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SPECIAL: 3 वर्षों से अधूरा है सोनुआ-गोइलकेरा मुख्य सड़क पुल का निर्माण, ग्रामीणों ने लगाई प्रशासन से गुहार

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Published : Oct 16, 2020, 2:32 PM IST

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चाईबासा शहर के सोनुआ और गोइलकेरा के बीच झाड़गांव-चांदपोसी पुल का 3 साल बीतने के बाद भी निर्माण नहीं हो सका है,जिसके कारण पुल की स्थिति जर्जर हो गई है. ग्रामीणों ने पुल की मरम्मत को लेकर प्रशासन से गुहार लगाई है. लेकिन कुछ कारणों की वजह से कार्य अधर में लटका है, पूरी जानकारी के लिए.. पढ़ें ये रिपोर्ट

चाईबासा: शहर के सोनुआ और गोइलकेरा के बीच झाड़गांव-चांदपोसी पुल काफी पुराना है. ये सड़क चक्रधरपुर से सोनुआ होते हुए गोइलकेरा और आगे मनोहरपुर की ओर जाने वाली यह मुख्य सड़कों में एक है. इस सड़क से सैकड़ों वाहने प्रतिदिन उड़ीसा जाती और आती है. लेकिन पिछल तील सालों से पुल का निर्माण नहीं हो सका है, जिससे आवागमन बाधित हो रहा है और लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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पुल का निर्माण कार्य अधूरा

झाड़गांव- चांदपोसी गांव के बीच पुल का निर्माण यहां के ग्रामीणों के घर और जमीन के मुआवजे की समस्या को लेकर अधूरा पड़ा हुआ है. यहां पुल के निर्माण में चांदीपोसी की ओर ग्रामीणों के कई घर टूटेंगे और बाकी जमीन का भी अधिग्रहण होगा. इससे भू-अर्जन विभाग की ओर से घरों और जमीन के मुआवजा राशि का जो मूल्यांकन किया गया है, उसे ग्रामीण और संतुष्ट नहीं हैं, जिसके कारण ग्रामीण फिर से मुआवजा राशि के मूल्यांकन की मांग कर रहे हैं. ताकि उन्हें सही दाम मिल सके.

पुल के ऊपर से बहता है पानी, ग्रामीण की हो चुकी है मौत

नदी पुलिया के ऊपर होकर बहती है, जिसके कारण गांव के ही एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. बरसात के दिनों में कभी-कभी लगातार भारी बारिश होने के कारण झाड़गांव-चांदीपोसी में छोटी नदी आकर विकराल रूप ले लेती है. पानी पुलिया के कई फीट ऊपर से बहने लगता है, जिससे इस मुख्य सड़क पर कई घंटों तक वाहनों का आवागमन ठप हो जाता है. इस दौरान आसपास के कई लोग यहां जान जोखिम में डालकर आर पार करते हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण अशोक साहू का कहना है कि यह पुलिया 3 वर्षों से अधूरा पड़ी हुई है. पुलिया अधूरा होने के कारण यहां के ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बारिश के दिनों में वाहनों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है. पुल जर्जर होने के कारण सड़कों पर भी जाम लग जाया करता है. इस समस्या के निदान के लिए कई बार जिला उपायुक्त और भू-अर्जन के कार्यालय में भी आवेदन दिया गया है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. पुल बनने से गांव के काफी लोगों का घर टूट रहा है और जमीन भी अधिग्रहण हो रही है. भू-अर्जन विभाग की ओर से घर की जमीन का जो मूल्यांकन किया गया है, उससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं है. इससे यहां पुल का निर्माण भी अधूरा है. भू-अर्जन विभाग को फिर से घर और जमीन का मूल्यांकन करना चाहिए, जिससे उन्हें उचित मुआवजा राशि मिल सके.

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सड़कों पर जाम से परेशान ग्रामीण

ग्रामीण ने हरिपथ साहू ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से यहां के ग्रामीण इस पुलिया को लेकर खासे परेशान हैं. ग्रामीणों की समस्या का निदान करने की जहमत अब तक किसी ने नहीं उठाई है. विधायक को भी इसकी जानकारी दी गई है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि रात भर भारी बारिश होने के कारण नदी पूरे उफान पर आ जाती है और पुल के ऊपर से पानी का बहाव होने लगता है, जिससे पूरे दिन भर स्थिति भयावह रहती है. ग्रामीण शहर से पूरी तरह से कट जाते हैं और सड़कों पर लंबी वाहनों की कतारें लग जाती हैं.

प्रशासनिक तरीके से कमियां

उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि प्रशासनिक तरह से कुछ कमियां रहने के कारण यह योजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है, जब योजना की शुरुआत की गई थी, तो उसी अनुसार योजना की बजट और भूमि अधिग्रहण की राशि दी गई थी और कुछ दिनों बाद ही भूमि अधिग्रहण एक्ट में बदलाव हो गया था, जिसमें मुआवजा 4 गुना करने का प्रावधान आए हैं, जिस पुल का निर्माण करने के लिए भूमि अधिग्रहण करने की राशि 16 करोड़ की मिली थी, वह अब बढ़कर 64 करोड़ हो गई है और बजट के बाहर रहने के कारण यह कार्य अधर में लटक गया है.

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