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Financial Report Of Jharkhand:झारखंड सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़कर करोड़ों में पहुंचा, सरकार ने बजट से अधिक किया खर्च, देखें सीएजी की पूरी रिपोर्ट

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Published : Aug 4, 2023, 9:16 PM IST

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Jharkhand Government Debt Increased

झारखंड के प्रधान महालेखाकार ने विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन झारखंड के वित्तीय स्थिति की जानकारी दी. उन्होंने राजस्व उगाही के मामले में संतोष जताया और राजकोषीय घाटा की जानकारी दी. साथ ही बताया कि झारखंड सरकार का कर्ज करोड़ों में पहुंच गया है.

रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन झारखंड सरकार के निष्पादन और अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन और राज्य वित्त प्रतिवेदन और राज्य वित्त 2021-22 विधानसभा के पटल पर पास होने के बाद झारखंड के प्रधान महालेखाकार उदय शंकर प्रसाद ने वित्तीय स्थिति की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि झारखंड में इस वित्तीय वर्ष रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है और इस वर्ष रेवेन्यू सरप्लस स्टेट के रूप में देखा जा रहा है. इस वर्ष झारखंड को रेवेन्यू के रूप में 6944 करोड़ मिले हैं, जो पिछले वर्ष से बेहतर है और वर्ष 2021-22 वित्तीय वर्ष का रेवेन्यू पिछले वर्ष से बेहतर है.

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इस वर्ष राजकोषीय घाटा पिछले साल से कमः वहीं राजकोषीय घाटा की बात करें तो इस वर्ष 2604 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष से काफी कम है. वहीं 332 करोड़ राशि का लेबर शेष भी राज्य सरकार की ओर से नहीं दर्शाया गया है. यदि यह राशि दर्शायी जाती तो रेवेन्यू की राशि 332 करोड़ कम हो जाती. बिजली की जगह झारखंड सरकार ने माइनिंग और सॉयल कंजर्वेशन में ज्यादा खर्च किया है.

झारखंड सरकार का कर्ज एक लाख 11 हजार करोड़ पहुंचाः झारखंड सरकार के पास एक लाख 11 हजार करोड़ हो गया है. जबकि पिछले साल यह 90 हजार करोड़ था. इस साल राज्य सरकार के पास 10 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ गया है. प्रधान महालेखाकार उदय शंकर प्रसाद ने कहा कि 3473 करोड़ रुपए बजट से ज्यादा खर्च किए गए हैं और उसका हिसाब भी अभी तक पूर्ण रूप से नहीं मिल पाया है. जो संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. एक लाख तीन हजार 460 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र राज्य सरकार की तरफ से अभी तक महालेखाकार को समर्पित नहीं किया गया है.

बिजली का 4909 करोड़ रुपया झारखंड ने नहीं दिया केंद्र कोः वहीं उन्होंने बताया कि कई विभागों के अधिकारियों के द्वारा हजारों करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है, जो दुखद है. वहीं बिजली वितरण निगम 4909 करोड़ राज्य सरकार का भारत सरकार के पास बाकी है, जो अभी तक नहीं दिया गया है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही पब्लिक सेक्टर यूनिट में भी कई गड़बड़ियां उजागर हुई हैं और रांची नगर निगम के द्वारा खर्च की गई राशि जिसमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य कार्यों में भी लापरवाही की बात महालेखाकार ने कही हैं.

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