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MP में पहली बार फल और सब्जियों से होगा दिल, किडनी और लीवर की बीमारियों का इलाज, जानिए क्या है खास

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Published : Aug 24, 2022, 8:10 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 9:07 PM IST

treatment with Nutrition microbiolog in MP
एमपी में फल और सब्जियों से होगा दिल किडनी का इलाज

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में न्यूट्रिशन माइक्रोबायोलॉजी के जरिए अब इलाज किया जाएगा. ये पहला मौका होगा जब मप्र में दिल, किडनी और लीवर की बीमारियों का दवाइयों की जगह फल-सब्जी से होगा. treatment with Nutrition microbiology, Bundelkhand Medical College Sagar

सागर। पिछले कुछ सालों में खान-पान और रहन-सहन के कारण कई बीमारियों में जमकर इजाफा हुआ है, दिल, किडनी और लीवर जैसी गंभीर बीमारियों के बढ़ने की वजह रहन-सहन और खान-पान है. पिछले 100 सालों में फास्टफूड, शुगर और कोल्डड्रिंक जैसी चीजें हमारे खानपान में बढ़ गई हैं, इस तरह के खान-पान को लंबे समय तक संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के केमिकल का उपयोग किया जाता है. लेकिन ये केमिकल हमारे शरीर में पहुंचकर उन फायदेमंद बैक्टीरिया की वृद्धि को रोक देते हैं, जो हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण विटामिन बनाने का काम करते हैं, जिसके कारण ये गंभीर बीमारियां जन्म लेते हैं. इन बीमारियों का इलाज दवा की जगह खानपान में सुधार करके किया जा सकता है और इसे न्यूट्रिशन माइक्रोबायोलॉजी के नाम से जानते हैं. इस पद्धति के जरिए दवाई की जगह मरीजों को ऐसा खाना दिया जाता है,जो फायदेमंद बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ाने का काम करता है. मध्यप्रदेश में पहली बार यह शुरुआत बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से हो रही है. treatment with Nutrition microbiology

एमपी में फल और सब्जियों से होगा दिल, किडनी और लीवर का इलाज

खान-पान में बदलाव गंभीर बीमारियों का कारण: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब के प्रभारी और माइक्रोबायलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुमित रावत बताते हैं कि अभी तक हम लोग मुख्य रूप से वायरस से होने वाली बीमारियों पर काम कर रहे थे, लेकिन अब हम न्यूट्रीशन माइक्रोबायोलॉजी पर भी काम शुरू कर रहे हैं. पिछले करीब 100 सालों में फास्टफूड, शुगर और कोल्ड ड्रिंक जैसी चीजों का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. खानपान में आए बदलाव के कारण जो बीमारियां पहले सुनने नहीं मिलती थीं, लेकिन आज हर दूसरा व्यक्ति डायबिटीज, अर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर, मोटापा, लिवर और किडनी जैसी बीमारियों से परेशान हैं. इस तरह के खान-पान के कारण बच्चों में दिमागी समस्याएं पैदा हो रही हैं, इसकी वजह हमारे भोजन में पोषण की कमी होना है. क्योंकि बाजार में जो फास्टफूड, कोल्ड ड्रिंक और दूसरी चीजें आजकल मिलती हैं, उन्हें लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए ऐसी पैकेजिंग की जाती है कि वह सालों तक खराब नहीं होते हैं. इनमें ऐसे केमिकल उपयोग किए जाते हैं, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. जबकि ताजे फल और सब्जियां दो दिन में ही खराब हो जाते है, ऐसा खाना हमारे शरीर के पोषण पर प्रभाव डाल रहा है और अब बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में न्यूट्रीशन माइक्रोबायोलॉजी पर काम कर रहे हैं. Bundelkhand Medical College Sagar

शरीर में मौजूद फायदेमंद बैक्टीरिया करते हैं विटामिन का निर्माण: डॉ सुमित रावत बताते हैं कि हमारे शरीर में जो अच्छे बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जिन्हें "माइक्रोबायोटा" कहते हैं, ये हमारे मुंह, आंतों, त्वचा और शरीर में अलग-अलग जगहों पर पाए जाते हैं. ये बैक्टीरिया हमारे शरीर में विटामिन सी, विटामिन B-12 और विटामिन बी-1 बनाने का काम करते हैं, क्योंकि मानव शरीर इन बैक्टीरिया के बिना ये विटामिन नहीं बना सकता है. मानव शरीर में विटामिन सी और विटामिन B12 बनाने की क्षमता नहीं होती है, हमारे शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया इन विटामिन को बनाने का काम करते हैं, लेकिन जब हम फास्टफूड, कोल्ड ड्रिंक जैसा खानपान ज्यादा उपयोग करते हैं तो इनमें उपयोग होने वाले केमिकल शरीर के अंदर जाकर फायदेमंद बैक्टीरिया की वृद्धि रोक देते हैं. जिसके कारण बैक्टीरिया से बनने वाले विटामिन हमारे शरीर में बनना बंद हो जाते हैं. विटामिन की कमी के कारण शरीर में सूजन और जलन जैसी समस्याएं बढ़ती हैं, इसी वजह से दिल, लिवर और किडनी की बीमारियां बढ़ जाती हैं.

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मप्र में पहली बार हो रहा न्यूट्रीशन माइक्रोबायोलॉजी से इलाज: भारत में लिवर इंस्टीट्यूट दिल्ली में न्यूट्रीशन माइक्रोबायोलॉजी के जरिए गंभीर बीमारियों का इलाज शुरू किया गया है, इसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में इस तरह इलाज किया जाता है. हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में लगातार रिसर्च की जा रही है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. कई लोगों के मोटापे और डायबिटीज जैसी बीमारियों पर 90% तक नियंत्रण पा लिया गया है, बीएमसी में न्यूट्रिशन माइक्रोबॉयलाजी शुरू करने जा रहे हैं. डॉ रावत ने बताया कि हमारे पास कुछ मरीज हैं, जिनका वजन कम नहीं हो रहा है. जिनको अर्थराइटिस और पेट की तकलीफों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, ये लोग हर तरह की दवाई करा चुके हैं और विदेश में भी इलाज करा चुके हैं,अब इन मरीजों की लाइफ स्टाइल को बदल कर उनका इलाज कर रहे हैं, उनके खानपान में शक्कर और फास्ट फूड बंद करके फल-सब्जी के जरिए उन्हें स्वस्थ बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रोबायोटिक के जरिए भी किया जाता है इलाज: डॉ सुमित रावत बताते हैं कि न्यूट्रिशन माइक्रोबायोलॉजी में खानपान सुधार करके इलाज किया जाता है, अगर इसके बाद सुधार नहीं होता है, तो हम प्रोबायोटिक्स जैसे दही, याकुल्ट, खमीर और दही की तरह एक उत्पाद जैसे कीफर बोलते हैं, जिसका उपयोग दक्षिण अमेरिका और यूरोप में काफी होता है. इन प्रोबायोटिक्स द्वारा भी लोगों का इलाज करते हैं, इस तरह के कई सफल प्रयोग सामने आए हैं. कई लोग ऐसे थे जिनकी लीवर ट्रांसप्लांट की स्थिति बन गई थी, लेकिन उनका लिवर फिर अच्छे से काम करने लगा है.

Last Updated :Aug 24, 2022, 9:07 PM IST
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