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नवरात्रों में दुल्हन की तरह सजा मां हाटकोटी का मंदिर, यहां महिषासुर मर्दिनी की होती है विशेष पूजा

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Published : Sep 30, 2019, 3:20 PM IST

hatkoti temple during navratra festival in rohru

मां हाटकोटी मंदिर में नवरात्रों के दौरान दिनभर भक्तों का तांता रहता है. रोजाना 9 दिन तक भंडारे और जागरण का होता है आयोजन. देश सहित विदेशों के श्रद्धालु मां का सामने नवाते है शीश. मंदिर से जुड़ी कई दंत कथाएं लोगों की आस्था का प्रतीक.

शिमलाः 10वीं शताब्दी के आस-पास बना राजधानी से लगभग 84 किलोमीटर दूर रोहड़ू की पब्बर नदी के किनारे पर माता हाटकोटी का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर नवरात्रों में दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. हाटकोटी मंदिर में नवरात्रों के दौरान मां महिषासुर मर्दिनी की विशेष पूजा की जाती है.

बता दें कि माता हाटकोटी मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की दो मीटर ऊंची प्रतिमा के साथ ही शिव मंदिर है जहां पत्थर पर बना प्राचीन शिवलिंग स्थित है. मंदिर के द्वार को कलात्मक पत्थरों से सुसज्जित किया गया और मंदिर की छत लकड़ी से र्निमित है. जिस पर देवी देवताओं की अनुकृतियों बनाई गई हैं.

मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं. इसके अतिरिक्त यहां मंदिर के प्रांगण में देवताओं की छोटी-छोटी भी मूर्तियां हैं. बताया जाता है कि इनका निर्माण पांडवों ने करवाया था और जिस स्थान पर पाण्डव बैठते थे वंहा पर पांच छोटे पथरों के मंदिर बने हैं.

वीडियो.

मां महिषासुर मर्दिनी के नाम से प्रख्यात इस माता की प्रसिद्धि देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी प्रख्यात है. यही कारण है कि यंहा पर हर साल नवरात्रों में 9 दिनों माता के भक्तों की कतारें लगी रहती हैं. हर कोई अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए मां के सामने शीश झुका कर आशीर्वाद लेता है.

नवरात्रों के दौरान मन्दिर में श्रद्धालुओं के लिए हर प्रकार की सुविधा मुहैया करवाई जाती है. ठहरने के लिए सरांय हाल और श्रद्धालुओं के लिए 9 दिन तक भंडारे का आयोजन किया जाता है. कमेटी के सदस्य का कहना है की यंहा पर हजारों लोग मन्दिर दर्शन करने आते है और उनके लिए हर सुविधा यंहा प्रदान की जाती है. सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान हर दम मन्दिर के आसपास तैनात रहते हैं.

Intro:माँ हाटकोटी मंदिर दुल्हन की तरह सजा।नवरात्रों में होती है माँ महिषासुरमर्दनी की विशेष पूजा। दिनभर मन्दिर में रहता है भक्तों का तांता।रोजाना भंडारे ओर जागरण का होता है आयोजन। देश सहित विदेशों के श्रद्धालु माँ का सामने नवाते है शीश।मंदिर से जुड़ी कई दंत कथाए लोगों की आस्था का प्रतीक।

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शिमला से लगभग 84 किलोमीटर दूर, शिमला-रोहड़ू मार्ग पर पब्बर नदी के किनारे पर माता हाटकोटी का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है।समुद्र तल से लगभग 1370 मीटर की उंचाई पर बसा पब्बर नदी के किनारे हाटकोटी में महिषासुर र्मदिनी का पुरातन मंदिर हे। कहते हैं कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी के आस-पास बना है। इसमें महिषासुर र्मदिनी की दो मीटर ऊंची प्रतिमा है। इसके साथ ही शिव मंदिर है जहां पत्थर पर बना प्राचीन शिवलिंग है। द्वार को कलात्मक पत्थरों से सुसज्जित किया गया है। छत लकड़ी से र्निमित है, जिस पर देवी देवताओं की अनुकृतियों बनाई गई हैं। मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त यहां मंदिर के प्रांगण में देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं। बताया जाता है कि इनका निर्माण पांडवों ने करवाया था। ओर जिस स्थान पर पाण्डव बैठते थे वँहा पर पांच छोटे पथरों के मंदिर बने हैं। माँ महिषासुर मर्दिनी के नाम से प्रख्यात इस माता की प्रसिद्धि देश ही नही अपितु विदेशों में भी प्रख्यात है।और यही कारण है कि यंहा पर हर साल नवरात्रों में 9 दिनों माता के भक्तों की कतारें लगी रहती है। हर कोई अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए माँ के सामने शीश झुका कर आशीर्वाद लेता है। नवरात्रों के दौरान मन्दिर में श्रद्धालुओं के लिए हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराई जाती है। ठहरने के लिए सराय हाल ओर नो दिन तक भंडारे का आयोजन किया जाता है।मन्दिर के रखरखाव के लिए कमेटी हर प्रकार से सचेत रहती है। कमेटी के सदस्य का कहना है की यंहा पर हजारों लोग मन्दिर दर्शन करने आते है और उनके लिए हर सुविधा यंहा प्रदान की जाती है। सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान हर दम मन्दिर के आसपास घूमते रहते है।

बाईट,,,,भवानी दत्त
मन्दिर भंडारी हाटकोटी

मन्दिर में सुबह से शाम तक भजन कीर्तन ओर पूजा पाठ का क्रम चला रहता है।यंहा दिन भर पण्डित ओर पुजारियों के पास लोगों का जमावड़ा लगा रहता है लोगों का कहना है कि ये मंदिर सदियों पुराना है ओर ओर इसका लेख कंही देखने को नही मिलता लेकिन 12 वी सदी में इस मंदिर में अष्टधातु की मूर्ति बनाई गई जो भारत वर्ष के किसी मंदिर में नही बनी है।उन्होंने कहा कि मंदिर के बाहर (चरु )जो खाना बनाने के बर्तन को कहा जाता है।पब्बर नदी में बह कर आया जिसे लोगो ने पकड़ लिया लेकिन इसके साथ जो दूसरा चरु था वो पानी मे बह गया।कहा जाता है कि आज भी बारिश के दौरान ये अपनी जगह से हिलने का प्रयास करता है।जिसके चलते इसे जंजीर से बांध कर रखा गया है।

बाईट,,, पूर्ण सिंह रावत
स्थानीय निवासी Conclusion:बता दे कि हाटकोटी माँ का ये मंदिर नवरात्रों के दौरान विशेष रुप से सजाया जाता है।और माँ का आशीर्वाद लेने के लिए लोगों इन दिनों अपने नोकरी पेशों से समय निकालकर नवरात्रों में माता का आशीर्वाद लेने दूर दूर से पहुंचते है। हाटकोटी माता की अनुकम्पा से लोग हर साल यंहा पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।और सरकार के बड़े अधिकारी से लेकर मंत्री तक माता रानी के दर्शन के लिए यंहा विशेष रूप से आते है।ओर नवररात्रि में यंहा पर माँ की महिमा की धुन ओर मन्त्रो की आवाज गूंजती रहती है।ओर माता के जयकारों से हरदम मन्दिर का माहौल भक्तिमय रहता है।
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