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सहायक पुलिस कर्मियों का ऐलान, आंधी आए या तूफान, नहीं थमेगा उलगुलान

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Published : Sep 18, 2020, 10:38 AM IST

रांची मोरहाबादी मैदान में आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मियों को बारिश ने परेशान कर दिया है. गुरुवार दिन से ही राजधानी रांची में मौसम खराब है और रूक-रूककर बारिश हो रही है. इसकी वजह से आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मी लगातार भींग रहे हैं.

Assistant policeman forced to get wet in rain
सहायक पुलिस कर्मियों का ऐलान

रांची: राजधानी के मोरहाबादी मैदान में पिछले 7 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मियों के लिए बारिश आफत बन गई है. खुले मैदान में आंदोलन के लिए डटे सहायक पुलिसकर्मी किसी तरह बारिश से अपने आप को बचाने में लगे हुए हैं, लेकिन भीगने से बचने के लिए उनकी कोई जुगत काम नहीं आ रही है.

देखिए पूरी खबर

बारिश ने किया हाल बेहाल

तीन सालों तक सड़क से लेकर जंगल तक लोगों की सुरक्षा का हर पल ख्याल रखने वाले सहायक पुलिसकर्मी अब बेबस हो चले हैं. 2 दिन पहले तक दिन की कड़ी धूप और रात में पड़ने वाली सीत का मुकाबला वे बड़ी आसानी से कर ले रहे थे, लेकिन अब बारिश ने उन्हें पस्त कर दिया है. गुरुवार दिन से ही राजधानी रांची में मौसम खराब है और रूक-रूककर बारिश हो रही है. इसकी वजह से आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मी लगातार भींग रहे हैं. सहायक पुलिसकर्मी धर्मेंद्र के अनुसार, बारिश तो अभी शुरू हुई है, लेकिन इससे पहले भी वह लगातार परेशान रहे हैं क्योंकि मोरहाबादी मैदान में न तो कोई शौचालय की व्यवस्था है और न ही खाने पीने की.

प्लास्टिक बना सहारा

आंदोलन कर रहे हैं सहायक पुलिस कर्मियों के लिए बारिश से बचने का एकमात्र उपाय प्लास्टिक है. जैसे ही बारिश शुरू होती है मोरहाबादी मैदान का नजारा बदल जाता है. छोटे-छोटे प्लास्टिक के सहारे तंबू बनाए जाते हैं और उनमें सहायक पुलिसकर्मी अपने द्वारा लाए गए सामानों को बारिश से बचाने की जुगत में लग जाते हैं. खुद भीगने से बचने के लिए मैदान में लगे पेड़ों के आसपास छुप जाते हैं, फिर जैसे ही बारिश खत्म होती है दोबारा मैदान में आकर आंदोलन के लिए जम जाते हैं.

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कोविड फैला तो भयानक होगी स्थिति

दिन-रात धूप और बरसात में भी आंदोलन कर रहे कई पुलिसकर्मी बीमार हो चले हैं. ऐसे में अगर वे कोविड-19 का शिकार होते हैं तो स्थिति बेहद भयावह हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि सरकार और पुलिस कर्मियों के बीच एक सार्थक वार्ता हो ताकि इस आंदोलन को खत्म करने का रास्ता निकाला जा सके.

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