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Meritorious student Krishna Kumar: रीवा के दिव्यांग छात्र कृष्ण कुमार ने खटखटाया कलेक्टर का दरवाजा, मदद की लगाई गुहार, कलेक्टर बोले- जल्द मिलेगी सुविधाएं

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Published : Sep 12, 2022, 5:48 PM IST

Rewa Collector met Krishna Kumar Kewat
कृष्ण कुमार केवट से मिले रीवा कलेक्टर

मध्य प्रदेश के रीवा के मऊगंज तहसील स्थित मुड़हान गांव के रहने वाले दिव्यांग छात्र कृष्ण कुमार केवट ने 2020 में 12वीं की परीक्षा में 82% अंक लाकर सभी को चकित कर दिया था. ऐसा इसलिए, क्योंकि कृष्ण कुमार के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है, उन्होनें शुरुआत से 12वीं तक की परीक्षा पैरों से लिखकर दी हैं. ऐसे मेधावी छात्र की मदद करने के लिए खुद सीएम शिवराज सिंह सामने आए और हर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया. लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी कृष्ण कुमार को अभी तक कोई सहायता नहीं मिल सकी है. आज अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे कृष्ण कुमार केवट से कलेक्टर मनोज पुष्प ने मुलाकात की तथा हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिलाया. जिसके बाद अब एक बार फिर कृष्ण कुमार की उम्मीदें जाग उठी हैं.

रीवा। मऊगंज तहसील स्थित हरजई मुड़हान गांव के निवासी छात्र कृष्ण कुमार केवट ने दोनों हाथ न होने के बावजूद 12वीं की परीक्षा की कॉपी पैरों से लिखकर 82 प्रतिशत अंक हासिल किये थे. कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि के बाद खुद प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिव्यांग कृष्ण कुमार की काफी प्रशंसा की थी और आगे की पढ़ाई के साथ-साथ हर संभव मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी दिव्यांग कृष्ण कुमार को अब तक किसी भी प्रकार की प्रशासनिक सहायता प्राप्त नही हुई है. आज कृष्ण कुमार मदद की गुहार लिए कलेक्ट्रेट कार्यलाय पहुंचे. जिसके बाद कलेक्टर ने जल्द दिव्यांग को उनकी समस्या का निदान किए जाने का भरोसा जताया.

कृष्ण कुमार केवट से मिले रीवा कलेक्टर

दिव्यांग कृष्ण कुमार ने कलेक्टर से लगाई गुहार: मऊगंज तहसील क्षेत्र के हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार केवट ने हाथ नहीं होने के बावजूद पैरों से कॉपी लिखकर वर्ष 2020 में कक्षा 12वीं की परीक्षा में 82% अंक के साथ उत्तीर्ण हुए. जिसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृष्ण कुमार को कृत्रिम अंग दिलाए जाने के साथ ही पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाने का भरोसा दिया था. मगर 2 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी अब तक उसे किसी प्रकार की प्रशासनिक मदद नहीं मिल पाई है.

10 किलोमीटर पैदल स्कूल जाते थे कृष्ण कुमार: कृष्ण कुमार की मानें तो स्कूल शिक्षा लेने के लिए उन्हें अपने गांव से मऊगंज तक के लिए 10 किलोमीटर सफर पैदल तय कर जाना पड़ता था. उन्होंने पढ़ाई में अपनी रुचि दिखाते हुए कलेक्टर बनने तक के सपने संजोए थे. जिसके लिए हौसलों की उड़ान भरकर उन्होंने कक्षा 12वीं में 82% अंक हासिल किए थे. जिसके बाद दिव्यांग कृष्ण कुमार केवट के सपने को पूरा करने को सीएम शिवराज ने भी पढ़ाई में मदद के लिए आश्वासन दिया था. परंतु 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक दिव्यांग कृष्ण कुमार को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल पाई.

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कृष्ण कुमार ने पैरों से भरी थी उड़ान: होनहार छात्र कृष्ण कुमार केवट के पिता रामजस केवट पेशे से किसान हैं. अधिया में जमीन लेकर वह अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करते है. बेहद गरीब परिवार में जन्मे कृष्ण कुमार की चार बहनें और तीन भाई हैं. दिव्यांग कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे. बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर 82% अंक अर्जित करके सबको चकित कर दिया था. अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच कृष्ण कुमार ने ना केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी खूब मन लगाया. बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया. मजबूत इरादे और बुलंद हौसलों से वह मुकाम हासिल किया, जो हाथ वाले व्यक्ति भी ना कर पाए. कृष्ण कुमार ने कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की परीक्षा अपने पैरों से ही लिखकर उत्तीर्ण की.

12वीं की परीक्षा में प्राप्त किए थे 500 में 414 नंबर: पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले कृष्ण कुमार ने वर्ष 2020 में शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज में 12वीं कक्षा की परीक्षा देकर कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया था. कृष्ण कुमार ने 500 में से 414 नंबर प्राप्त कर परिवार सहित जिले का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया था. जबकि ओवरआल में वह विद्यालय में दूसरे नंबर पर थे. कृष्ण कुमार का गांव हरजई मुड़हान मऊगंज तहसील से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां से वह पैदल चलकर रोजाना विद्यालय पढ़ाई करने जाया करते थे. पढ़ाई के प्रति इतनी लगन थी कि, रास्ते में ही बैठकर पैरों से अपना होमवर्क करने लगते थे. इस मेघावी छात्र की उपलब्धि चाहे भले ही किसी पहाड़ की चोटी के बराबर ना हो, पर ख्वाहिशें बड़ी है. कृष्ण कुमार केवट पढ़ाई के बाद अपने गरीब परिवार की मदद करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने कलेक्टर बनने की इच्छा जाहिर की थी. लेकिन आज भी परिवार की आर्थिक स्थिति कृष्ण कुमार के आड़े आ रही है.

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