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Bhopal Gas Tragedy Victims : आज भी याद है खौफ का वो मंजर, हादसे का जिक्र करती ही लड़खड़ाने लगती है पीड़ितों की जुबान

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Published : Nov 29, 2021, 6:35 PM IST

भोपाल गैस त्रासदी को 37 साल हो रहे हैं. यूनियन कार्बाइड प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस के रिसाव से हजारों लोगों की जान चली गई थी. कई लोगों ने अपनों को खो दिया.(Bhopal Gas Tragedy Victims ) इस त्रासदी के पीड़ित आज भी उस दिल दहला देने वाले मंजर को याद(story of accident 2nd december 1984) कर सिहर जाते हैं.

Bhopal Gas Tragedy Victims
आज भी याद है खौफ का वो मंजर

भोपाल। 2 दिसंबर 1984 की रात कभी भुलाई नहीं जा सकती. भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सके. यूनियन कार्बाइड प्लांट में गैस रिसाव के कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थी. बताया ((Bhopal Gas Tragedy Victims ))जाता है कि गैस का रिसाव तो कई दिन पहले से हो रहा था. फैक्ट्री के आसपास रहने वाली आबादी कई दिनों से बेचैनी महसूस कर रही थी, लेकिन उदासीन और लापरवाह कंपनी प्रबंधन ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया. गैस त्रासदी में कई परिवार तबाह हो गए .इसके बाद भी उनके परिवार के बचे हुए लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और नए (story of accident 2nd december 1984)सिरे से जिंदगी जीने के लिए खुद को खड़ा किया .यह लोग आज भी गैस पीड़ित संगठनों की मदद से खुद को जिंदा रखे हुए हैं.

रेहाना बी ने एक ही दिन में मां, बाप और भाई को खो दिया

3 दिसंबर को हो गई मां ,बाप, भाई की मौत

जेपी नगर की रहने वाली रेहाना बी बताती हैं कि 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात वह फैक्ट्री के सामने ही घर पर ही थी. रात 12:00 बजे घर के बाहर गदर मचा, बाहर निकले तो धुआं ही धुआं था. रेहाना ने बताया कि लोग इधर-उधर भागने लगे.(bhopal gas victims story) उनके मां-बाप और भाई 3 दिसंबर को ही अपनी जान गंवा बैठे. 3 दिसंबर को पहले भाई करीब 12:00 बजे ,फिर शाम 5:00 बजे मां और बाप दोनों खत्म हो गए.

चारों तरफ लाशें ही लाशें थी

रेहाना बी कहती हैं कि मैंने लाशों का ऐसा मंजर देखा है कि बता ही नहीं सकती .चारों तरफ लाशें ही लाशें थी. हम आज भी बीमारियों से जूझ रहे हैं. मेरे पति पैरालाइज्ड हो गए हैं.

भोपाल गैस त्रासदी ने नवाब खान की पत्नी और बेटे को छीन लिया

5 बच्चों को लेकर भागे थे न्यू मार्केट की तरफ

जेपी नगर निवासी नवाब खान बताते हैं कि 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात वह अपने परिवार के साथ 5 बच्चों को लेकर जेपी नगर से न्यू मार्केट की तरफ भागे थे. गैस लीक की खबर के बाद इस इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी. वे टेलरिंग का काम करते थे. गैस रिसाव के चलते उनकी पत्नी और लड़का दोनों ही काफी बीमार हो गए थे. 5 साल बाद 1989 को पत्नी का देहांत हो गया. 1991 में लंबी बीमारी के बाद लड़के ने भी साथ छोड़ दिया. नवाब खान ने बताया कि वह खुद डेढ़ साल तक अस्पताल में भर्ती रहे . अब गैस पीड़ित संगठन के साथ जुड़कर अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं.

भोपाल गैस त्रासदी में शमशाद बी का परिवार खत्म हो गया

उस रात राजा ने छोड़ दिया था साथ

शमशाद बी बताती हैं कि 1984 में गैस निकलने की आधी रात को ही उनका बेटा राजा नहीं रहा था .राजा को याद कर उनका गला रुंध आया और वह गमगीन हो गईं. शमशाद बी बताती हैं कि गैस त्रासदी में अब तक उनका आधा परिवार खत्म हो चुका है. वे कहती हैं कि हम उसी सरकार का साथ देंगे ,जो गैस पीड़ितों की हक की लड़ाई में उनका साथ देगा .

क्या हुआ था उस रात

1984 की 2 और 3 दिसंबर की रात, डाउ केमिकल्स का हिस्सा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के प्लांट नंबर सी से गैस रिसने लगी. यहां पर प्लांट को ठंडा करने के लिए मिथाइल आइसोसायनेट नाम की गैस को पानी के साथ मिलाया जाता था. उस रात इसके कॉन्बिनेशन में गड़बड़ी हो गई .पानी लीक होकर टैंक में पहुंच गया. इसका असर यह हुआ कि प्लांट के 610 नंबर टैंक में तापमान के साथ प्रेशर बढ़ गया और उससे गैस लीक हो गई. देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए. जहरीली गैस हवा के साथ मिलकर आसपास के इलाकों में फैल गई और फिर जो हुआ वह भोपाल शहर का काला इतिहास बन गया.

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15 हजार से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 5 लाख 58 हजार 125 लोग मिथाइल आइसोसायनेट गैस और दूसरे जहरीले रसायनों की चपेट में आए थे. इसमें 15 हजार से ज्यादा लोगों की जानें गई. इस घटना का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन देश छोड़कर भाग गया. हादसे के दौरान यूनियन कार्बाइड का मुख्य प्रबंधक वॉरेन एंडरसन ही था. 7 जून 2010 को स्थानीय अदालत के फैसले में आरोपियों को दो-दो साल की सजा सुनाई गई. थी लेकिन सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. 2014 में वारेन एंडरसन की मौत हो गई.

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