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रेणु गोपीनाथ पणिक्कर बनी झारखंड जदयू की उपाध्यक्ष, कंबल घोटाले पर दी सफाई, खीरू बोले- हर खतियान को माने सरकार

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Published : Nov 14, 2022, 5:45 PM IST

Renu Gopinath Panikkar
Renu Gopinath Panikkar

रेणु गोपीनाथ पणिक्कर (Renu Gopinath Panikkar) झारखंड जदयू की उपाध्यक्ष बनी हैं. जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो (JDU State President Khiru Mahato) ने उन्हें मनोनीत किया है. रेणु पर कंबल घोटाला का आरोप भी है.

रांची: राज्यसभा सांसद सह झारखंड जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो (JDU State President Khiru Mahato) ने रेणु गोपीनाथ पणिक्कर (Renu Gopinath Panikkar) को झारखंड जदयू का उपाध्यक्ष मनोनीत किया है. उन्होंने कहा कि रेणु एक सशक्त महिला हैं. उनका मजबूत बैकग्राउंड है. उनके जुड़ने से पार्टी मजबूत होगी. इनके आने से महिलाओं को जोड़ने में मदद मिलेगी. उनपर लगे कंबल घोटाले (Blanket Scam) के आरोप पर खीरू महतो ने कहा कि इनपर गलत आरोप लगा है. उन्होंने कहा कि ईडी को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए.

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भ्रष्टाचार के खिलाफ एजेंसी कार्रवाई करती है तो इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए लेकिन यह एजेंसी विपक्षी नेताओं को एक साजिश के तहत परेशान कर रही है. खीरू महतो ने कहा कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता तय करना सही नहीं है. बाद में भी कई सर्वे हुए हैं. उसे भी मानना चाहिए. इसलिए सरकार को बिल में संशोधन करना चाहिए. उन्होंने राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में राष्ट्रपति का कार्यक्रम रद्द होना दुर्भाग्यपूर्ण है. पहली बार राष्ट्रपति के आने की बात थी. लोग बेहद खुश थे क्योंकि वह यहां की राज्यपाल रह चुकी है.

कंबल घोटाले से जुड़े सवाल पर रेणी गोपीनाथ ने अपनी सफाई पेश की. उन्होंने कहा कि राज्य का श्रम विभाग गरीबों में 5 से 10 लाख कंबल बांटता आया है. 2016 से झारक्राफ्ट को जोड़ा गया. इससे बुनकर सोसायटी जुड़ा है. मकसद था कि यहीं के बुनकरों से कंबल लिया जाए. तब मैं झारक्राफ्ट से नहीं जुड़ी थी. झारक्राफ्ट के एक भी चेक पर साइन करने का मुझे अधिकार नहीं था. बोर्ड में 12 से ज्यादा मेंबर थे. मैंने आदेश को धरातल पर उतारा. कंबल बुनकर ही बना रहे थे. एनएचडीसी से हमने धागे खरीदे थे. कंबल के दाम बोर्ड और सरकार ने तय किए थे. झारक्राफ्ट का काम था इसी दाम पर कंबल बनकर लोगों तक पहुंचाना. जिस ट्रांसपोर्ट एजेंसी को कंबल की धुलाई के लिए पानीपत भेजने और लाने का काम सौंपा गया था, वह एल-वन कैटेगरी में नहीं था. मैंने ही ट्रासपोर्ट एजेंसी का मुद्दा एमडी के पास उठाया था. बाद में पूछताछ कर एमडी ने ही पेमेंट करने का आदेश दिया था.

रेणु गोपीनाथ पणिक्कर ने कहा कि श्रम विभाग की तरफ से झारक्राफ्ट को पैसा मिला ही नहीं है. यह काम रघुवर दास सरकार में हुआ. इसी से नाराज होकर मैंने झारक्राफ्ट छोड़ा. रेणु गोपीनाथ पणिक्कर ने कहा कि मुझे कई पार्टियों से पहले भी ऑफर आये थे. लेकिन नीतीश कुमार से मिलने और उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर मैंने जदयू से जुड़ने का फैसला लिया. इस पार्टी की समाजवादी सोच ने मुझे प्रभावित किया.

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