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1989 में पालमपुर में बीजेपी ने पारित किया था राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव, अटल, आडवाणी और शांता कुमार बैठक में थे मौजूद

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 18, 2024, 9:16 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 9:56 PM IST

34 साल पहले 1989 में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में बीजेपी की बैठक हुई थी. जिसमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ था. इस बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और हिमाचल के पूर्व शांता कुमार भी मौजूद थे. पढ़िए पूरी खबर...

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पालमपुर में पारित हुआ था राम मंदिर प्रस्ताव
पालमपुर में पारित हुआ था राम मंदिर प्रस्ताव

धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक होगा. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में पालमपुर का अहम स्थान होगा. भाजपा ने पालमपुर के रोटरी भवन में 34 साल पहले जून 1989 में राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था. यहां विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ राष्ट्रीय भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई थी. यह बैठक तीन दिन 9 से 11 जून तक चली थी. जब पालमपुर की बैठक में कार्यसमिति में प्रस्ताव आया तो इस पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी. उस वक्त बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी थे. उनकी अध्यक्षता में सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और फिर सभी की सहमति से यह प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया और शांता कुमार के अलावा पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद थे.

पालमपुर में हुई इस बैठक की व्यवस्था की जिम्मेवारी उस वक्त शांता कुमार को ही दी गई थी. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया समेत अनेक भाजपा नेताओं ने शिरकत की थी. इसी साल दिसंबर में हुए आम चुनाव में भाजपा ने राम मंदिर के निर्माण की बात अपने चुनावी घोषणापत्र में पहली बार कही थी. इसका ही परिणाम था कि साल 1984 में दो सीट जीतने वाली भाजपा ने साल 1989 के चुनाव में 85 सीटें जीत लीं. ये भी गौर करने वाली बात है कि उस वक्त बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति अब की तुलना में बहुत संतुलित और छोटी हुआ करती थी.

पालमपुर में बैठक में हिस्सा लेने पहुंचीं विजयाराजे सिंधिया शांता कुमार के घर टेलीविजन पर उस समय चले महाभारत सीरियल को देखने पहुंच गई गई थीं. इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी थी. शांता कुमार ने कहा कि उस समय अपने घर पर विजयाराजे सिंधिया को अचानक देखकर वह भी हैरान हो गए थे. विजयाराजे महाभारत सीरियल को देखने से कभी नहीं चूकती थीं.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि कार्यसमिति की बैठक के दौरान कई तरह के व्यंजनों के बीच नेताओं के लिए कांगड़ी धाम का भी आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद के साथ-साथ पहाड़ की संस्कृति से रुबरु करवाने के लिए अपने घर पर ही तमाम व्यवस्थाएं की गईं थी, इसके लिए बकायदा पेड़ के पत्तों से बनाई गई विशेष पतलों का भी प्रावधान किया गया और नेताओं ने जमीन पर बैठ कर ही कांगड़ी धाम का लुत्फ उठाया. बाद में शांता ने शिमला के पद यात्रा भी की थी और पंद्रह दिन बाद शिमला पहुंचे थे.

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के तुरंत बाद हुए घटनाक्रम की गाज तत्कालीन भाजपा की सरकारों पर गिरनी शुरू हो गई थी. शांता कुमार की अगुवाई में गठित भाजपा की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 15 दिसंबर 1992 को भाजपा सरकार को हटा दिया गया. पालमपुर में आयोजित बैठक में अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प भाजपा ने लिया था. इसके बाद ही कारसेवकों ने अयोध्या में कारसेवा शुरू कर दी थी. लिहाजा केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल में शांता कुमार, राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत, गुजरात में केशू भाई पटेल, मध्य प्रदेश में सुंदर लाल पटवा और यूपी में कल्याण सिंह की भाजपा सरकारों को गिरा दिया था.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा जिन लोगों ने राम मंदिर का विरोध किया. भारत में भगवान को काल्पनिक फर्जी कहा. उन लोगों के सामने एक बड़ा मौका था उनके पाप धुल सकते थे, अगर चुप रहते सीधे निमंत्रण स्वीकार करते और वहां पहुंचते, लेकिन दुर्भाग्य है कि वह यह नहीं कर रहे. आज हालात यह है जिन्होंने राम को फर्जी कहा था, वो कर्तव्य विमुख होकर चौराहे पर खड़े हैं. क्या करें क्या ना करें ? अब उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के नेता वहां गए और नहाए जय श्री राम का नारा लगाया. कांग्रेस बिल्कुल चौराहे पर खड़ी है, उनको कुछ समझ नहीं आ रहा.

