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MP MBBS Hindi Books launch: एमपी के मंत्री ने MBBS हिन्दी से जोड़ा पूर्व मिस वर्ल्ड सुष्मिता सेन को, बोले-अब चलेगा मिशन 2.0

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Published : Jul 20, 2023, 10:07 PM IST

Updated : Jul 20, 2023, 10:50 PM IST

एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की हिंदी बुक्स लॉन्च करने के मामले में एमपी देश का पहला राज्य बन गया है. साथ ही मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने घोषणा कर दी कि ''अगले 2 महीने में हम बाकी 4 वर्षों की किताबें भी तैयार कर लेंगे.''

MP launch MBBS 1st Year Hindi Books
एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की हिंदी बुक्स लॉन्च

विश्वास सारंग ने एमबीबीएस की हिंदी किताबों को किया लॉन्च

भोपाल। ''हमें लगा था कि कैसे होगा, संकोच में थे. पहली मीटिंग के बाद तत्कालीन डीएमई भी इसको लेकर आश्वस्त नहीं थे कि यह हो पाएगा. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि यह इंपॉसिबल है. लेकिन आज हमने इस सपने को हकीकत में बदल दिया. फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स हिंदी की पुस्तक पढ़ रहे हैं और सभी मेडिकल कॉलेज में यह पुस्तकें पढ़ सकेंगे.'' यह कहना था एमपी के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर विश्वास सारंग का. उन्होंने कहा कि ''फर्स्ट ईयर की किताबों को पूर्ण करने के बाद हमारी टीम का कॉन्फिडेंस हाई लेवल पर है और इसीलिए हमने मिशन 2.0 का भी शुभारंभ कर दिया है. अगले 2 महीने में हम बाकी 4 वर्ष की किताबें भी पूर्ण कर लेंगे.''

MP launch MBBS 1st Year Hindi Books
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने लॉन्च की पुस्तक

पढ़ाई का डर खत्म: विश्वास सारंग ने कहा कि ''हमने इन हिंदी किताबों को बनाया जरूर है. लेकिन टेक्निकल टर्मिनोलॉजी चेंज नहीं की है. हां यह जरूर दावा नहीं करेंगे कि इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.'' इस मौके पर कई छात्रों ने अपने अनुभव सुनाए. सीधी के अंकित पांडेय नामक छात्र ने कहा कि ''उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई हिंदी में की है. नीट की तैयारी करते समय और जब क्लियर हुआ तो मन में डर था कि अब अंग्रेजी किताबों से सामना होगा लेकिन जब पता चला कि एमबीबीएस की किताबें भी हिंदी में पढ़ने को मिलेंगी तो पूरा डर खत्म हो गया और अब लग रहा है कि मैं डॉक्टर बन पाऊंगा.''

प्रोजेक्ट चार महीने में पूरा कर दिखाया: मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि ''कई देशों ने मेडिकल की किताबों को अपनी भाषा में कन्वर्ट किया है. हिन्दी समेत अब तक 17 भाषाओं में एमबीबीएस की पढ़ाई हो रही है.'' उन्होंने बताया कि ''हमने पहला प्रोजेक्ट महज चार महीने में पूरा कर दिखाया. शिद्दत के साथ लगे. टीम ने जबरदस्त काम किया. जीएमसी की डॉक्टर वंदना मेरे पास आई और बोली कि यह बहुत अच्छा काम है, इसे जल्दी करिए. शुरूआत में लोग नहीं मिले, लेकिन बाद में 95 लोग जुड़ गए. अमृत मंथन की तर्ज पर एक मंदार नामक वॉर रूम बनाया. इस वॉर रूम को अब सभी 13 मेडिकल कॉलेज में स्थापित कर दिया. डॉ. अभीजीत यादव तो पागलों की तरह काम करने लगे. डॉ. यशवीर ने कन्नड भाषा से होते हुए भी जबरदस्त काम करके दिखाया.''

