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मंडी मकर संक्रांति मेले में सजेगी 220 दुकानें, 15 फीसदी स्टॉल स्थानीय व्यापारियों के लिए आरक्षित

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 9:59 AM IST

Updated : Jan 6, 2024, 1:46 PM IST

करसोग के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में मकर संक्रांति मेले में इस बार 15 फीसदी स्टॉल स्थानीय कारोबारियों के लिए आरक्षित रहेंगे. बता दें कि पिछले बार मेले में स्टॉल आवंटन के लिए टेंडर प्रक्रिया नहीं लागू की गई थी, जिसके चलते करीब 20 फीसदी कलेक्शन कारोबारियों के पास फंस गई थी. जिसके कारण इस बार टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे. पढ़ें पूरी खबर..

Makar Sankranti Fair mandi
मंडी मकर संक्रांति मेले में सजेगी 220 दुकानें

मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले में इस बार 220 दुकानें सजेगी. जिसमें 15 फीसदी स्टॉल स्थानीय व्यापारियों समेत महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों के लिए आरक्षित होंगे. जहां बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालु करसोग में प्राकृतिक खेती से तैयार विभिन्न उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं. अन्य बची दुकानों के लिए प्लॉटों का आवंटन नीलामी से होगा. जिसके लिए प्रशासन ने निविदा आमंत्रित करने का फैसला लिया है. वहीं, मेले में प्लॉट आवंटन से पहले दुकानें सजाने वाले कारोबारियों पर भी नियमों का डंडा चला है. ऐसे सभी कारोबारियों को प्रशासन ने 24 घंटे के अंदर जगह खाली करने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है.

इस बार व्यवस्था में हुए कई बदलाव: जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले में इस बार व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं. जिसमें मेले के आयोजन में होने वाले सरकारी खर्च को कम करने के लिए मेले के दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टाफ होटलों में खाना नहीं खाएगा. इसके लिए एक स्थान पर पहाड़ी धाम का आयोजन किया जाएगा. जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों को पंगत में बैठाकर कर पारंपरिक खाना खिलाया जाएगा. इसका उद्देश्य होटल में खाने पर आने वाले खर्च को कम करने के साथ सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना भी है. पिछले साल मकर संक्रांति मेले के दौरान ड्यूटी में तैनात स्टाफ के खाने पर करीब 80 हजार का खर्च आया था. ये खाना होटल से मंगाया गया था.

इसलिए लिया गया टेंडर लगाने का निर्णय: पिछले साल जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले बाहरी राज्य से आए कई कई व्यापारी दुकानों के लिए प्लॉट लेने के बाद के पैसे का भुगतान किए बिना ही भाग गए. जनवरी 2023 में मेला कमेटी ने अपने स्तर पर प्लॉटों का आवंटन किया था. जिससे करीब 6.50 लाख की आमदनी होनी थी, लेकिन कई व्यापारी प्लॉट लेने के बाद पैसा चुकाए बिना ही चले गए. जिससे प्लॉट आवंटन से होने वाली कुल आय की 20 फीसदी रकम कारोबारियों के पास फंस गई. जिससे सरकारी खजाने को भी खूब चपत लगी है. यही नहीं इस लापरवाही की वजह से मेला कमेटी पर भी लोगों की करीब 2 लाख की देनदारी शेष है. जिससे पिछली बार हुए मेले के आयोजन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में इस बार प्लॉट आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है. मेले के दौरान कोई भी लेनदेन केश से नहीं होगा. सभी तरह का लेनदेन बैंक के माध्यम से ऑनलाइन होगा. ताकि मेले के आयोजन को लेकर पारदर्शिता बनी रहे.

बीडीओ वैशाली शर्मा का कहना है कि प्लॉट के आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित की गई है, लेकिन 15 फीसदी स्टॉल आरक्षित रखे जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने से पहले दुकान लगाने वाले व्यापारियों को जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं. ऐसे न करने पर कारोबारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले में इस बार 220 दुकानें सजेगी. जिसमें 15 फीसदी स्टॉल स्थानीय व्यापारियों समेत महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों के लिए आरक्षित होंगे. जहां बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालु करसोग में प्राकृतिक खेती से तैयार विभिन्न उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं. अन्य बची दुकानों के लिए प्लॉटों का आवंटन नीलामी से होगा. जिसके लिए प्रशासन ने निविदा आमंत्रित करने का फैसला लिया है. वहीं, मेले में प्लॉट आवंटन से पहले दुकानें सजाने वाले कारोबारियों पर भी नियमों का डंडा चला है. ऐसे सभी कारोबारियों को प्रशासन ने 24 घंटे के अंदर जगह खाली करने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है.

इस बार व्यवस्था में हुए कई बदलाव: जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले में इस बार व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं. जिसमें मेले के आयोजन में होने वाले सरकारी खर्च को कम करने के लिए मेले के दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टाफ होटलों में खाना नहीं खाएगा. इसके लिए एक स्थान पर पहाड़ी धाम का आयोजन किया जाएगा. जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों को पंगत में बैठाकर कर पारंपरिक खाना खिलाया जाएगा. इसका उद्देश्य होटल में खाने पर आने वाले खर्च को कम करने के साथ सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना भी है. पिछले साल मकर संक्रांति मेले के दौरान ड्यूटी में तैनात स्टाफ के खाने पर करीब 80 हजार का खर्च आया था. ये खाना होटल से मंगाया गया था.

इसलिए लिया गया टेंडर लगाने का निर्णय: पिछले साल जिला स्तरीय मकर संक्रांति मेले बाहरी राज्य से आए कई कई व्यापारी दुकानों के लिए प्लॉट लेने के बाद के पैसे का भुगतान किए बिना ही भाग गए. जनवरी 2023 में मेला कमेटी ने अपने स्तर पर प्लॉटों का आवंटन किया था. जिससे करीब 6.50 लाख की आमदनी होनी थी, लेकिन कई व्यापारी प्लॉट लेने के बाद पैसा चुकाए बिना ही चले गए. जिससे प्लॉट आवंटन से होने वाली कुल आय की 20 फीसदी रकम कारोबारियों के पास फंस गई. जिससे सरकारी खजाने को भी खूब चपत लगी है. यही नहीं इस लापरवाही की वजह से मेला कमेटी पर भी लोगों की करीब 2 लाख की देनदारी शेष है. जिससे पिछली बार हुए मेले के आयोजन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में इस बार प्लॉट आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है. मेले के दौरान कोई भी लेनदेन केश से नहीं होगा. सभी तरह का लेनदेन बैंक के माध्यम से ऑनलाइन होगा. ताकि मेले के आयोजन को लेकर पारदर्शिता बनी रहे.

बीडीओ वैशाली शर्मा का कहना है कि प्लॉट के आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित की गई है, लेकिन 15 फीसदी स्टॉल आरक्षित रखे जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने से पहले दुकान लगाने वाले व्यापारियों को जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं. ऐसे न करने पर कारोबारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Jan 6, 2024, 1:46 PM IST
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