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घबराएं नहीं पत्नी प्रताड़ित पति! धंधा बन चुके गुजारा भत्ता से बचने के लिए यहां लें कानूनी सलाह

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Published : Nov 20, 2021, 9:59 AM IST

Updated : Nov 20, 2021, 11:36 AM IST

पुरुष अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रही संस्था भाई वेलफेयर सोसाइटी ने एक लीगल सेमिनार आयोजित की. सेमिनार में कानून मामलों के विशेषज्ञों ने पुरुषों के अधिकार के संरक्षण सुझाव व पुरुष आयोग के गठन करने की मांग रखी.

international mens day
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस

भोपाल। राजधानी में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस (international men's day) के मौके पर भाई संस्था द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें पत्नियों से पीड़ित पुरुषों ने भाग लिया. दरअसल, भाई संस्था की स्थापना ही इसी उद्देश्य से की गई थी कि दहेज प्रताड़ना व अन्य मामलों में महिलाओं द्वारा शिकायत पर कई बार पुरुष भी प्रताड़ित होते हैं. उनको सही कानूनी सलाह व काउंसलिंग (man counseling) आदि की जाती है. आज सेमिनार में भोपाल सहित पूरे प्रदेश से लोग पहुंचे हैं

गुजारा भत्ता का गाना

पुरुषों के लिए लीगल सेमिनार
पुरुष अधिकार संरक्षण (male rights protection) के लिए काम कर रही संस्था भाई वेलफेयर सोसाइटी (bhai welfare society) ने एक लीगल सेमिनार (legal seminar in mp) आयोजित की. सेमिनार में कानून मामलों के विशेषज्ञों ने पुरुषों के अधिकार के संरक्षण सुझाव व पुरुष आयोग के गठन करने की मांग रखी. महिला एक पक्षी कानूनों को समाप्त करने के लिए और सबके लिए समान कानून बनाने जाने की मांग का समर्थन किया.

पुरुषों के लिए भाई संस्थान कर रही काम

सेमिनार में विशेष अतिथि एएनएस श्रीवास्तव, राजीव सक्सेना सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश ने महिलाओं द्वारा किए जा रहे दहेज प्रताड़ना कानून, घरेलू हिंसा कानून के बढ़ते दुरुपयोग के मामलों को चिंता का विषय बताया. इसके साथ ही पक्षपाती कानूनों में संशोधन करने का समर्थन किया.

आईआईटी टॉपर ने जॉब छोड़ शुरू की वकालत
सेमिनार में जबलपुर से आए एडवोकेट दीपांशु शुक्ला, आईआईटी टॉपर (iit toper) हैं, उन पर उनकी पत्नी ने आरोप लगाए थे. तब उन्होंने निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक स्वयं अपनी पैरवी की. 2015 में वे स्वयं अपना केस जीत गए. आज इंजीनियर की जॉब छोड़कर वकालत कर रहे हैं. दीपांशु आज उच्च न्यायालय (High Court) में एडवोकेट हैं और पीड़ितों की मदद कर रहे हैं.

एमपी में धंधा बन गया है गुजारा भत्ता
सीआरपीसी की धारा 125, जिसे भरण पोषण या गुजारा भत्ता कहा जाता है, वह मध्यप्रदेश में 1000 करोड़ की इंडस्ट्री बन गया है. गुजारा भत्ता कानून (alimony) का दुरुपयोग करते हुए कई तकनीकी व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त पढ़ी लिखी स्वस्थ महिलाएं पारिवारिक विवाद बनाकर पति से अलग हो जाते हैं. इसके बाद न्यायालय में स्वयं को अबला बताकर बिना कोई काम किए और कोई कर्तव्य पूरा किए बगैर पति से भरण-पोषण की मांग कर रही हैं.

सेमिनार में गुजारा भत्ता गाया गाना
ऐसी महिलाएं मुफ्त में लाखों रुपए गुजारा भत्ता लेकर अपने जीवन को आनंद से बिता रही हैं. किंतु पति प्रताड़ित हो रहा है. पुरुषों की प्रताड़ना इसी पीड़ा को संस्था के सदस्य हनी चौरसिया ने एक गीत बनाकर जिसका शीर्षक ही गुजारा भत्ता रखा है, उसका भी प्रदर्शन किया गया.

भारत समेत दुनिया के कई देशों में आज मना रहे अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस

संस्था की सदस्य रिचा दयाल चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया कि 2 साल वे संस्था से जुड़ी. दरअसल उनके भाई को भी इसी तरह की पारिवारिक समस्याएं आई थीं. तब वे इस संस्था से जुड़ीं. संस्था ने उनको काफी सहायता की. तब से वे इस संस्था से जुड़ी हुई हैं. अब वह काफी लोगों की मदद कर रही है.

Last Updated :Nov 20, 2021, 11:36 AM IST
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