मंडी: भारत के नेपोलियन कहे जाने वाले महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह की 181वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी में जनरल जोरावर सिंह की पुण्यतिथि पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस मौके पर सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. देवदत्त शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. वहीं इस मौके पर प्रति उपकुलपति आचार्य अनुपमा सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गंगाराम राजी विशिष्ट अतिथि, निदेशक ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी डॉ. चेतराम शर्मा मुख्य वक्ता व सचिव हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला डॉ. कर्म सिंह अध्यक्ष के रूप में मौजूद रहे. ( Sardar Patel University Mandi) (death anniversary of General Zorawar Singh)
कार्यक्रम में सभी ने जनरल जोरावर सिंह के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके उपरांत संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखे और जनरल जोरावर सिंह के बलिदानों को याद किया. यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर देवदत्त शर्मा ने बताया कि सरदार पटेल यूनिवर्सिटी इतिहास विभाग, हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला, ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
![death anniversary of General Zorawar Singh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-mnd-spu-joravar-singh-punyatithi-avb-hp10010_12122022134618_1212f_1670832978_438.jpg)
उन्होंने कहा कि जनरल जोरावर सिंह भारत के एक महान सेनानायक रहे हैं. उनके अदम्य साहस व पराक्रम के कारण ही लद्दाख भारत का अभिन्न अंग बन पाया है. भारतीय गणराज्य में शामिल यह क्षेत्र जनरल जोरावर सिंह के बलिदानों के कारण ही जम्मू रियासत में शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में जनरल जोरावर सिंह का योगदान विशेष महत्व रखता है और उनसे जुड़े हुए अनछुए पहलू समाज में उजागर किए जाने चाहिए.
![death anniversary of General Zorawar Singh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-mnd-spu-joravar-singh-punyatithi-avb-hp10010_12122022134618_1212f_1670832978_1004.jpg)
बता दें कि महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह का जन्म 1786 में हमीरपुर जिले के नादौन में हुआ था. उन्होंने बड़ी बहादुरी से सैनिक से जनरल बनने का सफर पूरा किया. उन्होंने जम्मू रियासत के महान सेनानायक के रूप में लद्दाख पर कई बार चढ़ाई की और यहां पर कई दफा जीत हासिल कर लगभग 1 लाख वर्ग किलोमीटर का एरिया जम्मू रियासत में मिलाया था जो आज हिंदुस्तान का अभिन्न अंग है. तिब्बत जीतने के बाद वापसी के दौरान 12 दिसंबर 1841 में भारत में तिब्बती सैनिकों ने अचानक हमले में गोली लगने से उन्होंने शहादत पाई थी.
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