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Betul MP News : कीचड़ से सराबोर होकर, खतरनाक नाले पार कर… आओ स्कूल चलें हम

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Published : Jul 21, 2022, 6:00 PM IST

बैतूल जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां नदी-नालों को पारकर बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं. मांडवी, जोगली, जोडियामऊ व कोयालरी में अगर आप बच्चों को स्कूल जाने की जद्दोजहद देखेंगे तो आश्चर्य करेंगे कि ये हैं विकास के दावे. खतरनाक नालों को जान हथेली पर रखकर छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं. (School children cross dangerous drains) (villages misery of Betul district)

School children cross dangerous drains
खतरनाक नाले पार कर आओ स्कूल चलें हम

बैतूल। जनप्रतिनिधियों के हवा-हवाई विकास के दावों को सुनकर तो ऐसा लगता है कि अब कहीं भी किसी सुविधा की जरा भी जरूरत ही नहीं रह गई है. लेकिन शहरों से हटकर आसपास के ग्रामीण अंचलों पर ही निगाहें घुमा ली जाए तो इन दावों की हकीकत सामने आ जाती है. स्थिति यह है कि आज भी कई ग्रामवासियों को गांव तक पक्की सड़क मुहैया नहीं हो पाई है. बदहाली का आलम यह है कि छोटे-छोटे बच्चे तक सुरक्षित स्कूल पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं. कहीं उन्हें बिना पुल वाले नदी-नाले पर करके जान का खतरा उठाते हुए स्कूल जाना पड़ रहा है तो कहीं घुटनों भर पानी और कीचड़ से लथपथ होकर.

खतरनाक नाले पार कर आओ स्कूल चलें हम

मांडवी में दो साल में नहीं बन पाई पुलिया : बदहाली की ये तस्वीर है बैतूल जिले के आठनेर ब्लॉक के ग्राम मांडवी की है. यहां गांव के पास नाले पर दो साल से पुलिया बन रही है. यह अभी तक पूरी नहीं हुई. आवाजाही के लिए ठेकेदार ने जो एप्रोच रोड बनाई थी, वह भी पिछले दिनों आई बाढ़ में बह गई. उसका सुधार करवाने में किसी की भी रुचि नहीं है. इस हालत में नाला पार करते हुए 10 दिन पहले गांव का एक 35 साल का व्यापारी बह चुका हैय इसी नाले को पार करके रोजाना सौ से अधिक बच्चों को स्कूल जाना होता है. अब रोज पालक यहां मौजूद रहकर बच्चों को नाला पार करा रहे हैं.

हमेशा बना रहता है हादसे का डर : बारिश में यदि कभी किसी कारण से किसी बच्चे के पालक नहीं आ पाए तो वह हादसे का शिकार हो सकता हैं. यही नहीं समूह में बच्चों को नाला पार करवाते समय अचानक बाढ़ आ जाए तो भी बड़ा हादसा हो सकता है. इन सबकी किसी को चिंता नहीं है. एक युवक के बह जाने के बाद भी ना एप्रोच रोड सुधारने की सुध पंचायत ने ली, ना जनपद ने और ना ही ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने. ग्रामीण तल्ख अंदाज में सवाल करते हैं कि अधिकारी यहां और कितने लोगों के बहने का इंतजार कर रहे हैं ?

School children cross dangerous drains
खतरनाक नाले पार कर आओ स्कूल चलें हम

28 करोड़ का स्कूल बना लेकिन रोड नहीं : बदहाली की दूसरी तस्वीर बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के नेशनल हाईवे पर बसे ग्राम जोगली की है. यहां ग्रामीण अंचल की बालिकाओं को उत्कृष्ट शिक्षा और खेल सुविधाएं देने शासन ने 28 करोड़ की लागत से कन्या शिक्षा परिसर बनाया है. करोड़ों का यह परिसर तो बन गया है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए सुव्यवस्थित मार्ग आज तक नहीं बन पाया है. ऐसे में कन्या परिसर जाने वाले बच्चों और शिक्षक-शिक्षिकाओं को घुटने भर पानी भरे मार्ग से होकर जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. इसी तरह किसानों को भी अपने खेत इसी मार्ग से होकर गुजरना पड़ रहा है. मार्ग पर अधिक पानी आ जाने के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है.

School children cross dangerous drains
खतरनाक नाले पार कर आओ स्कूल चलें हम

कई बार ज्ञापन दिए, सुनवाई नहीं : परिसर स्थित स्कूल में विद्यार्थियों का आना-जाना चालू हो गया है. यह स्थिति अकेले इस साल की नहीं है. हर साल यहां यही स्थिति रहती है. जोगली के ग्रामीण जनकराम गंगारे, ललन वानखेड़े, केदार वानखेड़े, रामभरोस, हौसीलाल गंगारे बताते हैं कि पहले भी इस मार्ग के सुधार के लिए कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. यही कारण है कि बारिश में यहां भारी परेशानी उठानी पड़ती है.

बदहाली की तीसरी तस्वीर देखिए : बदहाली की तीसरी तस्वीर शाहपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत कछार के गांव जोडियामऊ व कोयालरी की है. एक कच्ची सड़क इन ग्रामों को ग्राम पंचायत कछार से जोड़ती है, जिसकी लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है. प्रतिदिन लोगों की आवाजाही इससे होती है. कच्ची सड़क होने की वजह से खतरा बना रहता है. सबसे बड़ी परेशानी हाईस्कूल के बच्चों को होती है. उन्हें रोकना 2 नदी पार करके जाना पड़ता है. बारिश के दिनों में नदी में पुल न होने से बाढ़ के कारण बच्चे हाईस्कूल कछार पहुंच नहीं पाते.

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पुल का भूमिपूजन हो गया, बनेगा कब : ग्रामीणों द्वारा कई बार पंचायत विभाग, शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधियों से मांग की गई परंतु, आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. ग्रामीणों के मुताबिक पूर्व विधायक सज्जन सिंह उइके जब ग्राम जोड़ियामऊ गए थे, तब उन्होंने नदी पर पुल निर्माण के लिए भूमिपूजन भी कर दिया था. बावजूद इसके आज तक ना तो पुल का निर्माण हुआ न ही पार्टी के पदाधिकारियों या शासन-प्रशासन के अधिकारियों ने इस ओर दोबारा झांककर ही देखा. यही वजह है कि आज भी गांव के लोग परेशान हैं. अभी हो रही भारी बारिश ने आम जनजीवन को तो प्रभावित किया ही है, छोटे बच्चों की भी मुसीबत बढ़ा दी है. (School children cross dangerous drains) (villages misery of Betul district)

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