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बुंदेलखंड में जारी हैं बाल विवाह, लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने से क्या कुप्रथा पर लग जाएगी रोक?

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Published : Jan 18, 2022, 2:20 PM IST

सागर। मोदी सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की उम्र बढ़ाकर (Marriage of Minors) 21 साल कर दी है. उसके बाद भी बुंदेलखंड़ सहित कई पिछड़े इलाकों में में बाल विवाह जारी हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि शादी की उम्र बढ़ने के बाद बाल विवाह में और वृद्धि होगी. वहीं जानकारों का कहना है कि कानून बनाने के साथ—साथ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है.

The Prohibition of Child Marriage Act
बुंदेलखंड में बालविवाह जारी

सागर। मोदी सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की (Marriage age of women 21) कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला लिया है. पुरुषों के लिए शादी की कानूनी उम्र 21 साल है. इस फैसले के साथ पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी की उम्र बराबर हो जाएगी. हालांकि सरकार के इस फैसले के बाद विरोध के सुर भी उठे हैं. जहां पिछड़े इलाकों में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल होने पर भी बड़े पैमाने पर बाल विवाह के मामले सामने आते थे, वहां 21 साल उम्र होने पर ऐसे मामले और बढ़ जाएंगे, खासकर बुंदेलखंड में. क्योंकि यहां आज भी बाल विवाह (Bundelkhand child marriage) के मामले सामने आते रहते हैं. जिनके आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक कारण भी होते हैं. ऐसी स्थिति में नए कानून को लागू कराने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी.

केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला

15 अगस्त 2020 को लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि बेटियों को कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी उचित समय पर शादी की जाए. इस ऐलान के बाद एक टास्क फोर्स और रिसर्च कमेटी गठित कर इस प्रस्ताव पर विचार किया गया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में संशोधन करके लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल की जगह 21 साल की जाएगी, और 15 दिसंबर 2021 को इसे पारित भी कर दिया गया.

शादी की उम्र 21 करने से क्या रूकेंगे बालविवाह

संसद में पेश हुआ संशोधन विधेयक

पीएम मोदी के ऐलान के बाद गठित टास्क फोर्स की रिसर्च के आधार पर इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. 15 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संशोधन विधेयक को पटल पर रखा. जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया, साथ ही कई तरह के सवाल सामने आए. धार्मिक और सामाजिक स्तर पर भी विरोध हुआ था. सबसे बड़ा सवाल था कि जब 18 साल की उम्र में लड़की को बालिग मान लिया जाता है और वह अपने फैसले कर सकती है, तो फिर शादी की उम्र 21 साल करने का औचित्य नहीं है. काफी हंगामे के बाद विधेयक स्थाई समिति को भेज दिया गया है, जिसकी मुहर के बाद इसे लागू किया जाएगा.

बुंदेलखंड में जारी है बाल विवाह

भारत में बाल विवाह ​आज भी चिंता का विषय है. ये कानून भले ही लागू हो जाए, लेकिन देश में कई पिछड़े इलाके ऐंसे हैं जहां आज भी बालविवाह की परंपरा जारी है. जिसमें एक इलाका है बुंदेलखंड. यहां प्रशासन और पुलिस के लाख प्रयासों के बाद भी बाल विवाह पर रोक नहीं लग पाई है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत जिसमें सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, उसमें काफी कड़े प्रावधान हैं, फिर भी बुंदेलखंड में ये कुरीति रुकने का नाम नहीं ले रही है. संभागीय मुख्यालय सागर (Sagar Divisional Headquarters) में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत 2018 में 10, 2019 में 44, 2020 में 110 और 2021 में 71 शादियां रोकी गईं हैं. इनके अलावा कई मामलों में बालविवाह की खबर पुलिस प्रशासन तक पहुंचती ही नहीं है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बाल विवाह हुए होंगे.

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जागरूकता फैलाना जरूरी

बाल विवाह किसी भी बच्चे को शिक्षा, पोषण और अच्छे स्वास्थ्य से वंचित करता है. कम उम्र में शादी से लड़कियों को काफी दिक्क्तों का सामना भी करना पड़ता है. केंद्रीय विवि सागर के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. दिवाकर सिंह कहते हैं कि सरकार जब कोई कानून बनाती है, तो काफी रिसर्च और सर्वेक्षण किया जाता है. लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने का फैसला किया है, तो ऐसे सर्वेक्षणों में सामने आया होगा कि इससे सर्वांगीण विकास के अवसर ज्यादा मिलेंगे. साथ ही लड़कियां शारीरिक और मानसिक तौर पर परिवार की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होगी. बुंदेलखंड और अन्य पिछड़े इलाकों में शादी की उम्र 18 साल होने के बावजूद भी बाल विवाह के मामले सामने आने की बात हैं, तो उनके सामाजिक,आर्थिक और धार्मिक कारण भी होते हैं. जरूरी है कि ऐसे कानून बने और लागू हो, लेकिन उसके पहले उनके महत्व और उद्देश्य को लेकर जनता को जागरूक किया जाए.

जागरूकता और सूचना तंत्र करना होगा मजबूत

वहीं इस मुद्दे पर एएसपी विक्रम सिंह का कहना है कि बुंदेलखंड में बाल विवाह के मामले सामने आते रहते हैं. न जाने कितनी मासूम लड़कियां कम उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं. नया कानून लागू होने के बाद सबसे पहले कोशिश होगी कि महिला बाल विकास और एनजीओ के साथ कानून के प्रति लोगों को जागरूक करें और एक मजबूत सूचना तंत्र विकसित करें. ताकि कम उम्र में लड़कियों की शादी के कानून का अनुपालन करा सके.

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