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Bhopal News: मत्स्य पालकों की सुध लो सरकार !

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Published : Jun 26, 2021, 1:51 PM IST

government neglecting fishermen in mp
एमपी में मत्स्य पालकों की नहीं सुन रही सरकार

कोरोना काल में मछली पालकों(fisherman) से जुड़े एक्टिविस्ट नीलू खान ने सराकर से मछुआरों की सुध लेने की गुहार लगाई है. एक्टिविस्ट नीलू खान के मुताबिक मछली पालकों के लिए कोई नई नीति अब तक नहीं है न ही मत्स्य महासंघ (Matsya Mahasangh Bhopal) के चुनाव हुये.मछुआ कल्याण बोर्ड को भी खत्म कर दिया है. प्रदेश भर में दो लाख से अधिक मछुआरे सरकार से उनके हितों की ओर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.

भोपाल(Bhopal)। प्रदेश में मछली पालकों (fisherman) के लिए कोई नई नीति अब तक नहीं बन पाई है जिससे मछुआरे परेशान है.मछुआरों के लिए बनी सहकारी संस्था मत्स्य महासंघ के पिछले 15 सालों से चुनाव तक नहीं हुये. मछली पालकों से जुड़े एक्टिविस्ट नीलू खान ने सरकार पर मछुआरे को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 15 सालों से चुनाव नहीं हुये , मछुआ कल्याण बोर्ड खत्म कर दिया गया.तालाबों में मछलियों की संख्या बढ़ाने का काम सिर्फ कागजों में है हकीकत में नहीं. कागजों पर काम और फर्जी स्टॉकिंग का आरोप भी नीलू खान ने लगाया. प्रदेश मत्स्य महासंघ (Matsya Mahasangh Bhopal) के प्रबंध संचालक पुरुषोत्तम धीमान का कहना है कि मछली पालकों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 हजार के किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं और चुनाव भी जल्द करा लिए जाएंगे.

एमपी में मत्स्य पालकों की नहीं सुन रही सरकार

मछुआरों के हितो पर ध्यान नहीं दे रही सरकार

तालाबों से मछली उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय कर लिया गया है लेकिन इसके लिए कोई ठोस योजना नहीं है।. मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास विभाग के अंतर्गत आज भी पुरानी नीति चल रही है. करीब 15 साल से मत्स्य महासंघ के चुनाव नहीं हुए हैं. मछुआ कल्याण बोर्ड खत्म कर दिया गया है. प्रदेश भर में दो लाख से अधिक मछुआरे सरकार से लगातार अपने अधिकारों की बात कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक प्रदेश की कुल जनसंख्या की 15% जनसंख्या मछुआरों और चालकों की है लेकिन प्रदेश सरकार इनके हितों को लेकर गंभीर नहीं है.


पुरानी नीति से चल रहा काम

कांग्रेस सरकार ने 6 फरवरी 2020 को मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास के लिए मंत्री परिषद उप समिति बनाई थी. समिति के नीति पर काम करने से पहले ही सरकार गिर गई.राज्य सरकार ने अब तक कोई नई नीति नहीं बनाई है. केंद्रीय स्तर पर बने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ही काम किया जा रहा है. कागजों पर काम और फर्जी स्टॉकिंग का आरोपों पर मछली पालकों से जुड़े एक्टिविस्ट नीलू खान बताते हैं कि मत्स्य महासंघ प्रदेश की एकमात्र ऐसी संस्था है जो फायदे में है. इसकी राशी अपेक्स बैंक में फिक्स डिपॉजिट की हुई है लेकिन अब उससे भी पैसा निकाला जा रहा है. जलाशयों में जो बीज पहले डाले जा रहे थे वह अब नहीं डाले जा रहे. कर्मचारी स्पॉट पर नहीं जाते हैं .

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कागजों पर ही हो रहा काम

एक्टिविस्ट नीलू खान का कहना है कि मछुआरों की हितेषी मीन संचय योजना बंद कर दी गई है. जलाशयों में ठेकेदारी शुरू कर दी गयी है. इसके साथ ही फर्जी स्टॉकिंग हो रही है. प्रदेश मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक पुरुषोत्तम धीमान का कहना है कि मछली पालकों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 हजार के किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं. मछली पालन के लिए जरूरी चीजें खरीदी जा सकें वो काम भी किया . इसके साथ ही महासंघ के चुनाव न होने के सवाल पर प्रबंध संचालक ने कहा कि चुनाव कराने का काम डिप्टी रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव का है और इसके लिए वे अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं.


3 साल में तीन लाख टन मछली उत्पादन का है लक्ष्य

  • प्रदेश में मत्स्य उत्पादन के लिए 4.33 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र है.
  • राज्य में मत्स्य उत्पादन 2018-19 में 1.73 लाख टन, 2019- 20 में 2.00 लाख टन और 2020-21 में दिसंबर तक 1.6 3 लाख टन रहा है.
  • विभाग के लिए वर्ष 2019 में 104 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान रखा गया जिसे बढ़ाकर अब 120 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
  • 3 साल में तीन लाख मैट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
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