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मुरुमातु दलित बस्ती उजाड़ने के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने लिया संज्ञान, शानिवार को पीड़ितों से करेगी मुलाकात

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Published : Sep 2, 2022, 6:11 PM IST

Updated : Sep 2, 2022, 6:42 PM IST

मुरुमातु दलित बस्ती उजाड़ने (Murumatu Dalit habitation demolition case) मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने लिया संज्ञान है. आयोग की एक टीम शानिवार को घटनास्थल का दौरा करेगी और पीड़ितों से मुलाकत करेंगी.

Murumatu Dalit habitation demolition case
Murumatu Dalit habitation demolition case

पलामू: पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु में दलित बस्ती उजाड़ने (Murumatu Dalit habitation demolition case) के मामले पर राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग (National Scheduled Commission) ने संज्ञान ले लिया है. आयोग शनिवार को पांडू के मुरुमातु का जायजा लेगी और पीड़ितों से मुलाकात करेगी. राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलधर, निदेशक संजय कुमार सिंह अनुसंधान पदाधिकारी सुनील कुमार सिंह मौजूद रहेंगे. इस दौरान टीम घटनास्थल का जायजा भी लेगी.

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पलामू पांडू थाना क्षेत्र के मुरूमातु में विशेष समुदाय के द्वारा 14 महादलित मुसहर समुदाय के घरों को उजाड़ दिया गया था. अब इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम पीड़ितों से मुलाकात करेगी और घटनास्थल का दौरा भी करेगी. इसके बाद टीम पूरे मामले पर मीडिया से भी बात करेगी. राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम लगातार पलामू की घटना पर नजर बनाए हुए है. शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर प्रशासन के द्वारा यह सूचना दी गई थी मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने संज्ञान लिया है.

अनुसूचित आयोग की टीम शनिवार दोपहर 2 से 3 के बीच पांडु के इलाके का दौरा करेगी. माना जा रहा है कि शाम 5 बजे के बाद टीम प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. मुरुमातु घटना को लेकर प्रशासनिक स्तर पर के चौकसी बरती जा रही है. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. पूरी घटना को लेकर अलग अलग एफआईआर दर्ज किए गए हैं. पूरे मामले में अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जबकि 150 के खिलाफ एफआईआर हुई है.

29 अगस्तक को विशेष समुदाय के लोग भीड़ की शक्ल में पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु के महादलित टोले में पहुंचे थे. यहां भीड़ ने पीड़ित परिवार के करीब 14 घरों को ध्वस्त कर दिया था और परिवार वालों को वहां से उजाड़ दिया था. बाद में लोगों ने हर परिवार के लोगों के सामान को गाड़ियों में लोड कर छतरपुर के लोटो के इलाके में भेज दिया. घटना के बाद से कुछ दलित परिवार के लोग आशियाने के लिए भटक रहे हैं.

दलित परिवार के ये लोग पिछले 30 वर्षों से इस इलाके में रह रहे थे और पहाड़ के नजदीक मिट्टी काटकर झुग्गी झोपड़ी बनाए थे. कुछ लोगों के कच्चे मकान थे, जबकि कई लोग पत्तों से बनी झोपड़ियों में रह रहे थे. हालांकि यह बात भी सामने आ रही है कि दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौता हुआ था.

Last Updated :Sep 2, 2022, 6:42 PM IST
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