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Scrub Typhus: हिमाचल में तेजी से फैल रहा स्क्रब टाइफस, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 30, 2023, 4:42 PM IST

हिमाचल में स्क्रब टाइफस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. प्रदेश में अब तक 500 से अधिक स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, आईजीएमसी शिमला में 4 मरीजों की स्क्रब टाइफस से मौत हो चुकी है. (Scrub typhus cases in Himachal) (Scrub Typhus).

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस तेजी से फैला रहा है. अब तक प्रदेश के अस्पतालों में 500 से ज्यादा मरीज इस बीमारी से ग्रस्त पाए जा चुके हैं. जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत स्क्रब टाइफस से आईजीएमसी शिमला में हो चुकी है. डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों के अस्पताल में देरी से आने से मौत हो जाती है, जबकि समय पर अस्पताल आने पर इसका इलाज संभव है.

बरसात के मौसम में घास में पनपने वाले पिस्सू के काटने से यह रोग फैलता है. प्रदेश सरकार ने बीमारी को लेकर हिमाचल में अलर्ट जारी किया है. लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों, अस्पताल प्रबंधन और जिला चिकित्सा अधिकारियों को अस्पतालों में पर्याप्त इंतजाम करने को कहा गया है.

यदि बरसात के मौसम में किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, तो उसका कारण स्क्रब टाइफस भी हो सकता है. यह रोग एक जीवाणू विशेष (रिकेटशिया) से संक्रमित पिस्सू (माईट) के काटने से फैलता है, जो खेतों झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. यह जीवाणू चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और स्क्रब टाइफस होने पर बुखार पैदा करता है.

निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. गोपाल बेरी ने बताया स्क्रब टाइफस मौसमी बीमारी है, जिसमें मरीज को तेज बुखार 104°F से 105°F तक हो सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी के साथ बुखार आता है. शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ सा महसूस होता है. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू के नीचे और कूल्हों के ऊपर गिल्टियां हो जाती हैं.

यह रोग एक-एक आदमी से दूसरे में नहीं फैलता है. स्क्रब टाइफस का इलाज संभव है. बुखार कैसा भी हो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें. डॉक्टरी परामर्श के बगैर किसी भी दवा का सेवन ना करें. स्क्रब टाइफस की जांच व उपचार सभी जिला अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क किया जाता है.

स्क्रब टायफस होने का कारण: बरसात के मौसम में घास में पनपने वाले पिस्सू के काटने से यह रोग फैलता है. इस कारण मरीज को सिरदर्द, बुखार के साथ जोड़ों में दर्द, शरीर में दर्द, कंपकंपी और शरीर पर लाल दाने, शरीर का थका होना जैसी समस्या होती है. ऐसे लक्षण होने पर मरीज को तुरंत चिकित्सकों के पास उपचार करवाने आना चाहिए.

ऐसे करे बचाव: बरसात के दिनों में घर के आसपास घास और झाड़ियां न उगने दें. घर के इर्द-गिर्द साफ-सफाई का ध्यान रखें. इसके अलावा खेतों में काम करने के दौरान पैरों और बाजुओं को अच्छे से ढककर रखना चाहिए. पार्क में टहलते हुए या पेड़-पौधों के बीच जाने से पहले पूरी बाजू के कपड़े पहनें. दो दिन से अधिक बुखार हो तो तुरंत उपचार करवाना चाहिए. रक्त की जांच भी करवानी चाहिए.

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