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जेएन टाटा ने दिया झारखंड को जमशेदपुर का तोहफा, जानें इसके गांव से शहर बनने तक की दास्तां

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Published : Mar 3, 2022, 10:58 AM IST

Jamshedpur News
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जमशेदपुर के संस्थापक जेएन टाटा की जयंती पर हर साल की तरह इस साल भी संस्थापक दिवस मनाई जा रही है. इस अवसर पर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. यह शहर सौ सालों से भी पुराना है, जिसे जमशेदजी नासरवानजी टाटा (जेएन टाटा) ने एक छोटे से गांव साकची से सुंदर शहर जमशेदपुर बनाया है.

जमशेदपुर: एक शख्यित के नाम से बसा लौहनगरी जिसे जमशेदपुर कहते है, सौ सालों से ज्यादा पुराना है. इस शहर को एक गरीब परिवार के युवा जमशेदजी नासरवानजी टाटा (जेएन टाटा) की दूरदर्शी सोच ने बसाया है. आजादी से पहले भारत में इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जमशेदजी का यह शहर सौ सालों से ज्यादा लंबा सफर तय कर आज ना सिर्फ झारखंड में बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बनाए हुए है. शहर में आज संस्थापक जे एन टाटा की जयंती की धूम है. पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है.

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जमशेदजी टाटा ने गांव को बनाया सुंदर शहर: गुजरात में पुरोहित परिवार में जन्मे जमशेदजी बचपन से ही दूरदर्शी थे. आजादी से पहले देश में अविभाजित बिहार के एक छोटे से गांव साकची में आकर उन्होंने यहां आस पास मौजूद खनिज सम्पदा को देखा और एक नई सोच के साथ साकची गांव में इस्पात उद्योग को स्थापित किया. आजादी से पहले यह इस्पात उद्योग औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति लेकर आया जिसका नाम टाटा कंपनी रखा गया. इस्पात उद्योग के साथ-साथ जमशेदजी टाटा ने एक सुंदर शहर बसाने का सपना देखा और उन्होंने को साकची गांव को शहर बनाकर इसे व्यवस्थित तरीके से बसाया.

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शुरू हुई औद्योगिक क्रांति: जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की नींव रखी थी. उस दौरान साकची गांव की आबादी महज सैकड़ों में ही थी. रोजगार की गारंटी पर उन्होंने लोगों को इस्पात उद्योग में जोड़ना शुरू किया जो आज टाटा स्टील के नाम से जाना जाता है.

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जमशेदपुर के लिए महत्पूर्ण साल



शहर को मिला नाम: इधर अंग्रेज के शासन काल में 2 जनवरी 1919 में भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ कालीमाटी स्टेशन से उतर कर टाटा इस्पात कारखाना देखने साकची आए और जमशेदजी से मिलकर उनसे काफी प्रभावित हुए. वायसराय चेम्सफोर्ड ने अपने संबोधन में कहा कि मैं इस कंपनी से काफी प्रभावित हूं. जमशेदजी के कारण टाटा यहां कंपनी स्थापित हुआ है, उन्होंने कहा कि अब साकची की पहचान जमशेदजी टाटा के नाम से होगी और 2 जनवरी 1919 को साकची का नाम जमशेदपुर रखा गया. इसके साथ ही कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन रखा गया. जमशेदजी कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के प्रति काफी सजग रहते थे. मजदूरों के चिकित्सा व्यवस्था के साथ उनके बच्चों की शिक्षा के लिए उन्होंने अस्पताल और स्कूल बनवाया, उनके रहने के लिए अलग अलग क्षेत्र में क्वाटर की व्यवस्था की जो आज भी कायम है.

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1907 में इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति की नींव

बन गया लघु भारत: समय के साथ-साथ जमशेदपुर शहर की आबादी बढ़ने लगी जो आज 20 लाख से ज्यादा है. जिसमें सभी जाति धर्म समुदाय के लोग बसे हैं. इस कारण इस शहर को लघु भारत के नाम से भी जाना जाता है.


