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MP में हर दिन 16 महिलाओं से हो रहा दुष्कर्म!, 'मामा' पूजा की नहीं सुरक्षा की जरूरत

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Published : Dec 25, 2020, 7:01 PM IST

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महिला के साथ होने वाले वाले अपराधों में मध्यप्रदेश देश भर में सबसे आगे हैं.हाल ही में शिवराज सरकार ने बेटियों के पूजन के साथ शासकीय कार्यक्रमों की शुरूआत करने की बात कही है. तो सवाल उठता है कि सिर्फ बेटियों की पूजा करने से वे सुरक्षित हो जाएंगीं..? इस सवाल का जवाब ये आंकड़े खुद दे रहे हैं...

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि शासकीय कार्यक्रमों की शुरुआत बेटियों की पूजा से होगी. इस घोषणा पर आज से अमल भी शुरू कर दिया गया है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कार्यक्रम की शुरुआत बेटी पूजन से ही की गई. लेकिन मध्यप्रदेश में बेटियों को पूजा नहीं बल्कि सुरक्षा चाहिए. मध्य प्रदेश पिछले कई सालों से महिला अपराधों में पहले पायदान पर है. आलम यह है कि महिला अपराधों के साथ-साथ नाबालिगों से दुष्कर्म और एससी-एसटी की महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में भी प्रदेश पीछे नहीं है.

पूजा से पहले बेटियों की सुरक्षा जरूरी

सिर्फ पूजा से कैसे सुरक्षित होगी लाडली ?

बीते 15 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश में किसी भी सरकारी कार्यक्रम की शुरुआत बेटियों की पूजा से ही होगी. इसके लिए शासन ने आदेश भी जारी किए हैं. सभी विभागों और जिलों को इसका सख्ती से पालन करने के निर्देश भी दिए गए हैं. लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक अब मध्य प्रदेश नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में भी अव्वल है. इतना ही नहीं एससी एसटी वर्ग की महिलाओं से अत्याचार के मामलों में भी मध्यप्रदेश ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. ऐसे में पूजन करने से महिलाओं और बेटियों को कैसे सम्मान मिल सकेगा क्योंकि मध्यप्रदेश में बेटियां और महिलाएं बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है.

Police force
पुलिस फोर्स

इस साल अक्टूबर तक ही 45 हजार से ज्यादा महिला अपराध

मध्यप्रदेश में महिला अपराधों की बात करें तो इस साल यानी कि जनवरी 2020 से लेकर अक्टूबर 2020 तक ही प्रदेश भर में 45 हजार 920 महिला अपराध घटित हुए हैं. इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट, अपहरण, दहेज प्रताड़ना समेत छेड़छाड़ और बलात्कार के मामले शामिल हैं. पिछले 8 महीनों में ही 3 हजार 800 से भी ज्यादा महिलाओं के साथ ज्यादती की गई है.509 महिलाओं को तो मौत के घाट उतार दिया गया है. मध्य प्रदेश में मार्च के अंत से कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगाया गया था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान भी महिला अपराधों में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई. महिलाओं के साथ अपराध लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहे.चौंकाने वाली बात तो यह है कि लॉकडाउन के दौरान भी 11 हजार से ज्यादा महिला अपराध प्रदेश के अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए. वहीं राजधानी भोपाल में भी महिला अपराधों के कई मामले सामने आए हैं. अधिकारियों का दावा है कि महिला अपराधों को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है.

पिछले आठ महीनों में घटित हुए अपराध

साल 2020 में महिला अपराधों को लेकर पिछले 8 महीनों के ही आंकड़ों की बात करें तो मध्यप्रदेश में हत्या के मामले 509, हत्या की कोशिश 207, मारपीट 9 हज़ार 974, छेड़छाड़ 6 हज़ार 479, अपरहण 5 हज़ार 619, दुष्कर्म 3 हज़ार 837, दहेज हत्या 519 और दहेज प्रताड़ना 4 हज़ार 604 मामले सामने आए हैं.

नाबालिगों से बलात्कार में एमपी अव्वल

  • मध्य प्रदेश 3 हज़ार 337 बलात्कार के मामले.
  • उत्तर प्रदेश 3 हज़ार 264 बलात्कार के मामले.
  • महाराष्ट्र 3 हज़ार 117 बलात्कार के मामले.

आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामले

  • साल 2017 में मध्यप्रदेश में 2 हज़ार 289 आदिवासी महिलाओं से बलात्कार.
  • साल 2018 में प्रदेश भर में 1 हज़ार 868 मामले किए गए दर्ज.
  • साल 2019 में मध्यप्रदेश में 1 हज़ार 922 आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म.

दलित महिलाओं से दुष्कर्म के आंकड़े

  • साल 2017 में मध्य प्रदेश में दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के 5 हज़ार 892 मामले दर्ज किए गए थे.
  • साल 2018 में इन मामलों में कुछ कमी आई और 4 हज़ार 753 केस दर्ज किए गए.
  • साल 2019 में यह मामले 12 फीसदी की बढ़त के साथ 5 हज़ार 300 तक पहुंच गए.

कभी शांति का टापू था मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है. लेकिन यह शांति का टापू अब अशांति का टापू बनता जा रहा है. पिछले कई सालों से मध्य प्रदेश महिला अपराधों के मामले में नंबर एक पर ही है. सरकार और पुलिस प्रशासन प्रदेश को सुरक्षित बनाने के लिए लाख दावे करते हैं. लेकिन यह सभी दावे खोखले ही नजर आ रहे हैं. कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब महिलाएं और बच्चियां बिल्कुल सुरक्षित नहीं है. मध्य प्रदेश सरकार बेटी पूजन के साथ-साथ अगर उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराए तो शायद सालों से मध्यप्रदेश के माथे पर लगा महिला अपराधों का कलंक कुछ हद तक साफ हो सकेगा.

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