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डॉक्टर फोन से ही करवा रही थी प्रसूता की डिलेवरी, 3 घंटे तक तड़पने के बाद जच्चा-बच्चा की मौत

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Published : Jan 22, 2020, 2:10 PM IST

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महिला का शव

तीन घंटे तक गढ़वा सदर अस्पताल में तड़पती रही आदिम जनजाति की गर्भवती महिला. गायब थी डॉक्टर, जच्चा-बच्चा दोनों की मौत. वहीं परिजनों ने इसकी शिकायत डीसी से की है. डीसी ने सिविल सर्जन को इस मामले की जांच कर त्वरित रिपोर्ट देने को कहा है.

गढ़वा: गढ़वा सदर अस्पताल के प्रसूति विभाग में मंगलवार की देर शाम एक आदिम जनजाति गर्भवती महिला तीन घंटे तक तड़पती रही. आखिर में उसकी सांस थम गई. अस्पताल में तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गई. उस वक्त ड्यूटी में तैनात डक्टर मेहरू यामनी गायब थी.

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फोन पर ही इलाज का देती रही निर्देश
बता दें कि डॉक्टर फोन पर ही नर्स को इलाज करने का निर्देश देती रहीं. जबकि उस गर्भवती महिला को भवनाथपुर से सदर अस्पताल में रेफर किया गया था. मृतक के परिजनों ने इसकी शिकायत डीसी से की है.

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सदर अस्पताल में मौत
बता दें कि भवनाथपुर थाना के कैलान गांव की आदिम जनजाति 40 वर्षीय प्रेमकली देवी गर्भवती थी. उसका प्रसूति का समय भी पूरा हो गया था. दर्द होने के बाद उसे भवनाथपुर सरकारी अस्पताल लाया गया. जहां इलाज के बाद उसे सदर अस्पताल रेफर किया गया था.

डीसी से शिकायत
सदर अस्पताल के प्रसूति विभाग के रजिस्ट्रेशन स्लिप के अनुसार, प्रेमकली देवी मंगलवार की दोपर 3.38 बजे अस्पताल पहुंची थी. शाम 6.20 बजे उसकी मौत हो गई. उस वक्त ड्यूटी कर रही नर्स ज्योति ने बताया कि महिला चिकित्सक डॉ मेहरू यामनी की ड्यूटी थी. मरीज को भर्ती करते ही डॉक्टर को कॉल किया गया था. उन्होंने जांच कराने का निर्देश दिया और वे खुद अस्पताल नहीं आ सकी थी. मरीज तीन घंटे तक अस्पताल में तड़पती रही, लेकिन उसकी तड़पन और चीख को डॉक्टर और चिकित्सीय कर्मचारी हवा में उड़ाते रहे. परिजनों ने सदर अस्पताल की इस लापरवाही की शिकायत डीसी से की है.

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अलग-अलग जांच शुरू
वहीं, डीसी ने सिविल सर्जन को इस मामले की जांच कर त्वरित रिपोर्ट देने को कहा है. उन्होंने दूसरी ओर नगर उंटारी एसडीओ कमलेश्वर नारायण को भी इस मामले के सारे पहलुओं की जांच का आदेश दिया है. सिविल सर्जन और एसडीओ ने अपनी अलग-अलग जांच शुरू कर दी है.

Intro:गढ़वा। सरकारी अस्पतालों में लापरवाही से जान लेने का सिलसिला यदि देखना है तो गढ़वा सदर अस्पताल के प्रसूति विभाग का रुख करें। मंगलवार की देर शाम एक आदिम जनजाति गर्भवती महिला तीन घण्टे तक अस्पताल में तड़प-तड़प कर मर गयी, उस वक्त ड्यूटी में तैनात डक्टर मेहरू यामनी गायब थीं। वह दूरभाष पर ही नर्स को इलाज करने का निर्देश देती रहीं। जबकि उस गर्भवती महिला को भवनाथपुर से सदर अस्पताल में रेफर किया गया था। मृतक के परिजनों ने इसकी शिकायत डीसी से की है।


Body:बता दूं कि भवनाथपुर थाना के कैलान गांव के आदिम जनजाति अमेरिका अगरिया की 40 वर्षीया पत्नी प्रेमकली देवी गर्भवती थी। उसका प्रसूति का समय भी पूरा हो गया था। दर्द होने के बाद वह भवनाथपुर सरकारी अस्पताल पहुंची थी। वहां इलाज के बाद उसे सदर अस्पताल में रेफर किया गया था। सदर अस्पताल के प्रसूति विभाग के रजिस्ट्रेशन स्लिप के अनुसार प्रेमकली देवी मंगलवार की दोपर 3.38 बजे अस्पताल पहुंची थी। शाम 6.20 बजे उसकी मौत हो गयी। उस वक्त ड्यूटी कर रही प्रधान नर्स ज्योति ने बताया कि उस वक्त महिला चिकित्सक डॉ मेहरू यामनी की ड्यूटी थी। मरीज को भर्ती करते ही डॉक्टर को कॉल किया गया था। उन्होंने जांच कराने का निर्देश दिया। वे स्वयं अस्पताल नहीं आ सकी थीं। मरीज तीन घण्टे तक अस्पताल में तड़पती रही लेकिन उसकी तड़पन और चीख को डॉक्टर और चिकित्सीय कर्मचारी हवा में उड़ाते रहे। परिजनों ने सदर अस्पताल की इस लापरवाही की शिकायत डीसी से की है। डीसी ने सिविल सर्जन को इस मामले की जांच कर त्वरित रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं उन्होंने दूसरी ओर नगर उंटारी एसडीओ कमलेश्वर नारायण को भी इस मामले के सारे पहलुओं की जांच का आदेश दिया है। सिविल सर्जन और एसडीओ ने अपनी अलग-अलग जांच शुरू कर दी है।


Conclusion:यह गजब की विडंबना है जब आदिवासी राज्य और आदिवासी मुख्यमंत्री वाले झारखण्ड में कोई आदिम जनजाति की गर्भवती महिला सदर अस्पताल जैसे सक्षम अस्पताल में तड़प-तड़प कर मर जाती है और डॉक्टर ड्यूटी से गायब रहते हैं। धृष्टता इतनी कि कॉल के बाद भी डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचे। तो ऐसे अस्पताल को जीवनदायी के बजाए मृत्युदायी बताने में क्या हर्ज है। सदर अस्पताल के डीएस डॉ रागनी अग्रवाल ने कहा कि ऐसी सूचना उन्हें भी मिली है। इसकी जांच हो रही है। जो दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बाइट- रजमतिया देवी, परिजन
बाइट-डॉ रागनी अग्रवाल, उपाधीक्षक सदर अस्पताल
पीटूसी
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