प्राकृतिक सौंदर्य से भरा शहर: जमशेदपुर की रूप रेखा किसी महानगर से कम नहीं है. यह पहला शहर है जहां स्टील इंडस्ट्री के चारों तरफ आबादी बसी हुई है, जिसे देखते हुए हरियाली और साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके लिए जमशेदपुर को ग्रीन सिटी क्लीन सिटी स्टील सिटी (Green City Clean City Steel City) के नाम से पहचान मिली है. खरकई और स्वर्णरेखा नदी के संगम के किनारे बसे जमशेदपुर में प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलता है. मजदूरों के इस शहर में महात्मा गांधी सुभाषचंद्र बोस जैसे महान पुरुषों ने मजदूरों का नेतृत्व भी किया है.

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जमशेदपुर की सड़क के दोनों किनारे गगनचुंबी हरे वृक्ष

महानगर बन रहा शहर: जमशेदपुर शहर आज महानगर की तर्ज पर बस रहा है. आबादी के अनुरूप हरियाली यहां बखूबी देखने को मिलती है. चमचमाती सड़क के दोनों किनारे गगनचुंबी हरे वृक्ष एक दूसरे को स्पर्श करते हुए शहर की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं. वहीं दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियां कई कहानियां भी कहती है. शहर की व्यवस्था को बेहतर बनाये रखने के लिए टाटा स्टील की जुस्को अपनी जिम्मेदारी निभाती है. यही वजह है कि शहर में खुशनुमा माहौल के बीच सफर करना आसान होता है. बढ़ती आबादी के साथ साथ सड़कों का चौड़ीकरण और फुटपाथ इस शहर की खूबसूरती है.

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सर डोराबजी टाट पार्क


बढ़ रही उपलब्धियां: बदलते समय के साथ जमशेदपुर शहर की भौगोलिक स्थिति भी बदलती रही और इस शहर से फिल्म जगत, खेल कूद, शिक्षा के क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्र से कई सेलिब्रेटी हुए जिन्होंने देश में इस शहर का नाम रोशन किया जो जमशेदपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. कोरोनाकाल में इस शहर से देश के कई प्रदेशों के अलावा बांग्ला देश ढाका में रेल मार्ग और सड़क मार्ग से ऑक्सीजन भेजा गया.


जे एन टाटा की जयंती पर संस्थापक दिवस: टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज के उपाध्यक्ष चाणक्य चौधरी बताते हैं कि टाटा स्टील की नींव रखने वाले और जमशेदपुर के संस्थापक जमशेदजी नासरवानजी टाटा (जे एन टाटा) की जयंती को हर साल 3 मार्च को संस्थापक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर के संस्थापक जे एन टाटा के विजन के अनुरूप शहर को और बेहतर करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है. उनकी सोच के कारण आज हम कामयाबी के शिखर तक पहुंच रहे हैं. साफ सुथरी और हरियाली वाली शहर जमशेदपुर की लाइफ स्टाइल अच्छी है. उन्होंने कहा जे एन टाटा के विजन के तहत ही हम कोरोनाकाल में मजबूती के साथ खड़े रहे. हमें गर्व है कि हम टाटा के साथ हम जुड़े है.

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जे एन टाटा की जयंती की धूम

सामाजिक उन्नति की सोच: टाटा जुस्को के एम डी तरुण डागा बताते है कि जे एन टाटा की सोच सिर्फ बिजनेस लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक उन्नति के लिए थी, जो आज एक मिसाल को तौर पर सामने है. हम ऐसे संस्थान से जुड़ कर गर्व महसूस करते हैं. आज इस शहर की एक अलग पहचान है. अब कोशिश यह होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी इस शहर को और बेहतर अंदाज में देख सकें. बड़ी आबादी वाले इस शहर में अलग-अलग इलाके की अलग-अलग नाम से पहचान है. शहरवासी भी अपने शहर के संस्थापक जे एन टाटा की जयंती की जयंती पर उन्हें नमन करते हैं.

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