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Bhind News: आजाद अध्यापक संघ का शंखनाद,ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए आंदोलन का आगाज,CM को दी रक्षाबंधन तक की डेडलाइन

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Published : Jul 24, 2023, 7:19 AM IST

विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी विभागों के कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं. इसी क्रम में भिंड में शहीद चंद्र शेखर आज़ाद की जयंती अवसर पर आजाद अध्यापक संघ के बैनर तले भिंड ज़िले में सीनियरिटी और पुरानी पेंशन बहाली की मांग का शंखनाद हुआ.

Bhind News Azad Teachers Union protest
आजाद अध्यापक संघ का शंखनाद,ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग

आजाद अध्यापक संघ का शंखनाद,ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग

भिंड। रविवार को चंद्रशेखर आजाद की जयंती के मौक़े पर भिंड जिला मुख्यालय पर हजारों की तादाद में इकट्ठा हुए कर्मचारियों ने आजाद अध्यापक संघ की प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी सिवान के नेतृत्व में सरकार से ओपीएस और वरिष्ठता की मांग रखते हुए मंच से शंखनाद कर आंदोलन का आगाज किया. साथ ही मंच से सरकार के मुखिया सीएम शिवराज को चेतावनी भी दी है की रक्षाबंधन तक यदि इन मांगों को लेकर सरकार ने सीधे चर्चा नहीं की तो आने वाले चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम की लड़ाई लड़ रहे लाखों कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य बीजेपी का बहिष्कार करेंगे.

एक हजार भी नहीं मिल रही पेंशन : शिल्पी शिवान का कहना है कि प्रदेश के कर्मचारियों की वरिष्ठता सरकार ने धोखे से शून्य कर दिया है. ऐसे में उसे फिर से बहाल करने के साथ पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए. एनपीएस के तहत रिटायर हुए कर्मचारियों की आर्थिक स्थित ख़राब हो चुकी है. जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष देकर नौकरी करने के बाद उन्हें पेन्शन के रूप में सरकार 400 से 1300 रुपये मिल रहे हैं. क्या इतने रुपये में किसी परिवार का गुजर हो सकता है. ऐसे में सरकार को अपनी गलती मानकर उसे सुधारने की ज़रूरत है. 1998 के बाद सेवा में आये शिक्षक, स्वास्थ्य कर्मचारी और पंचायत सचिवों की पिछली सेवा को शून्य घोषित कर 2007 से नियुक्त माना गया.

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बार-बार शून्य घोषित किया कार्यकाल : इसके बाद सरकार ने फिर 2018 में एक बार फिर इन कर्मचारियों की सेवा को शून्य घोषित कर एफ़िडेविट साइन करवा कर 2018 से नियुक्त माना. इन हालातों में 30 साल की सेवा देने के बाद भी नियम अनुसार उनके समस्त कार्यकाल के 30 वर्ष पूर्ण करने की शर्त पूरी नहीं होती. जिसके परिणामस्वरूप शासकीय कर्मचारी की पेंशन एक हजार रुपए से कम बन रही है. महंगाई के हिसाब से तो इतने में घर चलाना क्या, रसोई गैस का सिलेंडर तक नहीं ख़रीदा जा सकता. अगर रक्षाबंधन तक सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी या उन्हें बातचीत के लिए नहीं बुलाया तो आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए तैयार रहें.

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