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Shimla Landslide: जिस शिव मंदिर में सावन के पावन माह में भजनों की धुन पर लगते थे भंडारे, अब मरघट का मंजर, अपनों की पार्थिव देह के इंतजार में पथरा रही आंखें

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Published : Aug 20, 2023, 7:13 PM IST

Shimla Landslide
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सोमवार 14 अगस्त को कुछ ऐसा हुआ कि पूरे हिमाचल में हलचल मच गई. हर किसी की आंख नम थी. जिस मंदिर में भजन की धुनें गूंजती थी और खीर-मालपुए के भंडारे लगते थे वहां चीखो पुकार मच गई. पढ़ें पूरी खबर... (Shimla Shiv Mandir Landslide).

शिमला: देवभूमि हिमाचल में यह समय जलप्रलय का है. राजधानी शिमला के समीप समरहिल के जिस शिव बावड़ी मंदिर में सावन के पावन महीने में भजन की धुनें गूंजती थी और खीर-मालपुए के भंडारे लगते थे, वहां अब मरघट सा मंजर है. माहौल में दुख-पीड़ा और अवसाद घुला हुआ है. सोमवार 14 अगस्त को आस्थावान लोग शिवलिंग का जल से अभिषेक करने के लिए पहुंचे थे. उन्हें क्या पता था कि शिव का महाकाल रूप प्रकट होने वाला है. अचानक से ऊपर पेड़ों से घिरी जगह से बेतहाशा पानी आया और पल भर में सब कुछ बर्बाद हो गया. समरहिल शिव मंदिर हादसे में अब तक साल दिनों में 17 लोगों के शव मिल चुके हैं. पुलिस रिकार्ड के अनुसार अभी भी कम से कम कुछ लोग मलबे में दबे हुए हैं. सात दिन बीत जाने के बाद अब जीवन की आस कतई नहीं की जा सकती. अब तो बस अपनों की पार्थिव देह के इंतजार में आंखें पथरा रही हैं.

मंदिर के पुजारी सुमन किशोर स्थानीय निवासियों के लिए हमेशा शुभ आशीष दिया करते थे. हादसे में वे भी अपने आराध्य महाकाल के चरणों में लीन हो गए. इस हादसे ने लोगों को ऐसे जख्म दिए हैं, जो कभी भर नहीं पाएंगे. पठानकोट के हरीश वर्मा व उनकी पत्नी मानसी वर्मा भी सुबह-सवेरे शिव का जलाभिषेक करने और भंडारे का प्रसाद लेने गए थे. मानसी के गर्भ में एक और प्राण पल रहे थे. ईश्वर इतने निष्ठुर हो गए कि मां के गर्भ में पल रहे नन्हें बच्चे के भी प्राण हर लिए. पति हरीश वर्मा भी हादसे का शिकार हो गए. अब रह गई है तो 12 साल की बिटिया. उसे इतना गहरा धक्का लगा है कि काउंसलिंग करनी पड़ रही है. सांत्वना का कोई भी शब्द उसे धैर्य नहीं दे पा रहा है.

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पहले मंदिर में लगता था भंडारा. (फाइल फोटो)

पीएल शर्मा गणित के प्रोफेसर थे. वे भी पत्नी चित्रलेखा और बेटे ईश के साथ शिव को प्रसन्न कर उनका आशीष लेने मंदिर पहुंचे थे. उन्हें क्या पता था कि ये परिवार के साथ आखिरी पल हैं. उनकी पत्नी की डेड बॉडी जिस हालत में मिली, उसका बयान करने के लिए कलेजा पत्थर सा चाहिए. चित्रलेखा की बहन ने अंगूठी से उनकी पहचान की. परिजन ये सोच रहे थे कि पति और बेटे का पार्थिव शरीर भी मिल जाता तो एक साथ अंतिम विदाई देते, लेकिन सर्च ऑपरेशन में पहले केवल चित्रलेखा ही मिली. उनका अंतिम संस्कार किया गया तो अगले दिन पति की डेड बॉडी भी नाले में मिली. फिर बेटे का शव मिला. त्रासदी देखिए कि पहले चित्रलेखा का अंतिम संस्कार हुआ. फिर पीएल शर्मा की पार्थिव देह मिली. सब लोग आस में थे कि बेटे ईश का शव भी मिल जाये तो एक साथ सन्तिम संस्कार हो सके, लेकिन नियति ने एक साथ अंतिम संस्कार भी शर्मा परिवार के विधि लेख में नहीं लिखा था. जिस दिन पीएल शर्मा की चिता को अग्नि दी गई, है देर शाम बेटे का शव मिल गया. बिलासपुर में शर्मा परिवार के दुख का कोई अंदाजा लगा सकता है.

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पहले मंदिर में लगता था भंडारा. (फाइल फोटो)

पीएल शर्मा व हरीश वर्मा के परिवार के बीच एक गहरा रिश्ता था. प्रोफेसर शर्मा एचपीयू में गणित विभाग में थे. मानसी भी इसी विभाग में थी. संयोग से मानसी ने पीएल शर्मा की गाइडेंस में ही गणित में पीएचडी की थी. एक तरह से इस हादसे में गुरू व शिष्या भी जोड़ी भी काल-कवलित हुई. इसी हादसे में शिमला के एक कारोबारी की तीन पीढिय़ां खत्म हो गई. अभी दादा और पोती की देह मिलना बाकी है. बालूगंज स्कूल के अध्यापक अविनाश नेगी सहित चार अन्य के पार्थिव शरीरों का उनके परिजन इंतजार कर रहे थे. मामा शंकर नेगी व भांजा अविनाश नेगी इस हादसे की भेंट चढ़ गए. अविनाश नेगी बेहतरीन खिलाड़ी थे, लेकिन अब स्मृतियां ही रह गई.

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शिव मंदिर का पुराना फोटो.

हादसे के सातवें दिन भी सारे शव नहीं निकाले जा सके हैं. ऐसे में लोगों के सब्र का बांध भी टूट रहा है. पीड़ित परिजन यही पुकार कर रहे हैं कि उनके प्रियजनों की कम से कम पार्थिव देह ही समय पर मिल जाए, ताकि वे विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार तो कर सकें. हादसे वाली जगह पर मौजूद एक महिला के सब्र टूट गया और उसने एनडीआरएफ को ही कोसना शुरू कर दिया. उस महिला की भावनाएं समझी जा सकती हैं, लेकिन ये तथ्य है कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित अन्य एजेंसियां और स्थानीय लोग जी-जान से ऑपरेशन में जुटे हुए हैं. हजारों टन मलबे और सैंकड़ों पेड़ों के बीच डेड बॉडीज को तलाशना बड़ा कठिन है. इस पीड़ादायक हादसे के बाद समरहिल में जीवन शायद ही कभी पहले जैसा हो पाए. मंदिर के आसपास उन मृतकों की आखिरी पीड़ा तैरती रहेगी, जिन्होंने एक पल में अपने प्राण शिव के सम्मुख त्यागे हैं.

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मंदिर के पुजारी सुमन किशोर (फाइल फोटो),

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