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एमपी में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त, सीएम कमलनाथ के निर्देश पर बचाव कार्य में जुटा प्रशासन

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Published : Sep 16, 2019, 10:51 AM IST

राज्य के 52 में से 36 जिले अतिवर्षा की चपेट में हैं. बाढ़ जैसे हालातों से निपटने के लिए सीएम कमनलाथ के निर्देश पर राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है.

मध्यप्रदेश में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

भोपाल। मध्यप्रदेश में आफत की बारिश की दौर जारी है. कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं. सीएम कमलनाथ ने सभी जिलों के कलेक्टरों को जरूरी व्यवस्थाएं करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है. जिसके बाद से ही बाढ़ और वर्षा प्रभावित जिलों में जान-माल की रक्षा और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं. आपदा से निपटने की प्रशासन ने पूरी तैयारी की है. राज्य के 52 में से 36 जिले अतिवर्षा की चपेट में हैं.

मध्यप्रदेश में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

इन जिलों में राहत और बचाव कार्य के लिए राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) के साथ स्थानीय जिला प्रशासन को सक्रिय किया गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 255 जिला आपदा रिस्पांस सेंटर और 51 आपात ऑपरेशन सेंटर खोले गए हैं, जो 24 घंटे निरंतर काम कर रहे हैं. सुरक्षा के लिहाज से एसडीआरएफ के 100, होमगार्ड के 600 प्रशिक्षित जवान लगाए गए हैं, जबकि एनडीआरएफ के 210 तथा 15 हजार होमगार्ड और पुलिस के जवान भी बचाव कार्य में जुटे हैं.

राहत और बचाव कार्य में इतना पैसा हुआ खर्च
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 45 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए विशेष दल बनाये गए हैं और प्रभावित क्षेत्रों में उनके अस्थायी कैंप लगाए गए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 150 राहत शिविरों में लोगों को पहुंचाया गया है. सभी बाढ़ प्रभावित जिलों को 100 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है, जबकि आपदा और बचाव कार्य पर 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

ये जिले हैं ज्यादा प्रभावित
बाढ़ के हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र से इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंटर टीम शीघ्र भेजने का आश्वासन मिला है. राज्य के मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा, शाजापुर, भिंड, श्योपुर, नीमच, दमोह, रायसेन, और अशोकनगर अतिवृष्टि से प्रभावित हैं. जहां राहत और बचाव के कार्य युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं.

इस नंबर से ले सकते है मदद
मंदसौर जिले में बाढ़ से 12 हजार 800 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमे से 10 हजार लोगों को राहत कैंप में ठहराया है. पूरे जिले में 53 राहत कैंप स्थापित किए गए हैं. जहां खाने-पीने से लेकर कपड़ों की भी व्यवस्था की गई है. आवागमन ठप होने से मार्ग में फंसे 470 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है. गांधीसागर बांध के आसपास के गांवों को खाली करवा लिया गया है. मदद के लिए प्रशासन ने 7587969401 नंबर जारी किया गया है, जिस पर कोई भी फोन कर सहायता ले सकता है.

रतलाम में 500 से अधिक लोगों को किया गया शिफ्ट
रतलाम जिला तेज बारिश से पानी-पानी हो गया है. जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ की मदद से लोगों को बचाने का काम मुस्तैदी से किया गया. बाजना विकासखंड के ग्राम भड़ानखुर्द के ग्रामीणों को सुरक्षित कैम्पों में पहुंचाया गया है. इसी तरह, ग्राम रोला के 250 ग्रामीणों को पड़ोस के ग्राम रिंगनोद में शिफ्ट किया गया है. जबकि रणायरागुर्जर के 300 लोगों को शासकीय भवनों में शिफ्ट किया गया है.

आगर मालवा और शाजापुर में बचाव कार्य जारी
आगर मालवा की कंठाल नदी में जलस्तर बढ़ने से नगरीय क्षेत्र सोयत में लोगों के घरों में पानी भर गया है. जिला प्रशासन ने तत्काल पुलिस-होमगार्ड और एनडीआरएफ की टीम के साथ बचाव कार्य शुरु किया और 750 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. इसके अलावा शाजापुर जिले में बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए शासकीय भवनों में राहत-शिविर खोले गये हैं . प्रभावित क्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.

