ETV Bharat / bharat

World Tribal Day 2023: 'फुटबॉल मेरी जिंदगी है'...देश के 'मिनी ब्राजील' की आदिवासी फुटबॉल गर्ल यशोदा, जो लड़कियों के लिये है बड़ी इंस्पिरेशन

author img

By

Published : Aug 9, 2023, 8:16 AM IST

Updated : Aug 9, 2023, 9:04 AM IST

World Tribal Day 2023: जल जंगल और जमीन के करीब रहने वाली उस लड़की ने जीतने की जिद पाली और अब गांव के गांव को ये लत लगा रही है. मिनी ब्राजील कहे जाने वाले शहडोल के आदिवासी गांव विचारपुरा की आदिवासी लड़की यशोदा सिंह फुटबॉल के 6 नेशनल खेल चुकी हैं. अब आदिवासी गांवों में लड़कियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें फुटबॉलर बना रही है. आदिवासी दिवस पर पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट.

World Tribal Day 2023
विचारपुर की फुटबॉल गर्ल यशोदा

विचारपुर की फुटबॉल गर्ल यशोदा

शहडोल। अभी हाल ही में शहडोल जिले का विचारपुर गांव देशभर में सुर्खियों में रहा. वजह थी की 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गांव की तारीफ की थी और इसे मिनी ब्राजील के नाम से संबोधित किया. अब विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर इसी मिनी ब्राजील की एक ऐसी आदिवासी लड़की के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो अब दूसरी लड़कियों के लिए एक मिसाल है, इंस्पिरेशन है. जिसने फुटबॉल में पहले खुद भी झंडे गाड़े, और अब फुटबॉल के नए प्लेयर तैयार कर रही है. यही तो है असली फुटबॉल गर्ल.

World Tribal Day 2023 Special
लड़कियों को फुटबॉल की ट्रेनिंग देती हैं यशोदा

जानिए कौन है फुटबॉल गर्ल यशोदा? विचारपुर भले ही आदिवासी बाहुल्य गांव है, लेकिन अभी यह गांव पूरे देश भर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मिनी ब्राजील के नाम से संबोधित किया है. अब इस गांव को देश में मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाता है. जगह-जगह से लोग इस गांव के बारे में जानना चाहते हैं. इसी मिनी ब्राजील की एक फुटबॉल खिलाड़ी हैं यशोदा सिंह. जो महज 5 से 6 वर्ष की उम्र से इसी विचारपुर मैदान में फुटबॉल की एबीसीडी सीखने के लिए आतीं थीं, और फिर न केवल उन्होंने यहां से फुटबॉल सीखा बल्कि कई नेशनल गेम्स में अपना दमखम भी दिखाया.

यशोदा ने 6 नेशनल खेले: एक दो नेशनल की बात तो अलग है यहां यशोदा सिंह ने 6 नेशनल खेले हैं. जो किसी भी महिला फुटबॉल खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात है. वह भी तब जब आप आदिवासी बहुल इलाके से आते हैं, जहां न तो बहुत ज्यादा संसाधन मिलते हैं, न ही बहुत ज्यादा कोचिंग मिलती है, और न ही बहुत ज्यादा मार्गदर्शन मिलता है, फिर भी यशोदा सिंह ने फुटबॉल में छह नेशनल खेल कर अपने खेल के झंडे गाड़े, और फुटबॉल में एक अलग नाम कमाया. इसीलिए इन्हें अब फुटबॉल गर्ल के नाम से भी जाना जाता है.

