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MP सरकार पर बजट से ज्यादा कर्ज, कांग्रेस का आरोप उधार लेकर घी पी रही है सरकार, एक्सपर्ट बोले यह स्थिति अच्छी नहीं

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Published : Feb 28, 2022, 7:19 PM IST

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया कुछ ऐसी ही स्थिति है मध्यप्रदेश सरकार की. हालात यह है कि सरकार (madhya pradesh have heavy loan) को खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है अब तो लगता है कर्ज लेकर घी पीना सरकार की आदत सी बन गई है.

madhya pradesh have heavy loan
मध्य प्रदेश का कर्जा बजट से ज्यादा

भोपाल। आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया कुछ ऐसी ही स्थिति है मध्यप्रदेश सरकार की. हालात यह है कि सरकार (madhya pradesh have heavy loan) को खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है अब तो लगता है कर्ज लेकर घी पीना सरकार की आदत सी बन गई है. आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार 15 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. इसके साथ ही मध्यप्रदेश पर कुल कर्ज बढ़कर 2 लाख 68 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है. खास बात यह है कि प्रदेश सरकार पर उसके बजट से ज्यादा कर्जा है.

मध्य प्रदेश का कर्जा बजट से ज्यादा

बजट से ज्यादा का है कर्ज

-राज्य सरकार का कुल बजट 2 लाख 41 हजार 375 हजार करोड़ का है.

-प्रदेश पर कुल कर्ज है 2 लाख 68 हजार करोड़ से ज्यादा.

- यानी मध्यप्रदेश पर कुल कर्जा प्रदेश के सालाना बजट से ज्यादा हो गया है.

- सरकार का तर्क है कि हर सरकार कर्ज लेती है. एमपी सरकार जो कर्ज ले रही है, उसे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने पर खर्च किया जा रहा है. उधर कांग्रेस इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रही है।

सिर्फ तीन मदों में खर्च होता है आधा बजट
सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने खर्चे कम करने की है. इसे लेकर मशक्कत भी की जा रही है. सीएम, मंत्री और अधिकारी भी इसे लेकर प्लान बनानें में जुटे हैं कि कैसे सरकार की आमदानी में इजाफा किया जाए और खर्चों को कैसे कम किए जाए. सरकार की कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा 3 मदों, वेतन-भत्तों, पेंशन और ब्याज के भुगतान में ही चला जाता है.

मध्य प्रदेश का कर्जा बजट से ज्यादा

ऐसे बढ़ा खर्च औऱ चढ़ा कर्ज
- साल 2011-12 में सरकार वेतन-भत्तों पर 22.86 फीसदी खर्च करती थी, जो 2021-22 में बढ़कर 28.93 फीसदी हो गया है.
- साल 2011-12 में पेंशन पर सरकार 9.71 फीसदी खर्च करती थी,जो 2021-22 में बढ़कर 10.27 फीसदी हो गया है.
- कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है.
- सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी, वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है. मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है.
- सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, साल 2021-22 में सरकार ने 16913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है.
- आने वाले बजट में यह राशि बढ़कर 19788.72 करोड़ रुपए हो जाएगी.

बढ़े राजस्व घाटे की भरपाई भी कर्ज से
प्रदेश का राजस्व घाटा काफी अधिक हो गया है.कोरोना काल ने सरकार के राजस्व घाटे को भी खासी चोट पहुंचाई है. -वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व घाटे का 17 हजार 514 करोड़ का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह बढ़कर 21 हजार 375 करोड रुपए पहुंच गया.
- इसके पहले 2019-20 में भी सरकार ने 2697 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया था, जबकि यह 2800 करोड़ पहुंच गया था.
-इसके साथ ही सरकार पर इसके मूल और ब्याज की राशि बढ़ाने का दवाब भी बढ़ रहा है. पिछले 5 साल में ही सरकार पर करीब एक लाख करोड़ का कर्जा बढ़ गया है.
-साल 2017-18 में सरकार पर 1 लाख 52 हजार करोड़ रुपए का कर्जा था. जिसे कम करने के लिए सरकार हर साल 5 हजार रुपए मूल भुगतान और ब्याज के रूप में 11 हजार 45 करोड़ रुपए का भुगतान करती थी.
-अब यह कर्ज बढ़कर 2 लाख 68 हजार करोड़ हो गया है. इसके लिए सरकार हर साल करीब 24 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है.

ऐसे कर्ज लेती है सरकार
- कर्ज लेने के लिए प्रदेश सरकार एक बॉन्ड जारी करती है. ये बॉन्ड आरबीआई के जरिए जारी किए जाते हैं.
- खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए प्रस्ताव बुलाए जाते हैं. इसमें बैंक और वित्तीय संस्थाओं सहित कोई भी कर्ज देने के लिए आवेदन कर सकता है.
- निर्धारित तिथि पर ऑफर खोला जाता है. जो सबसे कम ब्याज पर कर्ज देने को तैयार होता है सरकार उससे कर्ज लेती है। कर्ज के लिए बाजार के हिसाब से ब्याज दर निर्धारित होती है।

निश्चित हो कर्ज लेने की सीमा- एक्सपर्ट
वित्त मामलों के जानकार संतोष अग्रवाल बताते हैं कि सरकार को कर्ज लेने की सीमा निर्धारित करनी चाहिए. इसके अलावा उसे अपने खर्चे भी कम करने चाहिए और आय बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी सरकार के लिए बजट से ज्यादा कर्ज होना अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती है. इसे कम करने और आय बढ़ाने के लिए सरकार को गंभीर प्रयास करने चाहिए. आर्थिक विशेषज्ञ का कहना है कि आखिर कब तक घर से चलाने के लिए सरकार कर्जा लेती रहेगी. सरकार को अपने आर्थिक संसाधन मजबूत करने और राजस्व बढ़ाने के साधन खोजना ही होंगे.

कर्ज लेकर घी पी रही सरकार- कांग्रेस
सरकार लगातार कर्ज ले रही है इसे लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि जरूरी कामकाज के लिए सभी सरकारें कर्ज लेती हैं. वित्तमंत्री यह भी कहते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जो भी खर्च किया जा रहा है वह सीमाओं के अंदर रह कर लिया जा रहा है.सरकार कर्ज का उपयोग प्रदेश की आधारभूत संरचना को मजबूत करने और जरूरी कामकाज में ही करती है. दूसरी तरफ कांग्रेस का आरोप है कि सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है. कांग्रेस प्रवक्ता शहरयार खान का कहना है कि कमलनाथ सरकार गिराने के बाद से बीजेपी सरकार करीब 60 हजार करोड़ का कर्जा ले चुकी है. कर्जा लेने सरकार की आदत बन चुकी है. सरकार के पास प्रदेश के संसाधनों को बढ़ाने की कोई स्पष्ट नीति भी नही है यही वजह है कि सरकार को कर्ज लेकर अपने खर्चे चलाने पड़ रहे हैं.

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