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राम मंदिर निर्माणः चंपत राय और अनिल मिश्र की जिम्मेदारियों को किया जा सकता है कम

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Published : Jul 9, 2021, 9:30 PM IST

चित्रकूट में चल रही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की प्रांत प्रचारकों की बैठक में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र को भी बुलाया गया है. सूत्रों के अनुसार चंपत राय और अनिल मिश्र की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है.

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अयोध्या/भोपाल। चित्रकूट में चल रही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की प्रांत प्रचारकों की बैठक में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा निर्णय हो सकता है. संघ के प्रांत प्रचारकों की बैठक में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र को भी बुलाया गया है. सूत्रों के अनुसार मंदिर निर्माण में अहम निर्णय लेने वाले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के महासचिव चंपत राय और सदस्य अनिल मिश्र की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है. ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा को भी संघ की किसी और शाखा से जोड़कर उन्हें ट्रस्ट की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सकता है. हालांकि अभी इन फैसलों पर अंतिम मुहर नहीं लगी है.

चित्रकूट में 2 दिनों से चल रही बैठक में इस बात पर गहन मंथन चल रहा है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के विस्तार के लिए ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीनों को लेकर उठे विवाद के लिए जिम्मेदार कौन है. अगर कहीं चूक हुई है तो कैसे हुई है, जमीन खरीद के पूरे प्रकरण में अहम भूमिका किसकी थी. इसलिए संघ के बड़े नेता मंदिर निर्माण की पूरी प्रक्रिया में सीधी नजर रखेंगे. इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम संघ के प्रमुख नेता भैया जी जोशी का आ रहा है. जिनके नाम पर इस बात की भी चर्चा है कि ट्रस्ट से जुड़े सभी प्रमुख फैसलों पर भैया जी जोशी का दखल होगा और बिना उनकी जानकारी के निर्माण कार्य से जुड़े फैसले नहीं लिए जाएंगे.

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बता दें कि अयोध्या में मंदिर निर्माण विस्तार की योजना को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में खरीदी गई जमीनों की कीमत और विवादास्पद जमीनों को खरीदे जाने का मामला जब चर्चा में आया तो उसमें सबसे प्रमुख नाम ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा का भी था. जमीन के ज्यादातर सौदों में गवाह के तौर पर अनिल मिश्र की मौजूदगी थी. आरोप तब और गंभीर हो गए जब 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ 50 लाख में खरीदने को लेकर विवाद हुआ. इस जमीन के सौदे में अनिल मिश्र और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह के रूप में शामिल रहे. अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण पांडे पवन ने ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर जमीन खरीद में आर्थिक भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था. सूत्रों की मानें तो इसी वजह से चंपत राय और अनिल मिश्रा को जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सकता है.

जमीन खरीद पर लगी रोक
चित्रकूट में चल रहे संघ के चिंतन शिविर में अयोध्या के अलग-अलग इलाकों में ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीनों के स्वामित्व पर सवाल उठने, कम कीमत की जमीनों को महंगे दामों पर खरीदने और इन सभी सौदों में ट्रस्ट के सदस्यों और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय की भूमिका सामने आने के बाद निर्णय लिया गया है कि इस पूरे प्रकरण की सत्यता सामने आने तक ट्रस्ट कोई भी जमीन अयोध्या में नहीं खरीदेगा. वहीं, चित्रकूट में संतों से मुलाकात के दौरान चंपत राय ने यह कहा है कि अगर आवश्यकता पड़ी तो कोर्ट में लिखित साक्ष्य देकर अपना पक्ष रखेंगे. बताते चलें कि चित्रकूट में बीते 2 दिनों से संघ का चिंतन शिविर चल रहा है.

ट्रस्ट पहले ही अपने सदस्यों को दे चुका है क्लीनचिट
बता दें की जमीन खरीद मामले को लेकर चाहे जितने आरोप लगे हो लेकिन इन आरोपों के बाद ट्रस्ट ने अपनी ही जांच में ट्रस्ट के सभी सदस्यों और महापौर ऋषिकेश उपाध्याय को क्लीन चिट दे दी है. 1 सप्ताह पूर्व ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज ने अयोध्या में ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की थी और उसके बाद मीडिया के सामने आकर साफ-साफ कहा था कि उन्होंने अपने अधिवक्ताओं के जरिए जमीन खरीद की पूरी प्रक्रिया पर गहन निरीक्षण किया. सब कुछ सही पाया है, कहीं से कोई अनियमितता नहीं की गई है. अब बड़ा सवाल यह है कि जब ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष ने अपनी जांच में सब कुछ सही पाया है तो आखिरकार संघ की बैठक में इस पूरे प्रकरण को लेकर चर्चा क्यों हो रही है. जाहिर तौर पर कहीं कुछ न कुछ चूक जरूर हुई है. जिसकी पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए संघ के बड़े नेता कुछ बड़े फैसले ले सकते हैं.

सेवा कार्यों की होगी समीक्षा और भविष्य की बनेगी योजना
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक साल जुलाई में होती है. पिछले वर्ष चित्रकूट में ही प्रस्तावित बैठक कोरोना की परिस्थितियों में नहीं हो पायी थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में हो रही इस बैठक में वैसे तो देशभर में संघ द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों पर चर्चा होगी. लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां पर देश की मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा न हो. जब देश की मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा होगी तो निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश की सियासत भी उसमें शामिल होगी. अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बैठक में उत्तर प्रदेश समेत अन्य चुनावी राज्यों को लेकर संघ विशेष कार्य योजना तैयार कर सकता है. इसके साथ ही कोरोना के संक्रमण से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए स्वयंसेवकों द्वारा किये गये देशव्यापी सेवा कार्यों की समीक्षा की जाएगी. अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीरे सामान्य हो रहे जनजीवन को देखते हुए संघ शाखाओं के संचालन की समीक्षा और योजनाओं पर बैठक में चर्चा होनी है. संघ शिक्षा वर्ग तथा विभिन्न प्रकार के संघ कार्यों का आंकलन किया जाएगा.

13 जुलाई तक चलेगी बैठक
9 और 10 जुलाई को 11 क्षेत्रों के ‘क्षेत्र प्रचारक’ तथा सह क्षेत्र प्रचारकों की बैठक हुई. इसमें विशेष रूप से सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले एवं सभी पांचों सहसरकार्यवाह उपस्थित रहे. 12 जुलाई को देशभर के संघ रचना के अनुसार सभी 45 प्रांतों के प्रांत प्रचारक एवं सह प्रांत प्रचारक ऑनलाइन माध्यम से जुड़ेंगे. 13 जुलाई को विविध संगठन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री ऑनलाइन माध्यम से बैठक में शामिल होंगे.

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