श्योपुर में बाढ़ की चपेट में 12 गांव
पार्वती और चंबल नदी में बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा युद्ध-स्तर पर बचाव कार्य शुरु कर दिया गया है. जिले में बाढ़ में फंसे 12 गांव के लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है. जिले के नदियों के समीप बसे 15 गांवों में सतत संपर्क किया जा रहा है. वहीं भिंड जिले में बाढ़ से निपटने के लिए आर्मी लॉ वन कॉलम दल को अटेर में तैनात किया गया है, जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. भिंड मुरैना और श्योपुर जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए 50 एसएएफ और 10 एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. वहीं पशुओं के इलाज के लिए भी चिकित्सकों को लगाया गया है.

Intro:मुख्यमंत्री ने दिए सभी कलेक्टरों को निर्देश बाढ़ की स्थिति में की जाए लोगों की संपूर्ण मदद


भोपाल | मध्यप्रदेश में हो रही लगातार बारिश के बाद कई जिलों में बाढ़ की स्थिति निर्मित हो गई है . वहीं जिन क्षेत्रों से पानी हट रहा है वहां पर अब गंभीर बीमारियों का डर सताने लगा है . इसे दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी जरूरी व्यवस्थाओं करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है .

मुख्यमंत्री कमल नाथ के निर्देश पर वर्षा प्रभावित जिलों में जान-माल की रक्षा और बचाव के काम युद्ध-स्तर पर तेज कर दिए गए हैं. जिला प्रशासन ने चौबीसों घंटे मुस्तैद रहते हुए आपदा से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है . मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व एवं संबंधित जिले के कलेक्टर से सतत् संपर्क रखकर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए है .

मुख्यमंत्री के निर्देश पर वर्षा से प्रभावित 36 जिलों में बचाव और राहत के काम तत्काल शुरु किए गए हैं. राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) के साथ स्थानीय जिला प्रशासन को सक्रिय किया गया है . प्रभावित क्षेत्र में 255 जिला आपदा रिस्पांस सेंटर और 51 आपात ऑपरेशन सेंटर खोले गए हैं, जो 24 घंटे निरंतर काम कर रहे हैं. एसडीआरएफ के 100 और होमगार्ड के 600 प्रशिक्षित जवान बचाव कार्य में लगाये गए हैं . एनडीआरएफ के 210 तथा 15 हजार होमगार्ड और पुलिस के जवान राहत और बचाव कार्यों में तैनात किए गए हैं .



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राज्य-स्तर पर स्थापित आपदा नियंत्रण कक्ष 24 घंटे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के निगरानी कर रहा है और उन्हें आवश्यक मदद उपलब्ध करवा रहा है . सेना को भी सतर्क किया गया है और जहाँ भी आवश्यकता होगी, तत्काल यह सहायता प्रभावितों की मदद के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी . बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 45 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है .स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए विशेष दल बनाये गए हैं और प्रभावित क्षेत्रों में उनके अस्थायी कैंप लगाए गए हैं . राज्य में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 150 राहत शिविरों में लोगों को पहुँचाया गया है . बाढ़ प्रभावित जिलों को 100 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है ताकि प्रभावितों के रहने, खाने तथा अन्य नुकसान की भरपाई की जा सके . आपदा और बचाव कार्य पर 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं . राज्य सरकार ने भारी बारिश के कारण हुए नुकसान के लिए भारत सरकार से तत्काल प्रारम्भिक आंकलन के लिए अध्ययन दल भेजने को कहा है .राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र से इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंटर टीम शीघ्र भेजने का आश्वासन मिला है .



