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आने वाले हैं 'अन्नदाता के अच्छे दिन', सरकार किसी की भी बने किसानों की चमक सकती है किस्मत, जानिए कैसे फlयदे में हैं 'भूमिपुत्र'

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 8:10 AM IST

MP Farmers Good Days: मध्य प्रदेश में विधानसभा 2023 के लिए मतदान प्रक्रिया तो पूरी हो चुकी है, लेकिन अब इंतजार मतगणना का है, क्योंकि यह मतगणना न सिर्फ प्रत्याशियों का भविष्य तय करेगी बल्कि बनने वाली सरकार मध्य प्रदेश के किसानों के फायदे का भाव भी बताएगी. अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने या BJP की, लेकिन दोनों ही सूरतों में मुनाफा किसानों का होने वाला है. आइये जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है.

MP Farmers Good Days
किसानों की चमक सकती किस्मत

MP Election 2023: चुनाव के समय सत्ता सुख के लिए लड़ रहे राजनैतिक दल तमाम वादे और दावों के साथ चुनावी मैदान में उतरते हैं. उनका फोकस हर उस वर्ग को लुभाने का होता है, जहां से उन्हें समर्थन की उम्मीद नज़र आती है. ऐसा ही एक बड़ा वर्ग देश में किसानों का है और मध्यप्रदेश तो फेमस ही कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए है. ऐसे में जब 2023 के विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही अपने घोषणा पत्रों में अन्नदाताओं के लिए सौगातों का पिटारा खोलने का वादा कर दिया है. अगर वादे पूरे किए गए तो किसानों के लिए 'खेती लाभ का धंधा' बन जाएगी. क्योंकि अब तक की सबसे अधिक समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी से लेकर फ्री बिजली और कर्जमाफी जैसे चुनावी वादे दोनों प्रमुख राजनैतिक दल कर चुके हैं.

आखिर किसान पर फोकस क्यों? ये सभी जानते हैं कि किसान हमेशा से राजनीति की धुरी रहा है. हर चुनाव में किसान मतदाता अपनी अहम भूमिका निभाता है. किसी मुद्दे पर न झुकने वाली मोदी सरकार भी किसानों के विरोध और आंदोलन के बाद अपने ही बनाये तीन काले कानूनों को वापस लेने पर मजबूर हो गई थी. ऐसे में लोकतंत्र में अन्नदाता की पावर पर संदेह नहीं किया जा सकता. ऊपर से अब ठीक 6 महीने बाद देश में लोक सभा के चुनाव हैं, जिनमें मध्यप्रदेश की 29 सीटों के लिए दोबारा कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने होंगे. ऐसे में किसानों का साथ जिसको मिलेगा जीत का सेहरा भी वही दल पहनेगा, इसके चलते सरकार में आते ही अन्नदाता से किए चुनावी वादे जल्द से जल्द पूरा करना भी सत्ता में आने वाले दल के लिए मजबूरी बनने वाली है.

कांग्रेस ने किया है कर्जमाफी का वादा: हाथ को आया मुंह न लगा, ये कहावत मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी पर सटीक बैठती है. क्योंकि 2018 में उन्हें जनादेश के तहत सरकार बनाने का मौका तो मिला लेकिन जब तक सरकार की विकास गाड़ी पटरी पर दौड़ती अचानक उनकी पटरियां ही गायब हो गईं. उस दौरान भी कांग्रेस की किसानों के लिए कर्जमफी योजना ने काफ़ी प्रभाव दिखाया था और उसी के बल पर सत्ता सुख पाया था. खैर जो हुआ सो हुआ लेकिन 23 के विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी दल ने फिर किसानों की 2 लाख रुपए तक की कर्जमाफी का मुद्दा चुनाव के लिए घोषणा पत्र में शामिल किया है.

वादे पूरा करना कांग्रेस के लिए जरूरी: इसके साथ-साथ कांग्रेस ने किसानों का बकाया बिजली बिल माफ करने और फसल की सिंचाई के लिए पांच हॉर्सपावर तक के पानी के पंप के लिए मुफ़्त बिजली देने के साथ साथ 10 एचपी पंप पर इलेक्ट्रिसिटी बिल हाफ किए जाने का भी वादा किया है. अपने वचनपत्र में 'मेरा ट्रांसफ़ॉर्मर मेरा खेत, मेरा कुँआ मेरा खेत और मेरा खेत मेरा तालाब' जैसी योजनाओं के लिए भी दो लाख तक का कर्ज माफ करने का ज़िक्र किया है. वहीं एमएसपी पर फसल खरीदने को लेकर भी अभी से गेहूं के लिये 2600 और धान के लिये 2500 रुपए का समर्थन मूल्य तय कर दिया है. ऐसे में चुनाव जीते तो लोकसभा चुनाव से पहले ही इन सभी वादों को पूर्व करना कांग्रेस के लिए बहुत जरूरी होगा.

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भाजपा ने किसानों से किए कौनसे वादे? वैसे ही बीजेपी 2018 की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में डामाडोल नजर आ रही है. लेकिन पार्टी ने किसानों के लिए चुनाव से पहले ही घोषणा करना शुरू कर दिया था कि, सरकार में आये तो किसानों का गेहूं 2700 रुपए और धान की फसल 3100 रुपए के समर्थन मूल्य पर सरकार खरीदेगी. वहीं, पीएम किसान सम्मान निधि के 6000 रुपए के साथ साथ मिलने वाली राज्य शासन की सीएम किसान कल्याण निधि की राशि भी 4 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 6 हजार रुपए कर दी जाएगी. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए जारी होने वाली यह सहयोग राशि की किस्ते हर दो महीने में किसानों के खाते में पहुंचेंगी. इस तरह सालभर में किसानों के खातों में कुल 12 हजार रुपए सहयोग राशि के रूप में पहुंचेंगे.

दोनों तरफ किसानों को फायदा: अब दोनों ही राजनैतिक दलों में से सरकार जिसकी भी बने लेकिन फायदे में तो अन्नदाता के रहने की उम्मीद नजर आ रही है. ये माना जा रहा है कि अगर सरकार में आये किसी भी दल ने अपने वादों को अमलीजामा पहना दिया तो एमपी के किसानों के वाकई अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे.

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मध्यप्रदेश में चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों की घोषणाओं के विश्लेषण के आधार पर है, इनमें किसी प्रकार के बदलाव के लिए ETV भारत जिम्मेदार नहीं माना जाएगा.

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