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ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने ली मनरेगाकर्मियों की बैठक, मांग पूरा करने का दिया आश्वासन

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Published : Aug 28, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 2:29 PM IST

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ग्रामीण विकास विभाग के सचिव से साथ मनरेगाकर्मियों की बैठक

ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने झारखंड के आंदोलनरत मनरेगाकर्मियों के साथ बैठक की. बैठक में विभागीय सचिव ने आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार गंभीर है और शीघ्र मांगों को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

रांचीः ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन और मनरेगा आयुक्त बी राजेश्वरी की अध्यक्षता में आंदोलनरत मनरेगाकर्मियों की बैठक आयोजित की गई. अफसरों ने करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि मनरेगाकर्मियों की मांगों पर सरकार गंभीर है और शीघ्र मांग पूरा किया जाएगा. बैठक के बाद मनरेगाकर्मियों ने ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा आयुक्त के साथ ही वार्ता पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में मनरेगाकर्मियों को मिल रही सुविधा को अध्ययन कर आगे की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी.

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विभागीय सचिव ने दिया भरोसा

ग्रामीण विकास सचिव मनीष रंजन ने मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा कि जल्द ही कुछ मांगों को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बर्खास्त मनरेगाकर्मियों की पुनर्बहाली के लिए आवेदन लेकर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में मनरेगाकर्मियों को मिल रहे भत्ता और सुविधाओं की अध्ययन कर आगे फैसला लिया जाएगा. इस मौके पर सुशील कुमार पांडेय, उदय प्रसाद,महेश सोरेन, बसंत सिंह सहित कई मनरेगाकर्मी उपस्थित थे.

देखें पूरी रिपोर्ट



मनरेगाकर्मियों की मांगें

  • ईपीएफ, बीमा, बिना वजह बर्खास्तगी, मनरेगाकर्मियों को वित्तीय शक्ति डोंगल (डिजिटल हस्ताक्षर शक्ति) देने संबंधी मांगों पर जल्द विचार की जाए.
  • विकास आयुक्त झारखंड की अध्यक्षता में झारखंड के अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार और नियमितीकरण के बनी उच्चस्तरीय समिति में मनरेगाकर्मियों को शामिल करते हुए तत्काल न्यूनतम वेतन, श्रम कानून के अनुसार 24000 मासिक वेतन दिया जाए.
  • राज्य में मनरेगाकर्मियों को बिना वजह बर्खास्त किया जाता है. इसको लेकर अपीलीय प्रावधान का समय-सीमा खत्म कर दिया जाए.
  • सभी रिक्त पदों के बहाली में मनरेगाकर्मियों को कुल सीट का 50 प्रतिशत आरक्षण, 25 अंकों का वेटेज और कम से कम 10 वर्ष या सेवाकाल तक उम्र सीमा में छूट दिया जाए.
  • मृत मनरेगा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा की नौकरी और 50 लाख आर्थिक सहायता दी जाए.
  • सभी मनरेगाकर्मियों को शून्य ब्याज पर 10 लाख तक ऋण की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए.
  • धनबाद, देवघर सहित अन्य जिलों में अल्प मानदेय भोगी मनरेगाकर्मियों को अपने गृह प्रखंड से 70-80 km की दूरी पर नियम विरुद्ध पदस्थापना को रद्द किया जाए.
  • राज्य के कुछ जिलों में मनरेगाकर्मियों को कोई वित्तीय शक्ति नहीं है. इसके बावजूद भूगतान के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज कर फंसाया जाता है. इसकी उच्चस्तरीय जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
Last Updated :Aug 28, 2021, 2:29 PM IST
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