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ड्रिंक एंड ड्राइव बना सड़क हादसों की बड़ी वजह, साल 2020 में 246 लोगों की गई जान

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Published : Dec 18, 2020, 2:37 PM IST

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सांकेतिक फोटो

शराब पीकर गाड़ी चलाना पूरे देश में बड़ी समस्या है. आए दिन शराब के नशे में ड्राइव करने की वजह से ना जानें कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. यातायात पुलिस भी ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. बावजूद इसके लोग कानून की धज्जियां उड़ाते हैं और अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. आकंड़ें बताते हैं कि तो ड्रिंक एंड ड्राइव के चलते मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कुल 1030 सड़क हादसे हुए हैं. इन हादसों में 246 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है... देखिए ये खास रिपोर्ट...

भोपाल। मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इन हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह ओवर स्पीडिंग मानी जाती है, लेकिन तेज रफ्तार वाहन चलाने के साथ-साथ शराब पीकर वाहन चलाना भी हादसों के पीछे की एक मुख्य वजह है. बीते साल की ही बात करें तो ड्रिंक एंड ड्राइव के चलते एक हजार से ज्यादा हादसों में 241 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. जो प्रदेश में हुए कुल हादसों में हुई मौतों का आठ फीसदी है.

ड्रिंक एंड ड्राइव बना सड़क हादसों की बड़ी वजह
ड्रिंक एंड ड्राइव सड़क हादसों की बड़ी वजह

मध्यप्रदेश में सड़क हादसों की बात करें, तो यहां हादसे साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं और इनमें होने वाली मौतों का आंकड़ा भी दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है. हर साल हजारों वाहन चालकों को लापरवाही के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीडिंग है. तेज रफ्तार वाहन चलाने के चलते ही प्रदेश भर में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है. इन हादसों के पीछे दूसरा सबसे बड़ा कारण शराब पीकर वाहन चलाना है. पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद भी शराब पीकर वाहन चलाने और उन में होने वाले हादसों में कमी नहीं आ रही है. बीते साल यानी 2019 की ही बात करें, तो ड्रिंक एंड ड्राइव के चलते मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कुल 1030 सड़क हादसे हुए हैं. इन हादसों में 246 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है. तो वहीं 152 वाहन चालक गंभीर रूप से घायल हुए हैं और इन हादसों में 887 लोगों को हल्की चोटें आई हैं.

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सांकेतिक तस्वीर

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पुलिस के पास नहीं है पर्याप्त सुविधाएं

शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और यह पता लगाने के लिए कि वाहन चालक ने शराब का सेवन किया है या नहीं. इसके लिए पुलिस के पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं है. यातायात पुलिस के पास शराबी वाहन चालकों का पता लगाने के लिए ब्रीथ एनालाइजर होता है, लेकिन राजधानी भोपाल में ही इसका उपयोग पूरी तरह से नहीं किया जा रहा है. तो दूरदराज के अंचलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. पुलिस केवल वाहन चालकों की हरकतों और उनका मुंह सूंघकर पता लगाती है कि, वाहन चालक ने शराब पी है या नहीं. वहीं कोरोना काल में पुलिस शराबियों के मुंह सूंघने में भी कतरा रही है. इसके चलते पुलिस शराबी वाहन चालकों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं कर पा रही है.

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पिछले 5 सालों में सड़क हादसों में हुई मौतों के आंकड़े पर नज़र डालें तो-

Death toll in road accidents
सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या

शराबी चालकों के खिलाफ 10 हजार का जुर्माना

सड़क हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए परिवहन विभाग ने नियमों में फेरबदल किए थे. वाहन चालकों को नियमों का पालन करवाने के लिए जुर्माने की राशि को बढ़ाया गया था. इसके तहत शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर पहले महज दो हजार रुपये का जुर्माना था लेकिन नियमों को बदलकर इसकी राशि 10 हजार रुपये तक बढ़ाई गई है. विभाग का मानना है कि भारी-भरकम जुर्माने की राशि के डर से वाहन चालक कुछ हद तक नियमों के प्रति जागरूक होंगे. पर इसका कोई ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि कई मामलों में शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोगों को कोर्ट के जरिए दंडित भी किया गया है और पांच हजार से लेकर दस हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला गया है. बावजूद इसके वाहन चालक यातायात के नियमों को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

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सांकेतिक तस्वीर

हर साल मनाया जाता है सड़क सुरक्षा सप्ताह

मध्य प्रदेश के सभी जिलों में हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है. इस दौरान वाहन चालकों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इसके अलावा समय-समय पर पुलिस जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है. इसके बाद भी सड़क हादसों का ग्राफ घटने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. कई बार वाहन चालक भी यातायात के नियमों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. सिग्नल जंप करना और तेज गति से वाहन चलाने के अलावा शराब पीकर वाहन चलाने के चलते सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना होती है. हालांकि इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले सड़क हादसों और मौतों में 28 फीसदी की कमी हुई है. यह कमी कहीं न कहीं प्रदेश भर में कोविड-19 के चलते लगे लॉकडाउन के कारण मानी जा रही है.

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