शांता कुमार ने कहा कि भारत में राम का विरोध महा पाप किया है. पूरा भारत पूरा विश्व राममय में हो रहा है. दुनिया के बहुत सारे देशों में आजकल कार्यक्रम हो रहे हैं. 22 तारीख को पूरा विश्व राममय में होगा. मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य होगा कि पालमपुर उस इतिहास में अमर हो गया है. जहां से यह संघर्ष शुरू हुआ, जिसके कारण 22 तारीख को राम का मंदिर बन रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि राम भारत वर्ष के आध्यात्मिक पुरुष प्रतीक ही नहीं, बल्कि भारत को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद देने वाले भी हैं. यह एक विशेष बात है जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करते हैं. वह, किसी नेता ने नहीं दिया वह किसी पार्टी में नहीं दिया. वह स्वयं भगवान राम ने दिया था जब लंका जीत ली रावण का वध हो गया और लक्ष्मण राम के पास है गए और कहा भैया इस सोने की लंका में ही राज्य करते है. क्या जरूरत है वापस अयोध्या जाने की.

तब प्रभु राम ने क्या कहा लक्ष्मण ठीक है लंका सोने की है, लेकिन मुझे अच्छी नहीं लगती. मुझे जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी अच्छी होती है. यही है हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राम भारत के राष्ट्र पुरुष भी है. भारत के युगपुरुष भी है भारत के आध्यात्मिक पुरुष भी है और 500 साल के बाद राम मंदिर बन रहा है, क्योंकि हम गुलाम थे. यह सिर्फ देश के लिए सौभाग्य की बात ही नहीं, बल्कि विश्व इतिहास की बहुत बड़ी घटना 22 तारीख को घट रही है. जब प्रभु राम का मंदिर अयोध्या में बन जाएगा.

ये भी पढ़ें: भगवान रघुनाथ की ओर से श्री राम के लिए भेजी चांदी की चरण पादुका और चंवर की भेंट, अयोध्या रवाना हुए महेश्वर सिंह

पालमपुर में पारित हुआ था राम मंदिर प्रस्ताव

धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक होगा. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में पालमपुर का अहम स्थान होगा. भाजपा ने पालमपुर के रोटरी भवन में 34 साल पहले जून 1989 में राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था. यहां विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ राष्ट्रीय भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई थी. यह बैठक तीन दिन 9 से 11 जून तक चली थी. जब पालमपुर की बैठक में कार्यसमिति में प्रस्ताव आया तो इस पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी. उस वक्त बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी थे. उनकी अध्यक्षता में सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और फिर सभी की सहमति से यह प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया और शांता कुमार के अलावा पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद थे.

पालमपुर में हुई इस बैठक की व्यवस्था की जिम्मेवारी उस वक्त शांता कुमार को ही दी गई थी. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया समेत अनेक भाजपा नेताओं ने शिरकत की थी. इसी साल दिसंबर में हुए आम चुनाव में भाजपा ने राम मंदिर के निर्माण की बात अपने चुनावी घोषणापत्र में पहली बार कही थी. इसका ही परिणाम था कि साल 1984 में दो सीट जीतने वाली भाजपा ने साल 1989 के चुनाव में 85 सीटें जीत लीं. ये भी गौर करने वाली बात है कि उस वक्त बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति अब की तुलना में बहुत संतुलित और छोटी हुआ करती थी.

