देवघर: बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक दशहरा देशभर में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग बुराई के प्रतीक रावण का पुतला दहन कर खुशियां मानते हैं. एक दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएं देते हैं लेकिन देवनगरी देवघर में लोग विजयदशमी पर अन्य जगहों की इस परंपरा का पालन नहीं करते. यहां विजयदशमी पर लोग रावण का पुतला दहन नहीं करते हैं.
रावण के कारण यहां स्थापित हुए बाबा बैद्यनाथ
जानकारों की मानें तो रावण विद्वान और शिवभक्त था. रावण के कारण ही उसके द्वारा लाए गए द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक शिव के ज्योतिर्लिंग की भगवान विष्णु की तरफ से यहां स्थापना की गई थी, जिसके कारण देवनगरी का महत्व देश-दुनिया में बढ़ा है. देवनगरी को रावण की तपोभूमि भी माना जाता है. यहां स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग को रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है. जानकारों की मानें तो रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है. एक तो दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों के ज्ञाता प्रकांड पंडित और विद्वान रावण के रूप में. रावण के कारण ही देवनगरी पुण्यभूमि में तब्दील हो सकी. इसलिए यहां रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता.
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बाबा बैद्यनाथ धाम
मान्यता है कि देवघर में रावण के कारण द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ जो कि कामनालिंग भी माने जाते हैं जिन्हें भगवान विष्णु ने स्थापित किया था. इसके लिए यहां के लोग रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ की भूमि देवघर में दशहरा के अवसर पर रावण का पुतला दहन नहीं करते हैं.