World Tribal Day 2023 Special
लड़कियों के लिये बड़ी इंस्पिरेशन हैं यशोदा

अब कोच बनकर तैयार कर रहीं खिलाड़ी: यशोदा सिंह की उम्र लगभग 25 वर्ष हो चुकी है और वो अब कोच बनकर खिलाड़ी तैयार कर रही हैं. यशोदा सिंह कहती हैं कि ''वह तो नेशनल तक ही खेल सकीं, लेकिन अब उनकी इच्छा है कि यहां से लड़कियां इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचे और फुटबॉल में इंटरनेशनल लेवल पर अपना दमखम दिखाएं.'' उनमें टैलेंट भी है और अब बदलते वक्त के साथ यहां संसाधन भी मिल रहे हैं. ऐसे में अब वह लड़के लड़कियों को कोचिंग देती है ''यशोदा सिंह बताती हैं वो रिलायंस फाउंडेशन में इन दिनों कोच के तौर पर पदस्थ हैं और स्कूलों में जाकर फुटबॉल की ट्रेनिंग देती हैं. इसके अलावा अपने विचार पुर गांव में सुबह सुबह उठकर अपने गांव के बच्चों को भी फुटबॉल सिखाती है यशोदा सिंह अपने खेल से काफी खुश हैं.''

फुटबॉल क्रांति ने दिए नए पंख: फुटबॉल की सुपर गर्ल यशोदा सिंह कहती हैं कि ''एक दौर ऐसा भी आया था जब इतना सब कुछ फुटबॉल में उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी गांव में खिलाड़ी हताश हो गए थे. वह खुद भी हताश थीं, क्योंकि 6 नेशनल खेलने के बाद अगर करियर में कोई राह न दिखे कि आगे करना क्या है तो हताशा तो आती ही है. लेकिन जब कमिश्नर राजीव शर्मा शहडोल आए और उन्होंने फुटबॉल क्रांति का आगाज किया तो मानो एक बार फिर से फुटबॉल खिलाड़ियों को एक नई पंख मिल गए हो.'' यशोदा सिंह कहती है कि फुटबॉल क्रांति से पूरे संभाग में एक लहर सी दौड़ी और अब तो एक से बढ़कर एक लड़के लड़कियां संभाग भर से फुटबॉल में आ रहे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है साथ ही उन जैसी लड़कियों को भी करियर में एक नया मार्गदर्शन मिला एक नई राह मिली, आज वो रिलायंस फाउंडेशन में कोच बनकर खिलाड़ियों को फुटबॉल के गुर सिखा रही हैं, तो यह सब कुछ फुटबॉल क्रांति की वजह से ही हो सका है.

World Tribal Day 2023 Special
मिनी ब्राजील कहलाता है शहडोल का विचारपुरा

लड़कियों के लिए बेहतर माहौल: फुटबॉल के खेल में लड़कियों के लिए कैसा माहौल है. इसे लेकर यशोदा सिंह कहती हैं कि ''उनके गांव विचारपुर में 50 वर्ष से भी ज्यादा समय से फुटबॉल का खेल खेला जा रहा है और यहां लड़के लड़कियां एक साथ में फुटबॉल खेलती हैं, यह बड़ी बात है. विचारपुर में जितने लड़के यहां फुटबॉल खेलने आते हैं उतनी लड़कियां भी आती हैं जैसे-जैसे यहां की लड़कियां फुटबॉल में आगे खेलती गई लोग देखते गए तो पेरेंट्स में भी जागरूकता आई और अब ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी बच्चियों को भी फुटबॉल खेलने के लिए मैदान पर भेजते हैं.'' यशोदा सिंह कहती हैं कि ''इस विचारपुर खेल मैदान पर ही करीब 100 लड़के लड़कियां फुटबॉल सीखने के लिए हर दिन आते हैं जो एक बड़ी उपलब्धि है. इसीलिए हम भी अपने गांव में इन लड़के लड़कियों के साथ खुद भी फुटबॉल में बराबर से खड़े रहते हैं. ताकि लड़कियों को भी इंस्पिरेशन मिले और ज्यादा से ज्यादा लोग यहां मैदान पर खेलने के लिए आएं.''

