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तिलकहरू भक्तों ने बाबा को चढ़ाया तिलक, अबीर-गुलाल खेल की फगुआ की शुरुआत

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Published : Jan 29, 2020, 8:28 PM IST

बसंत पंचमी के मौके पर देवघर पहुंचे लाखों तिलकहरू भक्तों ने बाबा मंदिर में जलार्पण किया. इस दौरान तिलकहरू भक्त एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर फगुआ की शुरुआत की. बसंत पंचमी के मौके पर लाखों श्रद्धालु मिथलांचल से देवघर पहुंचे हैं.

Tilakharu devotees offered tilak to Baba Bhole in deoghar
तिलकहरू भक्त

देवघर: परंपराओं की नगरी देवघर में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन बसंत पंचमी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. बुधवार को बाबा मंदिर पहुंचे लाखों तिलकहरू भक्तों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगा कर फगुआ की शुरुआत की. साथ ही तिलकहरू भक्त सुबह से ही भजन कीर्तन कर रहे हैं.

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बसंत पंचमी के मौके पर देवघर में मिथलांचल के लाखों तिलकहरू भक्त बाबा मंदिर पहुंचे हैं. सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर पैदल यात्रा कर भक्त कांवर लेकर तिलकहरू बाबा दरबार पहुंचते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले को जलार्पण कर तिलक चढ़ाते हैं. तिलकहरू भक्त ने बताया कि सुल्तानगंज से भक्तों की टोली पैदल कांवर यात्रा कर बाबा दरबार पहुंचते हैं. इस दौरान भक्त के कंधों पर अनोखी और भारी-भरकम कांवर होता है, जो भजन-कीर्तन करते हुए बाबा मंदिर पहुंचते हैं.

Tilakharu devotees offered tilak to Baba Bhole in deoghar
अबीर-गुलाल लगाते तिलकहरू भक्त

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बसंत पंचमी के दिन तिलकहरू भक्त बाबा भोले पर जलार्पण के बाद शाम को अबीर-गुलाल की होली खेलते है. ऐसा माना जाता है कि इस कार्यक्रम के बाद से ही फगुआ की शुरुआत हो जाती है. इस दौरान मिथलांचल से देवघर आए सभी तिलकहरू भक्त बाबा भोले के ससुराल पक्ष के माने जाते हैं. बाबा मंदिर में बसंत पंचमी के दिन इस तरह का आयोजन प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है. इस दिन यहां विशाल मेला का भी आयोजन किया जाता है.

Intro:देवघर लाखो की संख्या में बाबाधाम पहुचे तिलकहरू,बाबा भोले को चढ़ाया तिलक एक दूसरे को गुलाल लगाकर की फगुआ की शुरुआत।


Body:एंकर देवघर जिसे परंपराओं की भी नगरी कही जाती है जहाँ बाबा बैद्यनाथ साक्षात विराजमान है। जहाँ शहर के जगह जगह कई दिनों से लाखो की संख्या में तिलकहरू पहुच चुके है और भजन कीर्तन कर रहे है। जानकारी के मुताबिक मिथलांचल से आये भक्तो को तिलकहरू कहते है जो सुल्तानगंज से टोलियों का जत्था पैदल कांवर यात्रा कर बाबा दरबार पहुचते है जिनके कंधों पर अनोखी ओर भारी भरकम दो जलपत्रो वाला कांवर के साथ भजन कीर्तन करते आते है और शहर में एक ठिकाने पर पहुच चारो पहर भजन कीर्तन करते है और बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले का जलार्पण के बाद शाम से बाबा भोले का अबीर गुलाल से तिलक करते है जिसके बाद अपने स्थान पर आकर हवन कर एक दूसरे को गुलाल लगते है और ऐसा माना गया है कि आज से फगुआ की भी शुरुआत हो जाती है। और मिथलांचल से आये सभी तिलकहरू बाबा भोले के ससुराल पक्ष के माने जाते है। ओर यह मेला अतिप्राचीन मेला है।


Conclusion:बहरहाल,बाबाधाम पहुचे लाखो की संख्या में तिलकहरू के बारे जानकर बताते है कि मिथलांचल से आये भक्त जिन्हें तिलकहरू कहते है। जो कि बाबा भोले का तिलक करते है साथ ही शुद्ध देशी गाय का घी भी चढ़ाते है ओर ऐसा मान्यता है कि माघ माह में बाबा भोले के ऊपर घृत कंबल चढ़ाया जाता है जो मिथलांचल से आये तिलकहरू द्वारा किया जाता है।

बाइट प्रमोद श्रृंगारी,पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट भक्त तिलकहरू।
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