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विश्वास सारंग ने एमबीबीएस की हिंदी किताबों का वितरण किया

मंत्री सारंग ने कहा कि सुष्मिता सेन ने मिस वर्ल्ड बनने के बाद बताया था कि ''जब उनसे प्रश्न पूछे गए तो उसके जवाब पहले दिमाग में हिंदी में आए और अंग्रेजी में जवाब दिए, इसलिए वे बेहद खूबसूरत थे और मिस वर्ल्ड बनने में सहायक सिद्ध हुए.'' मंत्री ने लेखक लॉर्ड मैकाले पर हमला बोलते हुए कहा कि ''उनके कारण देश का एजुकेशन सिस्टम बिगड़ा.'' उन्होंने काम में लगे डीन डॉ. अरविंद राय, अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया, डॉ. लोकेंद्र दवे, डॉ. रोकड़े, डॉ. राधिका, डॉ. अमृता की भी तारीफ की. इस कार्यक्रम का सभी 13 मेडिकल कॉलेज में लाइव प्रसारण हुआ और वहां के लोग भी जुड़े.

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एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की हिंदी बुक्स लॉन्च

किसने क्या कहा: किताबों को हिंदी में कन्वर्ट करने के लिए प्रोजेक्ट में शामिल एनाॅटामी के ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभीजीत यादव ने कहा कि ''उन्हें तो सपने हिन्दी में आते हैं. बहुत सारे चिकित्सा शिक्षक के कारण उन्हें यह मौका मिला. किताब ऐसी है कि कोई भी पढ़ना चाहेगा.'' उन्होंने बताया कि ''यह किताब सभी को समझ में आएगी, ऐसी नार्मल भाषा में बनाई गई हैं.'' इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा के डीएमई डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि ''आखिर उद्देश्य यही कि सभी को समझ में आना चाहिए और ऐसा हुआ. हिंदी भाषी आईएएस में टॉप करते हैं तो फिर मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में क्यों नहीं.'' आयुक्त चिकित्सा शिक्षा गोपाल डाड ने कहा कि ''मैं मेवाड़ी था और जब शहर गया तो बहुत प्रॉब्लम आई. बाद में अंग्रेजी को अपनाया और आईएएस बना. आईएएस बनने के बाद एमपी कैडर मिला तो मैंने अंग्रेजी में नोटशीट लिखना शुरू की, लेकिन अब सिर्फ हिन्दी में लिखता हूं और अंग्रेजी नोटशीट भूल गया हूं.'' उन्होंने कहा कि ''इन किताबों का परिणाम 10 से 15 साल बाद समझ आएगा.''

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अधीक्षक बोले, हमसे का भूल हुई, जो हमको ये सजा मिली: एमबीबीएस हिंदी बुक वितरण के अवसर पर हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक अलग ही लय में नजर आए.. उन्होंने फिल्म 'जनता हवलदार' में सिंगर अनवर के गीत 'हमसे का भूल हुई जो हमको ये सजा मिली' गीत का जिक्र करते हुए कहा कि ''जब मुझे इस प्रोजेक्ट में शामिल किया तो लगा कि हमसे का भूल हुई. सफर बहुत ही चुनौती पूर्ण रहा. अचानक बताया और कहा कि करना है. शुरूआत में टेक्नीकल सपोर्ट नहीं था. बाद में डॉ. यशवीर, डॉ. देवेेंद्र और दूसरे लोगों को जोड़ा तो काम शुरू हो पाया. हमारा हाल लगान मूवी के भुवन जैसा था. हर सात दिन में अपडेट मांगा जाता था. फिर मंत्री जी ने मंदार के नाम से वॉर रूम बनाया और जुलाई में डिजीटल स्वरूप सामने आया. हम ऐसा करके देश के पहले राज्य बन गए.''

Last Updated :Jul 20, 2023, 10:50 PM IST
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