भोपाल। मिनिट भर को उस स्टेट ऑफ माइंड में जाइए जब आप निराशा के उस भंवर में हो जहां से निकल पाना मुश्किल लगा था. मिनिट भर को उस लम्हे के बारे में सोचिए जब पूरी दुनिया बेगानी सी लगती थी. हताश हो गए थे आप. और याद कीजिए तब आपकी हिम्मत बने उस हाथ से...उस कंधे से मिले सहारे के साथ कैसे मिला था किनारा. free hug campaign वही कंधा है. वही हाथ, जो टूटते लम्हों में आपको संभालने के लिए भोपाल के ही कुछ स्टूडेंट्स ने शुरु किया है. नाज़ुक उम्र में जब परफार्मेंस प्रेशर...पियर प्रेशर और रिलेशनशिप के ब्रेकअप के बाद यूथ को संभालने के लिए है ये कैम्पेन. फ्री हग...के तजुर्बे से अलग विस्तार में इन दो शब्दों के मायने अवसाद में खुदकुशी की राह थाम रही नौजवान पीढ़ी को संभाल लेने की कोशिश है. और दिलचस्प ये कि ये कोशिश भी भोपाल के ही स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के ल़ड़कियों की है. ये कोशिश इसलिए जरूरी है, क्योंकि एनसीआरबी के आंकड़े में खुदकुशी के मामले में तीसरे नंबर पर है एमपी.
क्या है ये फ्री हग और किसलिएः भोपाल के कॉलेज और स्कूल जाने वाले कुछ दोस्तों को लगा कि हमारी ही उम्र के बच्चे अपनी बात अपने पैरेंट्स को अपने दोस्तों को नहीं कह पाते. और हालात से हारकर दुनिया से विदा कह जाते हैं. तो इन 36 नौजवानों ने मिलकर लेट्स स्पीक अप कैम्पेन शुरू किया. ये मेंटल हेल्थ awareness campaign है. इस कैम्पेन से जुड़ी सिध्दि बताती हैं, हमारा ये कैम्पेन हर उस व्यक्ति तक पहुंचने के लिए है जो अपनी कहानी अपना दर्द बताने के लिए तैयार नहीं है. हम उसका कंधा बनना चाहता है. उसे बताना चाहते हैं कि हम बगैर जज किए केवल तुम्हे मुस्कुराते देखने के लिए तुम्हारे साथ खड़े हैं. आओ गले लग जाओ और भूल जाओ जो हुआ. इसी कैम्पेन से जुड़ी काव्या आगे बताती हैं, हमारी फाउंडर ने इसी के लिए फ्री हग का प्रयोग किया. आप बताइए इस वक्त सबसे मुशअकिल है किसी को वक्त देना. फ्री हग का जो Concept है यही कि आप जब किसी को गले लगाते हैं. हिम्मत हौसला देते हैं वो दर्द भूल जाता है उसे लगता है कि उसके साथ कोई है.
फ्री हग के साथ काउंसलर्स की भी मदद लेंगेः फ्री हग कैम्पेन के साथ अब lets speak up कैम्पेन में प्रोफेशनल काउंसलर्स की भी मदद ली जाएगी. हालांकि ये फ्री ऑफ कॉस्ट होगी. सिध्दि बताती हैं, हम अपने आस-पास की दुनिया में लोगों की खोई मुस्कान लौटाने के लिए जो कोशिश कर सकते हैं करेंगे.
खुदकुशी के मामले में तीसरे नंबर पर एमपीः इस तरह के कैम्पेन की जरूरत इसलिए भई है कि क्योंकि 2021 के एनसीआरबी के आंकड़े डराने वाले हैं. जो ये बताते हैं कि suicide के मामले में तीसरे नंबर पर है मध्यप्रदेश. एक साल के भीतर मध्यप्रदेश में 14 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी मर्जी से मौत को गले लगाया है. इनमें घरेलू विवाद के अलावा अवसाद आर्थिक तंगी और बीमारी सबसे बड़ी वजह निकल कर आई हैं. सबसे चौंकाने वाली बात ये कि इनमें वो युवा भी जो कैरियर बनाने की उम्र में बेहद आसानी से जीवन का मोह छोड़ रहा है.