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केंद्र का वश चले तो खनन के लिए यहां के लोगों को शिफ्ट कर दे, कई और सवालों का सीएम ने दिया जवाब

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Published : Mar 14, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Mar 14, 2022, 8:42 PM IST

झारखंड विधानसभा बजट सत्र के दौरान सोमवार को मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के तहत कई विधायकों ने सवाल किए. जिसका मुख्यमंत्री हेमत सोरेन ने जवाब दिया.

Chief Minister Question Hour in Jharkhand Assembly Budget Session
Chief Minister Question Hour in Jharkhand Assembly Budget Session

रांची: झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल जैसी कंपनियां रैयतों के साथ मनमानी पर उतारू हैं. जमीन अधिग्रहण के बाद जिस जमीन का उपयोग नहीं कर पातीं, उसे भी नहीं लौटाया जाता है. यही नहीं खनन के बाद संबंधित माइनिंग क्षेत्र की लेबलिंग नहीं होती है ताकि उस पर फिर से खेती हो सके. बाघमारा से भाजपा विधायक ढुल्लू महतो ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान इस सवाल को गंभीरता से उठाया. जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो टूक कहा कि केंद्र की कंपनियां कोल बैरिंग एक्ट के तहत जमीन लेती हैं. यह केंद्र का कानून है, राज्य का नहीं.

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उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने ही लैंड बैंक की नियमावली बनाई थी. हालांकि सरकार अच्छी तरह समझती है कि यह एक गंभीर मसला है. रैयतों को उनका हक मिलना चाहिए. कोल इंडिया को इसके लिए कई बार सरकार की तरफ से फटकार भी लगाई जा चुकी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार का बस चले तो खनन के लिए यहां के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दे. इस पर ढुल्लू महतो ने कहा कि कोल बैरिंग एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि जिस जमीन का उपयोग नहीं हो रहा हो है, उसे लौटा देना है. इसमें नौकरी और मुआवजा देने का भी प्रावधान है. लेकिन नियमों की अनदेखी हो रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार इस एक्ट का अध्ययन कर आगे की कार्रवाई करेगी.

माइनिंग क्षेत्र वाले रैयतों का शोषण: बंधु तिर्की ने कहा कि कोडरमा और गिरिडीह में ढीबरा स्क्रैप पर बड़ी संख्या में लोगों का घर चल रहा है. लेकिन वह पुलिस के खौफ के साए में जीते हैं. दूसरी तरफ जिनके भूखंड को माइनिंग के रूप में चिन्हित किया जाता है, उन्हें बहुत कम पैसे दिए जाते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है. 20 वर्षों से इसका समाधान नहीं हुआ है. इसको लेकर सरकार गंभीर है. ढीबरा पर बहुत जल्द नियमावली बनेगी. उन्हें प्रोटेक्शन मिलेगा.

बिना ओबीसी आरक्षण के होगा पंचायत चुनाव: आजसू विधायक लंबोदर महतो ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान सरकार से पूछा कि क्या बिना ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराना सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन नहीं होगा. जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के जरिए ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित कर चुनाव कराने की बाध्यता सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नहीं दी गई है. पंचायत चुनाव नहीं होने की वजह से 15वें वित्त आयोग की राशि प्रभावित हो रही है. जिसका सीधा असर गांवों के विकास पर पड़ रहा है. इसलिए सरकार ने चुनाव कराने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पंचायत चुनाव नहीं हो रहा था तब उसके लिए दबाव डाला जा रहा था. अब ट्रिपल टेस्ट की बात हो रही है. यानी हेड भी मेरा और टेल भी मेरा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम संवैधानिक प्रक्रिया को नहीं रोक सकते हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि ट्रिपल टेस्ट के लिए कमीशन का गठन बाद में जरूर किया जाएगा.

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शिक्षकों के स्थानांतरण का मामला: भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य में शिक्षकों को स्थानांतरण के लिए बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गृह जिला और अंतरजिला स्थानांतरण का प्रावधान स्पष्ट नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अंतर जिला ट्रांसफर के लिए नई नीति बना रही है. जल्द अधिसूचना जारी होगी.

राजनीतिक हत्याओं का भी उठा मामला: सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड में तीन प्रमुख नेताओं की राजनीतिक हत्या हुई थी. इनमें प्रमुख नाम है- निर्मल महतो, शक्ति नाथ महतो और सुनील महतो. उन्होंने कहा कि तीनों हत्याकांड की जांच सीबीआई या एनआईए से कराई जानी चाहिए. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि यह नीतिगत सवाल नहीं है फिर भी कहना चाहूंगा कि निर्मल महतो हत्याकांड मामले में आरोप पत्र समर्पित हो चुका है. सुनील महतो की हत्या की जांच सीबीआई कर रही है. तीनों मामलों में कानूनी कार्रवाई हुई है.

Last Updated :Mar 14, 2022, 8:42 PM IST
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