पालमपुर में बैठक में हिस्सा लेने पहुंचीं विजयाराजे सिंधिया शांता कुमार के घर टेलीविजन पर उस समय चले महाभारत सीरियल को देखने पहुंच गई गई थीं. इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी थी. शांता कुमार ने कहा कि उस समय अपने घर पर विजयाराजे सिंधिया को अचानक देखकर वह भी हैरान हो गए थे. विजयाराजे महाभारत सीरियल को देखने से कभी नहीं चूकती थीं.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि कार्यसमिति की बैठक के दौरान कई तरह के व्यंजनों के बीच नेताओं के लिए कांगड़ी धाम का भी आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद के साथ-साथ पहाड़ की संस्कृति से रुबरु करवाने के लिए अपने घर पर ही तमाम व्यवस्थाएं की गईं थी, इसके लिए बकायदा पेड़ के पत्तों से बनाई गई विशेष पतलों का भी प्रावधान किया गया और नेताओं ने जमीन पर बैठ कर ही कांगड़ी धाम का लुत्फ उठाया. बाद में शांता ने शिमला के पद यात्रा भी की थी और पंद्रह दिन बाद शिमला पहुंचे थे.

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के तुरंत बाद हुए घटनाक्रम की गाज तत्कालीन भाजपा की सरकारों पर गिरनी शुरू हो गई थी. शांता कुमार की अगुवाई में गठित भाजपा की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 15 दिसंबर 1992 को भाजपा सरकार को हटा दिया गया. पालमपुर में आयोजित बैठक में अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प भाजपा ने लिया था. इसके बाद ही कारसेवकों ने अयोध्या में कारसेवा शुरू कर दी थी. लिहाजा केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल में शांता कुमार, राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत, गुजरात में केशू भाई पटेल, मध्य प्रदेश में सुंदर लाल पटवा और यूपी में कल्याण सिंह की भाजपा सरकारों को गिरा दिया था.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा जिन लोगों ने राम मंदिर का विरोध किया. भारत में भगवान को काल्पनिक फर्जी कहा. उन लोगों के सामने एक बड़ा मौका था उनके पाप धुल सकते थे, अगर चुप रहते सीधे निमंत्रण स्वीकार करते और वहां पहुंचते, लेकिन दुर्भाग्य है कि वह यह नहीं कर रहे. आज हालात यह है जिन्होंने राम को फर्जी कहा था, वो कर्तव्य विमुख होकर चौराहे पर खड़े हैं. क्या करें क्या ना करें ? अब उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के नेता वहां गए और नहाए जय श्री राम का नारा लगाया. कांग्रेस बिल्कुल चौराहे पर खड़ी है, उनको कुछ समझ नहीं आ रहा.

शांता कुमार ने कहा कि भारत में राम का विरोध महा पाप किया है. पूरा भारत पूरा विश्व राममय में हो रहा है. दुनिया के बहुत सारे देशों में आजकल कार्यक्रम हो रहे हैं. 22 तारीख को पूरा विश्व राममय में होगा. मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य होगा कि पालमपुर उस इतिहास में अमर हो गया है. जहां से यह संघर्ष शुरू हुआ, जिसके कारण 22 तारीख को राम का मंदिर बन रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि राम भारत वर्ष के आध्यात्मिक पुरुष प्रतीक ही नहीं, बल्कि भारत को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद देने वाले भी हैं. यह एक विशेष बात है जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करते हैं. वह, किसी नेता ने नहीं दिया वह किसी पार्टी में नहीं दिया. वह स्वयं भगवान राम ने दिया था जब लंका जीत ली रावण का वध हो गया और लक्ष्मण राम के पास है गए और कहा भैया इस सोने की लंका में ही राज्य करते है. क्या जरूरत है वापस अयोध्या जाने की.

तब प्रभु राम ने क्या कहा लक्ष्मण ठीक है लंका सोने की है, लेकिन मुझे अच्छी नहीं लगती. मुझे जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी अच्छी होती है. यही है हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राम भारत के राष्ट्र पुरुष भी है. भारत के युगपुरुष भी है भारत के आध्यात्मिक पुरुष भी है और 500 साल के बाद राम मंदिर बन रहा है, क्योंकि हम गुलाम थे. यह सिर्फ देश के लिए सौभाग्य की बात ही नहीं, बल्कि विश्व इतिहास की बहुत बड़ी घटना 22 तारीख को घट रही है. जब प्रभु राम का मंदिर अयोध्या में बन जाएगा.

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Last Updated : Jan 18, 2024, 9:56 PM IST
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