अतिवृष्टि से प्रभावित मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा, शाजापुर, भिंड, श्योपुर, नीमच, दमोह, रायसेन, और अशोकनगर जिले में प्रभावितों के लिए राहत और बचाव के कार्य युद्ध-स्तर पर शुरु किए गए है .Conclusion:
मंदसौर में बाढ़ के कारण 12 हजार 800 लोग प्रभावित हुए हैं .इनमें से 10 हजार लोगों को राहत कैम्प में ठहराया गया है .पूरे जिले में 53 राहत कैम्प स्थापित किए गए हैं . शिविरों में कपड़ों,सोने और भोजन की पूरी व्यवस्था की गई है .स्वयंसेवी संस्थाएँ और नागरिक जिला प्रशासन के साथ सहयोग कर रहे हैं . आवागमन ठप्प हो जाने से मार्ग में फंसे 470 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है, जहाँ उन्हें सोने और भोजन आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है . प्रभावित क्षेत्रों के रहवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है . गाँधीसागर बाँध के आसपास के गाँवों को खाली करवा लिया गया है . मदद के लिए मोबाइल नं. 7587969401 पर कोई भी व्यक्ति फोन करके सहायता प्राप्त कर सकता है .होमगार्ड के सैनिक नाव और बोट से निरंतर निगरानी रख रहे हैं .

इसके अलावा प्रदेश के रतलाम जिले में अतिवृष्टि के हालातों से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ की मदद से लोगों को बचाने का काम मुस्तैदी से किया गया . बाजना विकासखंड के ग्राम भड़ानखुर्द के ग्रामीणों को सुरक्षित कैम्पों में पहुँचाया गया है . इसी तरह, ग्राम रोला के 250 ग्रामीणों को पड़ोस के ग्राम रिंगनोद में शिफ्ट किया गया है .ग्राम रणायरागुर्जर के 300 नागरिकों को विभिन्न शासकीय भवनों में सुरक्षित पहुँचाया गया है, जहाँ उनके भोजन, रहने आदि की व्यवस्था की गई थी .
वही भारी वर्षा के कारण आगर-मालवा की कंठाल नदी में जलस्तर बढ़ने से नगरीय क्षेत्र सोयत में लोगों के घरों में पानी भर गया है . जिला प्रशासन ने तत्काल पुलिस-होमगार्ड और एनडीआरएफ की टीम के साथ बचाव कार्य शुरु किया और 750 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया . उनके खाने-पीने, सोने आदि की व्यवस्था राहत शिविरों में की गई . जो नागरिक अपने घरों में बाढ़ के कारण फंसे हुए हैं, उन लोगों को खाने-पीने तथा अन्य जरूरी सामान बोट द्वारा पहुँचाया गया . बाढ़ के कारण दुकानों और घरों को जो नुकसान पहुँचा है, उसके लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है, जिन्होंने सर्वे का काम शुरू कर दिया है . जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष स्वास्थ्य दल गठित किए गए हैं, जो शिविर लगाकर लोगों को उपचार उपलब्ध करवा रहे हैं .
इसके अलावा शाजापुर जिले में बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के लिए शासकीय भवनों में राहत-शिविर खोले गये हैं . प्रभावित क्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.

पार्वती और चंबल नदी में बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा युद्ध-स्तर पर बचाव कार्य शुरु कर दिया गया है. श्योपुर जिले में बाढ़ में फंसे 12 गाँव के लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाया गया है .एक व्यक्ति जो बाढ़ में फंस गया था, उसे भी सुरक्षित निकाला गया है . जिले के नदियों के समीप बसे 15 गाँव, जो नदियों के किनारे बसे हैं, उनसे सतत् संपर्क रखा जा रहा है . साथ ही सेना भी बुला ली गई है . भिंड जिले में बाढ़ से निपटने के लिए आर्मी लॉ वन कॉलम दल को अटेर में तैनात किया गया है . जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा रहे हैं . भिंड जिले के ग्राम कोसड़ में स्थापित राहत शिविरों में लोगों को पहुँचाया गया है . मुरैना-भिंड और श्योपुर जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए 50 एसएएफ, 10 एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. पशुओं के इलाज के लिए भी चिकित्सकों को सेवा में लगाया गया है.



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