खेल लड़कियों के लिए कितनी बड़ी चुनौती: यशोदा सिंह खुद भी एक लंबा सफर फुटबॉल के खेल में तय करके यहां तक पहुंची हैं. इसके बारे में जब हमने उनसे पूछा कि कितनी बड़ी चुनौती होती है लड़कियों के लिए किसी भी खेल में यह मुकाम बनाना, तो यशोदा सिंह बताती हैं कि ''एक तो ये आदिवासी बहुल इलाका है, ग्रामीण क्षेत्र है. आज भी समाज में लड़कियों से थोड़ी बहुत उम्मीद की जाती है कि वो घर के भी काम करें, अगर पढ़ना है तो एक्स्ट्रा एफर्ट करके पढ़ना पड़ेगा, और खेलना है तो और एक्स्ट्रा एफर्ट लगाना पड़ेगा. मतलब हर चीज में अपनी 100 फीसदी देनी पड़ेगी. मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी, तभी जाकर सफलता मिलेगी. क्योंकि इन सब के साथ ही आपको खुद भी मैनेज करना पड़ेगा. यह चुनौती तो लड़कियों के साथ एक अलग से होती ही है क्योंकी थोड़ी बहुत घर के भी काम देखने होते हैं. इसके अलावा पढ़ाई भी करनी है, खेल भी खेलना है तो यह चुनौती होती है लेकिन अगर मन से करो लगन से करो तो सफलता मिल जाती है.''

World Tribal Day 2023 Special
विचारपुरा में फुटबॉल का खेल मैदा

इस गांव में कई लड़कियां नेशनल प्लेयर: यशोदा सिंह कहती है कि ''विचारपुर गांव में सिर्फ वही एक फुटबॉल प्लेयर नहीं हैं. ऐसी 15 से 16 लड़कियां हैं जो नेशनल खेल चुकी हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि फुटबॉल में एक-दो नेशनल खेली हों तो बात अलग है. यहां ये सभी लड़कियां कई नेशनल खेल चुकी हैं, ये इस गांव की एक बड़ी उपलब्धि है और उनमें से वह भी एक हैं और अब नए नए टैलेंट और आ रहे हैं जिनसे उम्मीदें भी हैं.''

Also Read:

पीएम से बात करके उत्साहित: यशोदा सिंह कहती हैं कि ''जब पकरिया गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए हुए थे और चौपाल लगी थी तो उस दौरान फुटबॉल खिलाड़ियों में उन्हें भी मौका मिला था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने का. इस दौरान प्रधानमंत्री ने उनसे विचारपुर गांव के बारे में पूछा था कि उन्होंने विचारपुर गांव के बारे में सुना है जिसे मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाता है. तब उन्होंने अपने गांव के बारे में और फुटबॉल के बारे में बताया था. वह पीएम से बात करके काफी उत्साहित हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस तरह से फुटबॉल को प्रमोट करने के बाद से यहां गांव में खिलाड़ियों में और लोगों में उत्साह बढ़ा है, अब ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी यहां खेलने के लिए पहुंच रहे हैं, और सबसे अच्छी बात यह है कि अब लड़कियां लड़के सभी ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां खेलने के लिए पहुंच रहे हैं.''

अब सपना है कोई इंटरनेशनल खेले: यशोदा सिंह कहती हैं कि ''वह लोग तो नेशनल तक ही पहुंच सके लेकिन अब कोचिंग भी देती हैं. नए बच्चों को तैयार करती हैं, छोटे-छोटे बच्चों को सिखाती हैं. 4 से 5 साल के लड़के लड़कियां वहां फुटबॉल खेलने के लिए पहुंचती हैं. यशोदा सिंह कहती हैं कि ''उनका सपना यह है कि यहां से या फिर जिले से कोई लड़की या लड़का इंटरनेशनल लेवल तक खेलें हम लोग तो नेशनल लेवल तक ही पहुंच सके लेकिन अब संसाधन बढे़ हैं. सुविधाएं बढ़ी हैं तो कम से कम नेशनल लेवल तक कोई ना कोई खिलाड़ी यहां से पहुंचे, फिर उनके लिए चाहे वह इंस्पिरेशन बनें या फिर कोई और इंस्पिरेशन बने लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि अब कोई इंटरनेशनल लेवल तक फुटबॉल में पहुंचे जिससे एक बार फिर से विचारपुर का नाम रोशन हो.''

Last Updated :Aug 9, 2023, 9:04 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.