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दूषित पानी की समस्या को लेकर DC ऊना से मिले किसान, पंजाब के उद्योग को बताया कृषि कारोबार के लिए रोड़ा

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Published : Mar 15, 2023, 3:05 PM IST

दूषित पानी की समस्या को लेकर DC ऊना से मिले किसान
दूषित पानी की समस्या को लेकर DC ऊना से मिले किसान

पंजाब की सीमा से सटे प्रदेश के 5 गांव सनोली, मजारा, पूना, बेनीवाल और मलूकपुर के किसान बुधवार को हिमाचल किसान सभा के बैनर तले प्रतिनिधिमंडल के रूप में डीसी कार्यालय पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने पंजाब के एक उद्योग के चलते दूषित हो रहे पानी और उसके कारण फसलों की हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाते हुए प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा.

ऊना: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के सीमांत गांव सनोली, मजारा, पूना, बिनेवाल और मलूकपुर के किसानों की समस्याओं को लेकर हिमाचल किसान सभा ने आवाज बुलंद कर दी है. बुधवार को हिमाचल किसान सभा के बैनर तले इन पांचों गांव के किसान डीसी कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सिंचाई और पीने के पानी को लेकर पेश आ रही समस्याओं के संबंध में ज्ञापन पत्र सौंपा. हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष रंजीत सिंह और महासचिव नरेंद्र सिंह की अगुवाई में पहुंचे किसानों ने जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान की मांग की.

किसानों का कहना है कि पूर्व भाजपा सरकार के समय भी इस उद्योग के केमिकल्स को लेकर सरकार के स्तर पर लंबी वार्ताएं हुईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा है. उन्होंने कहा कि उद्योग का रसायन खुले में फेंके जाने के चलते भू-जल दूषित हो चुका है. हालत यह है कि फसलों की सिंचाई के लिए लगाई गई स्कीम का पानी फसलों को बर्बाद कर रहा है. जबकि पीने के पानी के लिए लगाई गई एक स्कीम, सैंपल फेल होने के चलते पूरी तरह से बंद कर दी गई है. उनका कहना है कि उद्योग प्रबंधन पैसे के दम पर पानी की रिपोर्ट को बदलवा रहा है. लेकिन यदि पानी की रिपोर्ट सही है तो फिर नई स्कीमों को बंद क्यों रखा गया है. किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी उनकी समस्या को लेकर सरकार और प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो उन्हें चक्का जाम करने या फिर उग्र आंदोलन जैसे कड़े कदम उठाने को मजबूर होना पड़ेगा.

किसान सभा के महासचिव नरेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब के एक उद्योग के चलते सीमांत गांवों का भू-जल बेहद दूषित हो चुका है. जिसका असर फसलों पर साफ तौर पर देखने को मिलता है. जब फसलों की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है तो यह फसलें काली पड़ जाती है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार के स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हुईं. लेकिन उनका नतीजा अभी तक शून्य ही रहा है. उन्होंने कहा कि केवल मात्र फसलों की सिंचाई ही नहीं अपितु पीने का पानी भी इस कदर दूषित हो चुका है कि लोगों को आजादी के 75 साल के बाद भी उसी दौर में जीने को मजबूर होना पड़ रहा है जिस दौर से निकलने में सदियां लग गई थी.

उन्होंने कहा कि उद्योग प्रबंधन द्वारा दबाव डालकर इन ग्रामीण क्षेत्रों के पानी की रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की गई ताकि किसी भी चीज का आरोप उद्योग प्रबंधन पर न आए. लेकिन हाल ही में पेयजल आपूर्ति के लिए स्थापित की गई स्कीम के पानी का सैंपल फेल होना यह दर्शाता है कि ग्राउंड वाटर किस कदर दूषित हो चुका है. दूसरी तरफ किसान सभा के अध्यक्ष रंजीत सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि इस समस्या का हल जल्द नहीं किया गया तो उन्हें चक्का जाम करने के साथ-साथ उग्र आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा. जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की होगी. वहीं, डीसी ऊना राघव शर्मा ने कहा कि किसान सभा द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र में जल और वायु प्रदूषण के साथ साथ किसानों को पेश आ रही अन्य समस्यायों के बारे में अवगत करवाया है और इस मामले को सरकार के समक्ष उठाया जायेगा ताकि प्रदेश सरकार इस मामले को पंजाब सरकार उठाये.

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