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HRTC Policy Changed: एचआरटीसी ने पॉलिसी में किया बदलाव, अब जनजातीय क्षेत्रों में 3 साल से ज्यादा नहीं रहेंगे कर्मचारी

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 12:57 PM IST

एचआरटीसी ने कर्मचारियों के लिए पॉलिसी में बदलाव किया है. जिसके अनुसार अब जनजातीय क्षेत्रों में अब इन कर्मचारियों को 3 साल से ज्यादा तैनात नहीं किया जाएगा. पढ़िए पूरी खबर...(HRTC Policy Changed) (HRTC employees) (Policy Changed For HRTC Employees).

HRTC Policy Changed
एचआरटीसी ने पॉलिसी में किया बदलाव

शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारी की अब तीन से ज्यादा साल तक जनजातीय इलाकों में तैनात नहीं रहेगी. एचआरटीसी प्रबंधन ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. ऐसे में अब 3 साल से ज्यादा समय से डटे एचआरटीसी कर्मचारियों की इन इलाकों से वापसी होगी. इन कर्मचारियों को वापस उनके गृह जिलों और नजदीक से डिपों में तैनाती दी जाएगी. वहीं, इनकी जगह प्रदेश के दूसरे डिपो से कर्मचारियों को भेजा जाएगा.

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने एचआरटीसी प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि तीन साल से ज्यादा समय वाले कर्मचारियों को इन इलाकों से प्रदेश के दूसरे इलाकों में ट्रांसफर करें. उधर एचआरटीसी के कर्मचारी प्रदेश के उन इलाकों को भी जनजातीय इलाकों की बराबर की श्रेणी में रखने की मांग कर रहे हैं. जहां पर सर्दियों में बारी बर्फबारी होती है. यहां सर्दियों में बसें व कर्मचारी फंसे रहते हैं.

ऐसे में एचआरटीसी की संयुक्त समन्वय समिति ने एचआरटीसी प्रबंधन से शिमला के नेरवा, चौपाल, छौहारा व जुब्बल कोटखाई के कुछ रूटों सहित सिरमौर के संगड़ाह क्षेत्र के रूटों को जनजातीय क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है. कर्मचारियों का कहना है कि ये क्षेत्र दुर्गम हैं और इन पर सालों से तैनात कर्मचारियों को दूसरे रुटों पर तैनात किया जाए.

एचआरटीसी कर्मचारी अब जनजातीय क्षेत्रों में तीन साल से अधिक सेवाएं नहीं देंगे. इन इलाकों में तीन साल से ज्यादा समय से कार्यरत कर्मचारियों की वापसी होगी. सालों से इन क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को उनके गृह जिले के आसपास या फिर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के डिपो में तैनात किया जाएगा. प्रदेश सरकार द्वारा तबादलों पर प्रतिबंध हटाने के बाद एचआरटीसी प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

बताया जा रहा है कि करीब 500 कर्मचारी ऐसे हैं, जो जनजातीय क्षेत्रों में तैनात है. इनमें से कई कर्मचारी सालों से सेवाएं दे रहे हैं, दरअसल एक बार इन इलाकों में तैनाती होने के बाद इन कर्मचारियों को वापस नहीं लाया जाता. क्योंकि इन इलाकों में सेवाएं देने के लिए कोई तैयार नहीं रहते. यही वजह है कि जिन कर्मचारियों को यहां तैनात किया जाता है. उनको कोई रिप्लेस नहीं किया जाता. हालांकि, प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में 3 साल सेवाकाल की शर्त पहले से तय कर रखा है, लेकिन ज्यादातर कर्मचारी इन क्षेत्रों में सेवाएं देने से कतराते हैं.

इसके चलते यहां पर तैनात कर्मचारी सालों रहते हैं. इसको देखते हुए एचआरटीसी की हाल में हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि किसी भी कर्मचारी को 3 साल से ज्यादा समय तक इन इलाकों में नहीं रखा जाएगा. सरकार के नियम के मुताबिक जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले कर्मचारियों को जनजातीय भत्ता सहित अन्य भत्ते मिलते हैं, इनका पिछले काफी समय से नियमित भुगतान नहीं किया गया था, अब जबकि एचआरटीसी इनका भुगतान करने लगा तो इनकी देनदारियां लाखों में पाई गई.

