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Reality check ETV Bharat: फिर पैर पसार रहा कोरोना , देश मे तीसरी लहर की आहट ,फाइटबैक के लिए कितना तैयार भिंड?

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Published : Dec 9, 2021, 7:55 PM IST

Corona third wave
फिर पैर पसार रहा कोरोना

कोरोना के नए ओमीक्रॉन वेरिएंट ने दुनिया की धड़कनें बढ़ा दी हैं. कितना खतरनाक है ओमीक्रॉन वेरिएंट (dangerous Omicron variant), इसे लेकर रिसर्च जारी है, अब ओमीक्रॉन की वजह से कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जतायी जा रही है. मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसी किसी भी लहर की आशंका को देखते हुए तैयारियां तेज़ कर दी हैं. भिंड ज़िले में कोरोना को लेकर क्या तैयारियां हैं इसका Reality check किया ETV Bharat ने.

भिंड । कोरोना की दूसरी लहर ने जिस कदर तबाही मचाई उसकी बहुत बड़ी वजह तैयारियों की कमी रही. अस्पताल में बेड की कमी से लेकर ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई न होने से मौत का आंकड़ा भी सैकड़ों में रहा. अब कोरोना के नए ओमीक्रॉन वेरिएंट (dangerous Omicron variant) की दस्तक के साथ ही प्रशासन फिर अलर्ट हो गया है (Corona third wave preparation). मध्यप्रदेश सरकार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. भिंड ज़िले में कोरोना की आहट के बीच तैयारियों का जायज़ा लिया ईटीवी भारत ने (Bhind Ground Zero)(Reality check ETV Bharat).

ओमीक्रॉन से निपटने को तैयार मध्यप्रदेश

कर्नाटक में ओमीक्रॉन की दस्तक (Omicron danger) के बाद देश के हर राज्य ने कोरोना को लेकर तैयारियां तेज़ कर दी हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूरी कैबिनेट को उतार दिया है जो तैयारियों पर नज़र रखेंगे. टीकाकरण तेज़ करने से लेकर ज़रूरी दवाइयां और अस्पताल में सुविधाओं पर नज़र रखने के आदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं.

तीसरी लहर आयी तो नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी (No shortage of Oxygen)
कोरोना की दूसरी लहर में भिंड ज़िले में करीब 2 हज़ार केस सामने आए थे. दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से स्थिति काफी बिगड़ी थी. एक अनुमान के मुताबिक ऑक्सीजन की कमी से करीब 200 मरीजों की मौत हुई हालांकि सरकारी आंकड़ों में ऑक्सीजन की कमी से मरने वालो की संख्या न के बराबर मानी गयी. हर तरफ ऑक्सीजन की मारामारी को देखते हुए सरकार ने सभी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट बनवाये लेकिन तब तक दूसरी लहर खत्म हो चुकी थी. लेकिन अब भिंड में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. ओमीक्रॉन के कारण अगर तीसरी लहर आती है तो उससे निपटने के लिए भिंड में ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. ज़िले में 5 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं और सभी चालू स्थिति में हैं. इनमें 300 बेड के जि़ला अस्पताल में 3 प्लांट, 1 गोहद और एक प्लांट लहर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाया गया है. जिला अस्पताल में लगाये गए ऑक्सीजन प्लांट 1000 Lpm, 850 Lpm और 250 Lpm ऑक्सीजन जेनरेट करते हैं जबकि लहार और गोहद में 200 Lpm के प्लांट लगाए गए हैं जो किसी भी ज़रूरत से निपटने में सक्षम होंगे.

20 लाख की आबादी पर 6 वेंटीलेटर, वह भी नर्सिंग स्टाफ के भरोसे
भिंड ज़िले में वेंटिलेटर की सुविधा तो है लेकिन उनकी संख्या काफी कम है. भिंड ज़िले में मात्र 6 वेंटीलेटर ही उपलब्ध हैं जबकि भिंड की आबादी 20 लाख है यानी प्रति 3 लाख 33 हज़ार लोगों के बीच 1 वेंटीलेटर होगा. इतना ही नही भिंड ज़िले में इन वेन्टीलेटर्स को ऑपरेट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास ट्रेन्ड नर्सिंग स्टाफ तो है लेकिन विषम परिस्थितियों में किसी टेक्निकल समस्या को क्या वो हैंडल कर पाएंगे, क्या मरीज की जान बचाई जा सकेगी ये बड़ा सवाल है. भिंड ज़िला स्वास्थ्य विभाग ने एक भी वेंटीलेटर ऑपरेटर की भर्ती नहीं की है.

पीडियाट्रिक अलर्ट, बच्चो के लिए पूरी तैयारी
WHO ने अलर्ट जारी किया है कि ओमीक्रॉन वेरिएंट से 5 से 14 साल के बच्चों को काफी खतरा है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों में पीडियाट्रिक वार्डस और ICU बनवाये गए हैं. भिंड ज़िले में भी बच्चों के लिए 25 बेड का ICU और SNCU तैयार किया गया है. इसके लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था भी सीधे डेडिकेटेड ऑक्सीजन प्लांट से की गई है.

प्रशासन की अनदेखी से बिगड़ सकते हैं हालात
प्रशासन को एहतियात के लिए जो कदम उठाने चाहिए उनमें ढिलाई नज़र आ रही है.पिछली दो लहरों में केस आने से पहले ही थर्मल स्क्रीनिंग और मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई थी लेकिन इस बार ऐसा नज़र नहीं आ रहा. भिंड ज़िले की बात करें तो इसकी सीमा ग्वालियर, मुरैना, दतिया के अलावा उत्तर प्रदेश के इटावा और जालौन से भी जुड़ती है. हज़ारों यात्री और वाहन भिंड ज़िले में बाहर से आते और यहां से गुज़रते हैं लेकिन किसी तरह की जांच न होने से संक्रमण का खतरा फिर बढ़ने लगा है. जहां भोपाल में बाहरी लोगों के आने पर RTPCR जांच कम्पलसरी कर दिया गया है वहीं भिंड ज़िले में कलेक्टर अभी शासन के आदेश न मिलने की बात कहते हैं.

कोरोना तैयारियों पर भिंड कलेक्टर
अब यहां नहीं होती कोरोना टेस्टिंगभिंड ज़िले में भी टीकाकरण पर फोकस (Covid Vaccination) है लेकिन इसके उलट अब न तो फीवर क्लीनिक संचालित हो रहे हैं, न ही कहीं आने जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है,यहां तक कि संदिग्ध मरीजों के लिए भी कोविड टेस्ट या RTPCR पूरी तरह बंद कर दिया गया है. बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और ज़िले की सीमाओं पर थर्मल स्क्रीनिंग और रैपिड एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था कर बचाव सुनिश्चित किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग या ज़िला प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है. न सोशल डिस्टेन्सिंग, न चेहरे पर मास्कप्रशसन की ढिलाई को देखते हुए खुद एहतियात बरतना ही कोरोना से बचाव का कारगर उपाय है. चेहरे पर मास्क, सोशल डिस्टेन्सिंग, हाईजीन का पालन कोरोना की तीसरी लहर से बचाव में भी कारगर होगा. हालांकि भिंड में भीड़ भाड़ वाली जगहों से लेकर शादी समारोह राजनीतिक कार्यक्रमों में कहीं भी मास्क और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन नहीं दिखता जिससे आने वाले समय में बड़ा खतरा हो सकता है.
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