरकरार रहती है तो क्या चौहान सीएम बने रहेंगे, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया था. शाह ने कहा था कि "आप(मीडिया) पार्टी का काम क्यों कर रहे हैं? हमारी पार्टी अपना काम करेगी. शिवराज जी सीएम हैं और हम चुनाव में हैं. पीएम मोदी और शिवराज जी के विकास कार्यों को जनता तक ले जाएं और अगर कांग्रेस ने कोई विकास किया है तो उसे भी उजागर करें."

शिवराज को टक्कर देने कांग्रेस नहीं उतार पाई वजनदार प्रत्याशी: भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि "विधानसभा चुनाव जीतने और राज्य में सरकार बनाने के बाद उनकी पार्टी का संसदीय बोर्ड इस पर निर्णय लेगा कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा." भोपाल स्थित वरिष्ठ पत्रकार और बुधनी के मूल निवासी राघवेंद्र सिंह ने कहा कि "कांग्रेस ने पिछले दो दशकों में चौहान के सामने चुनौती पेश करने के लिए इस निर्वाचन क्षेत्र में शायद ही अपना जुझारू चेहरा प्रदर्शित किया है, इस क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए कांग्रेस का कोई बड़ा आंदोलन नहीं देखा गया है. इसके अलावा कांग्रेस एक स्थानीय राजनीतिक चेहरा विकसित करने में विफल रही है, जो चौहान का मुकाबला कर सके."

सिंह ने आगे कहा कि "पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चौहान के खिलाफ इस सीट से बाहरी व्यक्ति पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा था, इस बार भी लड़ाई केवल चौहान की जीत के अंतर के लिए लगती है क्योंकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक कम प्रसिद्ध अभिनेता को उम्मीदवार बनाया है. चूंकि राज्य के मुख्यमंत्री ने पिछले दो दशकों में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है, इसलिए निर्वाचन क्षेत्र के लोग भी विशेषाधिकार प्राप्त महसूस करते हैं और सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए हैं. हालांकि मतदाता अपने मन की बात नहीं कहते हैं."

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क्या है जनता की राय: कांग्रेस से जुड़े शाहगंज (बुधनी विधानसभा सीट का हिस्सा) के किसान भूपेश भदोरिया (37) ने बताया कि उनके क्षेत्र में सड़कों का निर्माण किया गया है और बिजली की आपूर्ति अच्छी है, हालांकि किसानों के लिए नहीं. प्रदेश के अन्य जिलों के पिछड़ने का दावा करते हुए भदोरिया ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या बुधनी में भी है. हालांकि बुधनी में पिछले दशक में विकास हुआ है. जब उनसे पूछा गया कि क्या चौहान के मुख्यमंत्री बनने से बुधनी क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलता है, तो उन्होंने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि यह चुनाव एकतरफा (चौहान के पक्ष में) है और हर कोई चाहता है कि मुख्यमंत्री उनके क्षेत्र से हो. बीजेपी द्वारा चौहान को अपना सीएम चेहरा घोषित नहीं करने के बारे में, भदोरिया ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का मानना ​​है कि अगर बीजेपी जीतती है तो वह मुख्यमंत्री होंगे, क्योंकि भगवा पार्टी द्वारा भी कोई अन्य चेहरा पेश नहीं किया गया है.

वहीं बुधनी से 22 किलोमीटर दूर अकोला की सरपंच ममता गौड़ (38) ने बताया कि "गांव के 80 फीसदी निवासी भगवा पार्टी के पक्ष में हैं. चौहान के शासनकाल में क्षेत्र में विकास हुआ और लोग खुश हैं." इसी के साथ शाहगंज के हार्डवेयर कारोबारी अमित विजयवर्गीय ने कहा कि उन्होंने यहां पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी का नाम सुना, जनता के सामने कोई विकल्प नहीं है, जो केवल चौहान शासन के दौरान क्षेत्र में हुए विकास के लिए वोट करेगी. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और बुधनी निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी संतोष सिंह गौतम ने दावा किया कि "पार्टी द्वारा मस्ताल को मैदान में उतारने के बाद चौहान ने खुद को मुश्किल स्थिति में पाया है."

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