ये भी पढ़ें: Dussehra 2023: सीएम सुक्खू का आज सुन्नी दौरा, लोगों को देंगे करोड़ों की सौगात, दहशरा पर्व पर जाखू में करेंगे रावण दहन

शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारी की अब तीन से ज्यादा साल तक जनजातीय इलाकों में तैनात नहीं रहेगी. एचआरटीसी प्रबंधन ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. ऐसे में अब 3 साल से ज्यादा समय से डटे एचआरटीसी कर्मचारियों की इन इलाकों से वापसी होगी. इन कर्मचारियों को वापस उनके गृह जिलों और नजदीक से डिपों में तैनाती दी जाएगी. वहीं, इनकी जगह प्रदेश के दूसरे डिपो से कर्मचारियों को भेजा जाएगा.

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने एचआरटीसी प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि तीन साल से ज्यादा समय वाले कर्मचारियों को इन इलाकों से प्रदेश के दूसरे इलाकों में ट्रांसफर करें. उधर एचआरटीसी के कर्मचारी प्रदेश के उन इलाकों को भी जनजातीय इलाकों की बराबर की श्रेणी में रखने की मांग कर रहे हैं. जहां पर सर्दियों में बारी बर्फबारी होती है. यहां सर्दियों में बसें व कर्मचारी फंसे रहते हैं.

ऐसे में एचआरटीसी की संयुक्त समन्वय समिति ने एचआरटीसी प्रबंधन से शिमला के नेरवा, चौपाल, छौहारा व जुब्बल कोटखाई के कुछ रूटों सहित सिरमौर के संगड़ाह क्षेत्र के रूटों को जनजातीय क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है. कर्मचारियों का कहना है कि ये क्षेत्र दुर्गम हैं और इन पर सालों से तैनात कर्मचारियों को दूसरे रुटों पर तैनात किया जाए.

एचआरटीसी कर्मचारी अब जनजातीय क्षेत्रों में तीन साल से अधिक सेवाएं नहीं देंगे. इन इलाकों में तीन साल से ज्यादा समय से कार्यरत कर्मचारियों की वापसी होगी. सालों से इन क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को उनके गृह जिले के आसपास या फिर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के डिपो में तैनात किया जाएगा. प्रदेश सरकार द्वारा तबादलों पर प्रतिबंध हटाने के बाद एचआरटीसी प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

बताया जा रहा है कि करीब 500 कर्मचारी ऐसे हैं, जो जनजातीय क्षेत्रों में तैनात है. इनमें से कई कर्मचारी सालों से सेवाएं दे रहे हैं, दरअसल एक बार इन इलाकों में तैनाती होने के बाद इन कर्मचारियों को वापस नहीं लाया जाता. क्योंकि इन इलाकों में सेवाएं देने के लिए कोई तैयार नहीं रहते. यही वजह है कि जिन कर्मचारियों को यहां तैनात किया जाता है. उनको कोई रिप्लेस नहीं किया जाता. हालांकि, प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में 3 साल सेवाकाल की शर्त पहले से तय कर रखा है, लेकिन ज्यादातर कर्मचारी इन क्षेत्रों में सेवाएं देने से कतराते हैं.

इसके चलते यहां पर तैनात कर्मचारी सालों रहते हैं. इसको देखते हुए एचआरटीसी की हाल में हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि किसी भी कर्मचारी को 3 साल से ज्यादा समय तक इन इलाकों में नहीं रखा जाएगा. सरकार के नियम के मुताबिक जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले कर्मचारियों को जनजातीय भत्ता सहित अन्य भत्ते मिलते हैं, इनका पिछले काफी समय से नियमित भुगतान नहीं किया गया था, अब जबकि एचआरटीसी इनका भुगतान करने लगा तो इनकी देनदारियां लाखों में पाई गई.

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