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भोपाल के तालाबों और भोज वेटलैंड में बायोमेडिकल कचरा उड़ेलने पर एनजीटी का सख्त रुख, मुख्य सचिव से मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट

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Published : Mar 6, 2022, 10:20 AM IST

NGT strict on dumping of biomedical waste in Bhopal ponds and Bhoj wetland
भोपाल के तालाबों और भोज वेटलैंड में बायोमेडिकल कचरा उड़ेलने पर एनजीटी का सख्त रुख

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT ) ने भोपाल के तालाबों और भोज वेटलैंड में बायोमेडिकल कचरा डालने पर राज्य प्रशासन को कड़ी फटकार लगायी है. NGT ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे इस मामले में तीन माह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करें.

नयी दिल्ली/भोपाल। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT ) ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के तालाबों और भोज वेटलैंड में बायोमेडिकल कचरा उड़ेले जाने पर सख्त रुख अपनाते हुये राज्य प्रशासन को कड़ी फटकार लगायी है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई में एनजीटी की पीठ ने नवाब सिद्दकी हसन खान तालाब, मोतीया तालाब और मुंशी तालाब को हुई क्षति के बारे में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये राज्य प्रशासन को इस मुद्दे पर लापरवाही बरतने के लिये आड़े हाथों लिया. शिकायतकर्ता का कहना है कि भोपाल के इन तालाबों में ठोस कचरा फेंका जाता है और बायो मेडिकल कचरा भी इन तालाबों में उड़ेला जाता है. बायो मेडिकल कचरा आसपास के अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों का होता है.

कचरे का जलाशयों में निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुला उल्लंघन

एनजीटी ने इस पर कहा,'' हमें यह स्थिति बहुत ही असंतोषजनक लग रही है. इस मामले में राज्य प्रशासन ने अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी लापरवाही बरती है, जो पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के लिये घातक है. बायो मेडिकल कचरा, ठोस कचरा या बिना उपचार के किसी भी प्रकार के कचरे को जलाशयों में डालने से जनस्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होता है और यह कानूनन अपराध भी है. इस गंदे पानी को इंसान और अन्य जीव-जंतु पी सकते हैं और इसका उपयोग सिंचाई के लिये भी होता है. इससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ती है और पूरे क्षेत्र के वनस्पति तथा जीवों की भी क्षति होती है. इससे जलीय जीवन भी प्रभावित होता है. कचरे का जलाशयों में निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुला उल्लंघन भी है.

NGT strict on dumping of biomedical waste in Bhopal ponds and Bhoj wetland
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT ), नई दिल्ली

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एनजीटी ने कहा कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई होनी चाहिये और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करके जन स्वास्थ्य की रक्षा करनी चाहिये. एनजीटी ने साथ ही सीसीटीवी लगाने का भी निर्देश दिया. जस्टिस गोयल ने कहा कि इन जलाशयों में कचरे के निस्तारण को रोककर इन्हें पूर्ववत करना चााहिये. जल की गुणवत्ता की नियमित जांच की जानी चाहिये और ऑक्सीजन स्तर को बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिये, ताकि जल की गुणवत्ता कम से कम 'सी' श्रेणी की हो पाये.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रवैये से भी नाखुश NGT
एनजीटी ने साथ ही कहा कि वह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रवैये से भी नाखुश है, जिसने इस मामले में जुर्माना नहीं लगाया. एनजीटी ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह तीन माह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करें और उसमें उल्लेख करें कि इस मामले में किस-किस प्रशासन ने क्या-क्या कदम उठाये.

(NGT strict on dumping of biomedical waste in Bhopal ponds)(Dumping of biomedical waste in Bhopal ponds and Bhoj wetland)

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